मुम्बई। अगस्त 18, 2024। आर्य समाज सांताक्रुज में आयोजित श्रावणी उपाक्रम एवं प्रतिभा पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने कहा कि अखंड भारत में जहां जहां हिंदू घटा, देश बंटा। धर्मांतरण बढ़ा, जिहादी अतिवाद व आतंकवाद पनपा और वहां की संस्कृति व स्वाभिमान पर अनगिनत आघात हुए।
आज शिवाजी महाराज की पुण्य धरा तथा महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज की जन्म स्थली मुम्बई में उन्होंने शंखनाद किया कि जब तक विश्व के किसी भी हिस्से में हिंदू पीड़ित है, प्रताडित है, हम चुप नहीं रहेंगे। बांग्लादेश के एक एक पीड़ित हिंदू बंधु के साथ सम्पूर्ण हिंदू समाज प्राण पण से खड़ा है। वैश्विक मानवाधिकार वादियों व देश के सेक्यूलर वादियों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जब हिंदुओं पर जिहादी हमले होते हैं तो वे चिर निद्रा में सोते हैं जबकि आतंकवादियों पर जब सिकंजे कसते हैं तो वे तो रोते ही हैं, रात तीन बजे तक सर्वोच्च न्यायालय को भी जगाते हैं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश सरकार तथा भारत सरकार मिलकर वहां बचे हिंदू व अन्य अल्प संख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित कर, पीड़ितों को न्याय व नुकसान की भरपाई के साथ आतंकी मानसिकता पर अकुंश लगा कर उत्पातियों को दंडित भी करेगी।
इस अवसर पर नोएडा से पधारे डॉ जयंत कुमार एवं नई दिल्ली से पधारीं दर्शनाचार्या श्रीमती विमलेश बंसल मुख्य वक्ता और राजेश अमर प्रेमी जी भजनोपदेशक के रुप में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यपाल सिंह ने कहा कि वेद मार्ग ही कल्याण मार्ग है, हम सबको उसका पथिक बनना है।
इस अवसर पर श्रीमती प्रेमलता सगहल युवा महिला पुरुष्कार से सम्मानित श्रीमती विमलेश बंसल जी ने सबके समक्ष ईश्वर के वास्तविक स्वरूप पर व्याख्यान देते हुए स्वरचित सुंदर काव्य रचनाएं प्रस्तुत की।
श्री विनोद बंसल ने यह भी बताया कि आज इस राष्ट्र को, इस सनातन धर्म को एकता की जरूरत है, जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हम विघटन की ओर जाते रहेंगे। उन्होंने राष्ट्र एवम धर्म को बचाने के अनेक उपाय भी उपस्थित जन समूह के समक्ष प्रस्तुत किए। सभी ने उनके इन क्रांतिकारी विचारों का खुले दिल से समर्थन कियाl
तत्पश्चात समस्त आए हुए वक्ताओं एवम अतिथियों को सम्मानित कर इस कार्यक्रम का समापन हुआ।
-संदीप आर्य (महामंत्री) आर्य समाज सांताक्रुज, मुम्बई