झारखंड में हाल ही में रिबिका पहाड़िया की नृशंस हत्या हुई है और लोग अभी तक उससे उबर नहीं पाए हैं। परन्तु झारखंड में यह घटना अकेली या एकमात्र नहीं है। कुछ महीने पहले हमने देखा था कि कैसे अंकिता को शाहरुख ने जिंदा जला दिया था। इतना ही नहीं जैसे ही अंकिता की मृत्यु हुई थी वैसे ही अंकिता को बदनाम करने के लिए और मामले को लव जिहाद जैसे षड्यंत्र से हल्का करने के लिए उसकी एडिटेड तस्वीरें भी बना दी गयी थीं।
परन्तु षड्यंत्र इतना ही नहीं है। यह षड्यंत्र बहुत बड़ा है और यह षड्यंत्र है झारखंड में संथाल की डेमोग्राफी अर्थात जनसांख्यकीय बदलने का। अभी हाल ही में लोकसभा में भी गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सकरार से राष्ट्रीय जनसँख्या रजिस्टर बनाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि झारखंड में जनजातियों की संख्या तेजी से घटती जा रही है, उन्होंने कहा कि 1901 में साहिबगंज जिले में आदिवासियों की जनसंख्या 35 प्रतिशत थी, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या मात्र 9 प्रतिशत ही थी। आज आदिवासियों की जनसंख्या महज 24 प्रतिशत रह गई है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों की जनसंख्या 9 से बढ़कर 35 प्रतिशत पहुंच गई है।
इससे पहले भास्कर में भी एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें यह लिखा था कि कैसे जनजातीय महिलाओं से एक षड्यंत्र के चलते शादी करके पीएफआई के लोग वहां की डेमोग्राफी बदल रहे हैं। इस रिपोर्ट में भाजपा सांसद समीर उरांव के हवाले से यह कहा गया था कि एक साज़िश के चलते वह लोग ऐसा कर रहे हैं।
दैनिक जागरण में दिनांक 21 दिसंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठ एवं मतांतरण से संताल परगना की तस्वीर बदल रही है। इसमें लिखा गया है कि कैसे साहिबगंज में लगातार डेमोग्राफी बदल रही है।
वहीं लव जिहाद का सीधा सीधा सम्बन्ध अब लैंड जिहाद से निकल रहा है। जनजातीय लड़कियों से शादी करके पीएफआई के सदस्यों ने संथाल में १० हजार एकड़ जमीन खरीद ली है।
झारखंड में जैसे जैसे मुस्लिमों की संख्या बढ़ रही है, वैसे वैसे ही लड़कियों के साथ अत्याचारों की संख्या भी बढ़ी है। स्पेशल ब्रांच की एक रिपोर्ट कहती है कि नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस से बचने के लिए ही पीएफआई के सदस्य जनजातीय लड़कियों से शादी करके उनके नाम से जमीन खरीद रहे हैं और ऐसा करके बांग्लादेशी घुसपैठिये भी खुद को आसानी से झारखंड का निवासी बता देते हैं। भास्कर के अनुसार “राजमहल, उधवा, तालझारी और बरहेट प्रखंड के अयोध्या, जोगोटोला, वृंदावन, करमटोला, महाराजपुर, बालूग्राम, गंगटिया, पहाड़ बाजार और पाकुड़ के चंद्रापाड़ा, राशिपुर, जोगाडीह व पादरकोला गांवों में इन्होंने सबसे ज्यादा जमीनें खरीदी हैं। कई गांवों में इन्होंने जमीन पर कब्जा कर लिया और बाद में औने-पौने दाम पर इसे खरीद लिया। रिपोर्ट के अनुसार पीएफआई सदस्यों के साथ-साथ बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी चल-अचल संपत्ति खरीदने के लिए फंडिंग करती है।“
इन घटनाओं को लेकर अब राजनीतिक कुश्ती भी आरम्भ हो गयी है और भारतीय जनता पार्टी झारखंड सरकार पर हमलावर हो गयी है। कल ही भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता तुहिन ए सिन्हा ने हेमंत सोरेन को निशाना बनाकर एक लेख लिखा है कि कैसे हेमंत सोरेन ने झारखंड का सामाजिक तानाबाना नष्ट कर दिया है।
इसमें इन्होनें प्रश्न पूछा कि क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद ही प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के साथ कार्य कर रहे हैं क्योंकि पीएफआई संथाल परगना में अधिक मजबूती से अपने पैर जमाता जा रहा है? उन्होंने लिखा कि जहाँ एक ओर उत्तरी झारखंड में लव जिहाद अपने चरम पर है तो वहीं दक्षिणी झारखंड में मुख्यमंत्री यह प्रयास कर रहे हैं कि वह जनजातीय एवं गैर जनजातियों के बीच और विवाद उत्पन्न कर सकें।
भारतीय जनता पार्टी जहां लोकसभा एवं विधानसभा हर स्थान पर यह प्रश्न उठा रही है तो वहीं ऐसे में सरकार का एवं जनजातीयहिन्दू नहीं कहने वाली लॉबी का इन सब ज्वलंत प्रश्नों पर मौन कहीं न कहीं समझ से परे है क्योंकि शिकार जनजातीय लडकियां हो रही हैं। रिबिका पहाड़िया के साथ तो नृशंसता की हर सीमा ही पार हो गयी थी, फिर भी आदिवासियों के लिए कथित रूप से काम करने वाले लोग मौन हैं
जागरण की एक और रिपोर्ट के अनुसार साहिबगंज संथाल परगना में जनजातीय युवतियों से मुस्लिम युवाओं के प्रेम प्रसंग, दुष्कर्म आदि के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। इसके अनुसार जहां मुस्लिम युवक एक से अधिक निकाह कर सकते हैं तो वहीं आदिवासियों में भी ऐसी शादियों से परहेज नहीं है। इसमें लिखा है कि ऐसी शादियों के बहुत फायदे होते हैं। जिनमें पत्नी को आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर मुस्लिम युवक चुनाव लड़वाते हैं। नकी राजनीतिक शक्ति का उपयोग करते हैं। अधिकतर पहाड़िया आदिवासियों के पास काफी जमीन भी है। शादी के बाद उन जमीनों पर कब्जा कर लेते हैं और इस तरह से मुस्लिम समुदाय के लोग पहाड़िया गांवों में अपनी पैठ बनाते हैं। वहां के किशोर-किशोरियों को महानगरों में भी ले जाकर बेच देते हैं। मानव तस्करी के ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। इस प्रकार आदिवासी युवतियों को फांसने के कई फायदे मिल जाते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मामले को हर मंच पर उठा रहे हैं एवं विरोध कर रहे हैं। परन्तु वह लॉबी जो आदिवासियों को हिन्दुओं के विरुद्ध भडकाती है, वह आदिवासियों के साथ होते इतने बड़े अत्याचार पर मौन है!