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Tuesday, June 24, 2025

ट्रम्प अमेरिका को मेन्यूफैक्चरिंग-हब  और सर्विस प्रदाता के रूप में देखना चाहते हैं !

अमेरिका का चीन के साथ वर्तमान आयात 462 अरब डॉलर का है; और निर्यात 144 अरब डॉलर का । चीन के पास , ऑइल, गैस, कोयला नहीं है,  ये वो अमेरिका से आयात करता है । साथ ही आयात करता है इलेक्ट्रानिक्स, सोयाबीन, एयरक्राफ्ट (विशेष रूप से बोइंग) ; फार्मा, व्हीकलस्, मेडिकल उपकरण और मशीनरीज़  । जबकि वो अमेरिका को निर्यात करता है घरेलू समान; अपेरल्स , लेदर , खिलौने , स्पोर्टिंग गुड्ज़ , मेडिकल उपकरण ,मशीनरीज़, फर्निचर  इलेक्ट्रॉनिक्स आदि .

अमेरिका की मूलत: उपभोक्ता आधारित अर्थव्यवस्था है। एक अकेला अमेरिका वासी 35 भारतीयों के बराबर ऊर्जा हजम  कर डालता  है ; और 53 चीनीयों  के बराबर कुल वस्तु और सेवा का उपभोग। जबकि अमेरिका की  कुल जनसंख्या दुनिया की  मात्र 4% हैं। पर धरती पर एक तिहाई  कार्बन डाईआक्साइड और उतना ही ‘सालिड-वैस्ट’ छोड़ने का उसका अकेले का योगदान है।  दुनिया की कुल ऊर्जा का 5वां  हिस्सा अकेले उपभोग करता हैं। लेकिन ये सब अभी उधार पर चल रहा है । और उधार पर चलने वाली व्यवस्था के दिन लंबे नहीं होते ट्रम्प भी जानते हैं।

अब वो अमेरिका को  सप्लाइ साइड की और ले जाना  चाहते है। उसे  दुनिया का   मेन्यूफैक्चरिंग-हब  और सर्विस प्रदाता के रूप में देखना चाहते हैं ; कन्सम्शन से निकालकर प्रोडक्शन की और ले जाना चाहते हैं।उन्हें लगता है बढ़े हुए टेरिफ़ में चीन और अन्य देशों में काम कर रहीं अमेरिका की  कॉम्पनियों के लिए व्यवसाय महंगा हो जाएगा। और वो  अमेरिका में लौटकर  आने के लिए विवश हो जाएंगी।

और जबकि इसके साथ वर्तमान अवस्था में निवेशक स्टॉक मार्केट क्रैश होने की दशा में यूएस ट्रेसरी बॉन्ड की और अग्रेसर होंगे सो अलग। परिणाम में मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ी  तो व्याज दर नीचे आएगी , यहीं ट्रम्प चाहते हैं। क्यूंकी देश को     29 ट्रिलियन  डॉलर की जीडीपी के लिए राशी चाहिए  ।

दूसरी और ट्रम्प को लगता है देश की अर्थव्यवस्था कुछ ज्यादा ही सरकार पर आश्रित हो चुकी है। इसलिए उन्होंने सरकारी व्यय को कम करने की दिशा में कदम पहले ही निकाल दिये  हैं। सरकारी नौकरी, मेडिकेयर, खाद आपूर्ति और गृह भत्ता आदि को कम करने की दिशा में उन्होनें कढ़े कदम उठाए हैं। इसका  एक लाभ ये होगा कि अब लोग अपनी जरूरत के लिए श्रम की और अग्रसर होंगे, और भविष्य में लगने वाले उद्धोग आदि के लिए आवश्यक श्रम-शक्ति  सस्ती  हो जाएगी। ट्रम्प भी तो यही चाहते हैं।

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Rajesh Pathak
Rajesh Pathak
Writing articles for the last 25 years. Hitvada, Free Press Journal, Organiser, Hans India, Central Chronicle, Uday India, Swadesh, Navbharat and now HinduPost are the news outlets where my articles have been published.

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