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Wednesday, April 24, 2024

धोखेबाज़ राना अयूब के साथ आया यूएन जेनेवा, भारत के आम नागरिक आए संयुक्त राष्ट्र के विरोध में, भारत ने कहा “कोई भी कानून से ऊपर नहीं!”

भारत में रहकर हिन्दुओं के विरुद्ध विषवमन करने वाली एजेंडा पत्रकार राना अयूब पर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है। परन्तु इस सम्बन्ध में वामपंथी और इस्लामी गठजोड़ की प्रशंसा करनी होगी कि वह हिन्दुओं और अपने देश का विरोध करने वाले कट्टर मुस्लिमों के साथ तुरंत खड़े हो जाते हैं, और किसी भी राष्ट्र के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने लगते हैं। ऐसा ही कुछ संयुक्त राष्ट्र ने किया। भारत में रोज ईसाई मिशनरी और कट्टर मुस्लिमों के हाथों मरते हुए हिन्दू संयुक्त राष्ट्र को नहीं दिखाई देते हैं, परन्तु वह राना अयूब के मामले में तुरंत ही समर्थन में आ गए।

कल राना के पक्ष में ट्वीट करते हुए यूएन जेनेवा ने लिखा कि

पत्रकार @RanaAyyub के खिलाफ ऑनलाइन लगातार मिथ्या और सांप्रदायिक हमलों की #भारतीय अधिकारियों द्वारा तुरंत और पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और उनके खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए, @UN_SPExperts ने जोर दिया

इस ट्वीट के सामने आते ही देश से  प्यार करने वाले सभी भारतीयों का गुस्सा भड़क गया है। संयुक्त राष्ट्र कब से इस प्रकार किसी भी देश के आतंरिक मामलों में दखल देकर अपराधियों के पक्ष में खड़ा होने लगा? राना अयूब की एकमात्र योग्यता यही है कि वह लगातार हिन्दू धर्म के विरोध में लिखती रहती है और जानबूझकर हिन्दुओं को पूरे विश्व में नीचा दिखाती है। उसकी एकतरफा किताब को भारत का न्यायालय भी नकार चुका है, फिर भी संयुक्त राष्ट्र क्यों ऐसे व्यक्ति के समर्थन में आया, यह समझ से परे है।

भारतीयों ने इसका ऑनलाइन विरोध करना आरम्भ कर दिया। Norex Flavours Private Limited के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर वैभव अग्रवाल ने इसे देश की संप्रभुता पर सीधे आक्रमण बताते हुए कहा कि भारत अपने संविधान का पालन करने वाल देश है, अत: इसमें बाहरी हस्तक्षेप करना बंद किया जाए! तथा यह भी कहा कि अब यह प्रमाणित होता जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र भारत विरोधियों का गढ़ बनता जा रहा है!

May be a Twitter screenshot of 3 people and text that says "Vaibhav Agrawal @vaibhav_norex Replying to @UNGeneva @RanaAyyub and 3 others ndia is is a democratic country governed by a constitution and laws under a solid and independent judiciary. @UNGeneva, you have proved that anti-Indian lobbyists and propagandists are hijacking the UN. Shame on you. @sadhu_sadh @DrSJaishankar @IndiaUNGeneva 0:43 22 Feb 22. Twitter for Android"

टीम हिन्दू ने ट्वीट किया कि

अगर आप देश के खिलाफ खड़े होंगे तो संयुक्त राष्ट्र आपका समर्थन करेगा। लेकिन अगर आप राष्ट्र के साथ खड़े हैं तो वे संयुक्त राष्ट्र को भूल गए, आपका अपना राष्ट्र भी आपके साथ नहीं खड़ा होगा। @सुरेश चव्हाणके जी पर 1822 केस हैं लेकिन उनका साथ देने वाला कोई नहीं

राना अयूब ने लोगों के पैसे व्यक्तिगत मदों में खर्च किए हैं, क्या संयुक्त राष्ट्र उन लोगों के पक्ष में नहीं है, इसी बात पर लोग प्रश्न पूछ रहे हैं। एक यूजर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने राना अयूब के पक्ष में यह ट्वीट करके बहुत बड़ी गलती कर दी है। और उसने अब स्वयं ही बता दिया है कि वही है जो rana अयूब को पैसे से समर्थन दे रहा है और उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि संस्थान में वाम और इस्लामी संगठनों का ही बोलबाला है

प्रीति गांधी ने भी लिखा कि राना अयूब को प्रमाणिक करने के चक्कर में संयुक्त राष्ट्र जेनेवा ने अपनी विश्वसनीयता खो दी

आलोक भट ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा “न्यायिक उत्पीडन” शब्द ने हमारी निष्पक्ष न्याय व्यवस्था पर प्रश्न उठाए हैं। और जैसे पहले कांग्रेस ने राना अयूब को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रयोग किया, अब कट्टर इस्लामी संगठन कर रहे हैं

संयुक्त राष्ट्र जिनेवा द्वारा किया गया यह ट्वीट किसी भी देशभक्त भारतीय को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। twitter पर इसका जमकर विरोध हो रहा है और होना भी चाहिए। किसी भी समुदाय के पास यह विशेषाधिकार नहीं होता कि वह अपने ही देश को अपने मजहब के नाम पर धोखा दे और उसके विषय में झूठी और एजेंडा परक बातें फैलाए।

जोसेफ टी नूनी नामक यूजर ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में संयुक्त राष्ट्र की निंदा करते हुए लिखा कि

हमारे घरेलू मुद्दों को विदेशी हितों द्वारा हथियार बनाया जा रहा है, अय्यूब जैसे ट्रोजन हॉर्स को तेजी से सक्रिय किया जा रहा है, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न संगठनों को सीसीपी द्वारा कठपुतली बना दिया गया है और एक बेकार @UN_HRC जो केवल लोकतंत्रों को लक्षित करता है।

और भारत अभी भी एक उनके लिए एक सॉफ्ट target बना हुआ है

विकास सारस्वत नामक यूजर ने लिखा कि केवल रिहाना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र भी बिकाऊ है

कँवल सिब्बल ने कहा कि जिस प्रकार संयुक्त राष्ट्र व्यक्तिगत मुद्दों के आधार पर लोकतान्त्रिक देशों को निशाना बना रहा है, उससे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि वह भारत विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहा है

भारत में पिछले कुछ दिनों में लगातार हिन्दू युवकों की हत्याएं मात्र उनके धर्म के आधार पर हुई हैं और उन्हें करने वाले और कोई नहीं बल्कि वही कट्टर इस्लामी तत्व हैं, जिनका चेहरा राना अयूब है, परन्तु संयुक्त राष्ट्र सोता रहता है, यहाँ तक कि वह कभी भी हिन्दुओं की सामूहिक हत्याओं पर भी कुछ नहीं लिखता है। यहाँ तक कि अग्फानिस्तान में जिस प्रकार से मुस्लिमों को ही कट्टरता के तले दबाया जा रहा है, संयुक्त राष्ट्र उस पर नहीं बोलता है, फिर भारत के इस प्रकार आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप कैसे किया जा सकता है? प्रश्न यही उठता है!

कैसे एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन एक लोकतान्त्रिक देश की कानूनी व्यवस्था में हस्तक्षेप कर सकता है? सवियो ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि

यह चौंकाने वाला है कि एक वैश्विक संगठन ने भारत में चल रही वैध जांच पर हस्तक्षेप करने और अपनी पक्षपातपूर्ण राय देने का फैसला किया है। वास्तव में यह महत्वपूर्ण है कि उसके सभी राष्ट्र-विरोधी संबंधों का पर्दाफाश किया जाए। स्पष्ट हो जाए, वह पत्रकार नहीं बल्कि प्रोपोगंडा करने वाली है

धीरे धीरे ही सही यह स्पष्ट होता जा रहा है कि एक सशक्त भारत के विरोध में कितनी लॉबी सक्रिय हैं और सशक्त हिन्दुओं के विरोध में इस्लामी और वामी दोनों की लॉबी किस हद तक जा सकती है? संयुक्त राष्ट्र के इस ट्वीट ने सारी सत्यता व्यक्त कर दी है, परन्तु फिर भी यह देखना सुखद है कि भारत और भारत के नागरिक इस झूठे और विषैले प्रोपोगंडा के खिलाफ खुलकर खड़े हो गए हैं!

भारत की ओर से भी इस प्रोपोगंडा का उत्तर दे दिया गया है और कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि किसी भी एकतरफा विचार से दूर रहे

यह बहुत ही अच्छा कदम है कि भारत द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी गयी है और साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि भारत के आतंरिक मामलों में भारत अपने कानूनों के अनुसार ही कदम उठाएगा, फिर भी वाम और इस्लामी लॉबी के इकोसिस्टम की मजबूती हैरान करती है!

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