दशकों में कोई ऐसी फिल्म आती है जो निहित स्वार्थों द्वारा दबाए गए सत्य को चित्रित करती है, विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स एक ऐसी ही फिल्म है जो 90 के दशक में कश्मीर में हुए हिंदू नरसंहार की कहानी बताती है। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ जब से प्रदर्शित हुई है, इसने ना सिर्फ दशकों पुराने ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ के मिथक को तोडा है, बल्कि वामपंथी-इस्लामिक पारिस्थितिकी तंत्र अर्थाए वाम-इस्लाम इकोसिस्टम पर भी कड़ी चोट की है।
‘द कश्मीर फाइल्स’ 1990 में कश्मीर में उठे इस्लामिक जिहाद के कारण कश्मीरी हिन्दुओ के जेनोसाइड पर आधारित है। यह फिल्म सत्य घटनाओ का चित्रण करती है एवं इसके लिए कश्मीरी हिन्दू समुदाय के पीड़ितों के वीडियो साक्षात्कार लिए गए थे। यह कश्मीरी हिन्दुओ की पीड़ा, संघर्ष और आघात की एक दिल दहला देने वाली एक ऐसी कहानी है जो हमारे लोकतंत्र, धर्म, राजनीति और मानवता के स्थापित दोहरे मापदंडो का तो प्रदर्शन करती ही है अपितु साथ ही कई कठोर प्रश्न भी उठाती है।
लेकिन जैसे ही यह फिल्म प्रदर्शित हुई, वामपंथी-इस्लामिक पारिस्थितिक तंत्र ने इसे ना सिर्फ झूठा बताया, बल्कि ये आरोप भी लगाया कि इसमें मात्र हिन्दुओ की पीड़ा ही दिखाई गयी है, जबकि उस समय मुसलमानो पर हुए अत्याचारों को नहीं दिखाया गया है। फिल्म प्रदर्शित होने से पहले ही एनडीटीवी ने इसे एक ‘प्रोपेगंडा फिल्म‘ घोषित कर दिया था।
अगर आप प्रचलित मीडिया पोर्टल्स को देखेंगे तो पाएंगे कि फिल्म को सफल ना होने देने की चेष्टा से इसके विरुद्ध नकारात्मक समीक्षाएं लिखी गयी, फिल्म के निर्माताओं और निर्देशक को सरकार का करीबी बताया गया, कुछ वामपंथी लेखकों ने तो इसे भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रायोजित फिल्म बताया, जिसका ध्येय था कश्मीरी मुसलमानो पर इस घटना का दोषारोपण कर देना।
हालांकि इन सब दुष्प्रचारों के बाद भी फिल्म अत्यंत सफल हुई। फिल्म सफलता के सभी मापदंडो में खरी उतरी,वहीं इसने हमारे हिन्दू समाज में जनचेतना का संचार भी किया, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज यह फिल्म समस्त यूरोप, अमेरिका , और यहाँ तक कि इजराइल में भी प्रदर्शित की जा रही है, और यही वजह है कि वामपंथी और इस्लामिक विरोधियो के अंतराष्ट्रीय पारिस्थितिक तंत्र ने अब इस फिल्म पर प्रहार करना शुरू कर दिया है।
विकिपीडिया द्वारा फिल्म के बारे में गलत जानकारी का प्रसार करना
पिछले ही दिनों ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने अपने प्रदर्शन के 50 दिन पूरे किए हैं। इसी अवसर पर, रविवार, 1 मई को विवेक अग्निहोत्री ने द कश्मीर फाइल्स के विकिपीडिया पेज का एक चित्र साझा किया। विकिपीडिया के विवरण में बताया गया है कि “ये फिल्म कश्मीरी हिन्दुओ के कश्मीर घाटी (जो एक विवादित क्षेत्र है) से हुए पलायन पर आधारित है। यह 1990 के दशक में हुए पलायन को एक नरसंहार के रूप में दर्शाता है, जो व्यापक रूप से गलत है और षड्यंत्र है।”

इस गलत जानकारी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए विवेक अग्निहोत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, “प्रिय विकिपीडिया, आप इस्लामोफोबिया, प्रोपेगंडा, संघी, और धर्मांध जोड़ना भूल गए। आप अपनी धर्मनिरपेक्ष साख को विफल कर रहे हैं। जल्दी करें, अधिक संपादित करें।”
यहाँ यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि विकिपीडिया एक ऐसा मंच है, जिस पर पूर्ण रूप से वामपंथी और इस्लामिक धर्मांधो का एकाधिकार है, और अपनी कथित ‘विनियमन’ नीति के नाम पर किसी भी जानकारी को ये लोग तोड़ मरोड़ देते हैं। हम दिल्ली दंगो को कैसे भूल सकते हैं, जहां विकिपीडिया ने हिन्दुओ को इन दंगो का अपराधी बताया था, और तथ्यों की उपेक्षा करते हुए आज तक उसे हिन्दू प्रायोजित दंगा ही बताया जा रहा है।
वामपंथी चैनल ‘मातृभूमि’ की पत्रकार ने फिल्म का अपमान करने का प्रयत्न किया
पिछले ही दिनों कुख्यात वामपंथी समाचार चैनल मातृभूमि की पत्रकार ‘मधु’ ने निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री का साक्षात्कार लिया, पत्रकार ने कहा कि कश्मीरी नरसंहार राज्यपाल जगमोहन के शासन में हुआ था। यह बोल कर पत्रकार ने एक तरह से इस्लामिक जिहादियों और फारूख अब्दुल्ला कि सरकार के कुकर्मो को ढंकने का कार्य किया।
पत्रकार ने आगे कहा कि “फिल्म कश्मीर फाइल्स झूठा प्रचार करती है, इसे केवल 3 करोड़ लोगों ने देखा और उनमें से कुछ ने ‘अल्पसंख्यक समुदायों’ के खिलाफ नारे भी लगाए। कला के माध्यम पुरानी घटनाओ को उजागर करके क्यों समाज में द्वेष फैलाने का कार्य कर रहे हैं। इस पर विवेक अग्निहोत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि “कश्मीर फाइल्स एक मात्र ऐसी फिल्म है जो कश्मीरी हिन्दुओ और पीड़ितों की पीढ़ा दिखाती है, और इस फिल्म बनाने के पीछे मेरा मकसद कश्मीरी हिन्दुओ पर हुए आघातों को संसार के सामने लाना था, और ये दिखाना था कि उन्होंने क्या क्या दुःख भोगे”।
पत्रकार ने स्पष्ट रूप से वामपंथी पारिस्थितिक तंत्र का बचाव भी किया, जिन्होंने बिना किसी वैध कारण के फिल्म की आलोचना की। विवेक अग्निहोत्री ने इसका उत्तर देते हुए कहा, “वामपंथी लोग हमेशा से आतंक के समर्थक रहे हैं, वे आतंकवाद और हिंसा को वैचारिक ढाल की तरह उपयोग करते हैं। वे उन लोगों का समर्थन करते हैं जो एक लोकतांत्रिक देश में हथियारों का प्रयोग करते हैं और नागरिकों को धमकाते हैं।
साक्षात्कार में हास्यजनक स्थिति तब उत्पन्न हो गयी जब विवेक अग्निहोत्री ने पत्रकार से पूछा कि क्या “आपने ये फिल्म देखी है”, जिस पर पत्रकार ने उत्तर दिया ‘नहीं’। इस बात पर विवेक भड़क गए और उन्होंने कहा “जब आप कुछ नहीं जानती हैं, आपने फिल्म नहीं देखी है, तो आप मेरा साक्षात्कार कैसे कर रही हैं? मैंने फिल्म बनाने से पहले बड़े पैमाने पर शोध किया है और कोई कारण नहीं है कि मैं आतंकवाद को सही ठहराने को बौद्धिक कार्य समझूँ “। मातृभूमि चैनल ने 29 अप्रैल को चतुराई से उस हिस्से को हटा दिया जहां अग्निहोत्री ने गलत तथ्यों के लिए पत्रकार की आलोचना की थी। हालाँकि, हटाया गया हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और निर्देशक ने ट्विटर पर साझा किया था।
इन सब घटनाओ से यही समझ आता है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ मात्र एक फिल्म नहीं है, यह वर्षों से दबाया छुपाया लावा था, जो अब फूट पड़ा है, और यही कारण है कि वामपंथी और इस्लामिक पारिस्थितिक तंत्र में हलचल मच गयी है। उन्होंने फिल्म को रोकने का हरसंभव प्रयास किया, इसे झूठा बताया, गलत समीक्षाएं लिखी, लेकिन फिर भी जनता ने फिल्म को प्यार दिया और सराहा।
अपने सारे षड्यंत्र विफल होते देख अब विरोधियो ने विकिपीडिया और अन्य छोटे मोटे मीडिया मंचो को फिल्म के बारे में मिथ्या प्रचार करने के लिए लगाया है, लेकिन ये प्रयास भी विफल ही होगा, क्योंकि अब जनमानस को सत्य पता लग चुका है, और इन कृत्यों से जनता के मन में इस पारिस्थितिक तंत्र के प्रति नकारात्मक भावना ही बढ़ेगी।
Wikipaedia’s claim is biased and lacks research deep into the root cause & the event of exodus of Kashmiri Pandits in the late 1990s. The exodus did really happen. There were indeed torture, rape, arsons & pogroms of Hindus perpetrated by Kashmiri Muslims. And led to the exodus of about 40,000 Kashmiri Hindus from their own land. The holocaust survivors attest to this grim episodes. Were they all wrong? They all fabricated fake genocide. Did they? One can carelessly and calously dub a truth a fake and shove off the responsibility of the massacre. But how long he/she can put a lid on the basket holding the truth. One day that ‘Pandora’s box’ will open and the truth will come to limelight.
If by way of argument it is taken that those Kashmiri Pandits did hold land ‘unlawfully’, were those Jihadists authorized to evict them? They did not carry out formal eviction, but instead waged genocide on those Hindus and that story has rightly (though partly) been reflected in The Kshmmiri Files and sent ripples of discontent to the Muslims and Leftists and Congress who always curry favor of them to win the election.