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Saturday, May 4, 2024

कांग्रेस की “अनपढ़” धरोहर विजयलक्ष्मी पंडित

कहानी नेहरू की “अनपढ़” बहन की… जिसे नेहरू ने सोवियत संघ, अमेरिका और ब्रिटेन में भारत का राजदूत / हाई कमिश्नर बनाया। वो “अनपढ़” बहन जिसने कॉलेज तो छोड़िये, स्कूल का भी मुंह नहीं देखा था, फिर भी उसे यूपी में मंत्री बनाया, महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया और सांसद भी बनाया।

इस “अनपढ़” बहन को 8 करोड़ लाशों पर खड़ा चीन का तानाशाह माओ-त्से-तुंग अहिंसा के पुजारी गांधी की तरह लगता था। वो “अनपढ़” बहन जिसने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट मिलने में अडंगा डाला। कांग्रेस के धूर्त और मक्कार इतिहासकारों ने आज विजयलक्ष्मी पंडित पर बहुत लिखा, लेकिन असली बातें छुपा लीं।

ये कहानी ज़रा लंबी है, लेकिन सुनना बहुत ज़रूरी है। वो इसलिए क्योंकि जब इस देश में अनपढ़ नेताओं, नेताओं की फर्जी डिग्री और न जाने क्या-क्या चर्चा चल रही है तो आपको पता होना चाहिए कि परिवारवाद का वो काला सच जिसमें एक अनपढ़ इंसान सारी ऊंचाइयां पा लेता है, क्योंकि उसका जन्म आनंद भवन में हुआ था।

जवाहरलाल नेहरू की छोटी बहन विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म आज ही के दिन 18 अगस्त 1900 को आनंद भवन में हुआ था। वो बचपन में कभी स्कूल नहीं गईं तो फिर कॉलेज कैसे जातीं??? घर में रहने वाली एक अंग्रेज़ आया (केयर टेकर) जेन हूपर ने इन्हें अक्षर ज्ञान और थोड़ी बहुत शिक्षा दे दी। लेकिन जब आप नेहरू खानदान के चश्मों चिराग हो तो फिर किसी डिग्री की क्या ज़रूरत है? अब इनका करियर ग्राफ और इनके कारनामे देखिये – यूपी (तब यूनाइटेड प्रोविंस) की स्वास्थ्य मंत्री 1937 के चुनावों में ये विधायक चुनी गईं और कांग्रेस की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनीं।

आप लोग नाहक ही तेजू भैया (तेज प्रताप यादव) पर सवाल उठाते हैं। जब विजय लक्ष्मी पंडित यूपी की स्वास्थ्य मंत्री बन सकती हैं, तो हमारे तेजू भैया बिहार के स्वास्थ्य की देखभाल क्यों नहीं कर सकते??? सोवियत संघ (वर्तमान रूस) में भारत की प्रथम राजदूत विदेश नीति से नेहरू-गांधी परिवार का पुराना नाता है। नेहरू से लेकर राहुल-प्रियंका तक, सब खुद को विदेश नीति का एक्सपर्ट समझते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि नेहरू-गांधी परिवार के बच्चे स्कूल में एडमिशन नहीं लेते, बल्कि वो सीधे यूनाइटेड नेशन्स में पढ़ने चले जाते हैं, जहां वो A फॉर America, B फॉर Britain और C फॉर China सीखते हैं। नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित भी ऐसी ही हाईली टैलेंटेड थीं

1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो नेहरू ने अपनी बहन विजय लक्ष्मी पंडित को भारत का राजदूत बना कर भेज दिया। ये 1949 तक इस पद पर रहीं और बेहद नाकाम साबित हुईं। तानाशाह स्टालिन पूरे दो साल तक नेहरू की इस अनपढ़ बहन से नहीं मिला। भारत और सोवियत संघ के संबंधों का ये सबसे ठंडा दौर था। मास्को में रहने के दौरान इनकी वजह से भारत को काफी बदनामी झेलनी पड़ी। आरोप है कि इन्होंने अपने सरकारी घर के लिये मास्को के बजाय स्वीडन के स्टॉकहोम से महंगा फर्नीचर खरीदा। जिस पर सोवियत संघ सरकार ने आपत्ति जताई।

गांधी ने भी विजय लक्ष्मी पंडित की इस फिजूलखर्ची पर आलोचना की थी, इस पर नेहरू को सफाई देनी पड़ी। अमेरिका में भारत की राजदूत जब विजय लक्ष्मी पंडित की दाल स्टालिन के सामने नहीं गली तो इन्हें इनके जवाहर भैया ने 1949 में वाशिंगटन में भारत का राजदूत बना कर भेज दिया। यहां भी इन्होंने बंटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अमेरिका और ब्रिटेन चाहते थे कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में चीन की बजाय भारत को स्थायी सीट दी जाये।

इस प्रस्ताव की जानकारी जब विजयलक्ष्मी को मिली तो उन्होंने अपने भाई प्रधानमंत्री नेहरु को 24 अगस्त 1949 को एक पत्र और बताया कि – अमेरिकी विदेश मंत्रालय में भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिलने की चर्चा चल रही और भारत के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन मैंने सलाह दी है कि इस मामले में धीमे चलें क्योंकि भारत इसे पसंद नहीं करेगा।

जवाब में पंडित नेहरू ने अपनी बहन को लिखा कि – हम चीन के बदले ये जगह नहीं ले सकते। ये बुरी बात होगी। ये चीन का अपमान होगा। हमारे चीन से संबंध बिगड़ जाएंगे। हम यही प्रयास करेंगे कि चीन को स्थायी सदस्यता मिले। मतलब भारत के हाथ में इतना बड़ा मौका आ रहा था और भाई-बहन की इस जोड़ी ने इसे ठुकरा दिया।

(नोट – सुनो लिबरू गैंग, अगर तुम्हें कोई शक है कि ऐसा नहीं हुआ था, तो भैया-बहिन के ये सारे पत्र “नेहरू म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी”… ओह सॉरी-सॉरी… अब इसका नाम बदल गया है… “प्राइम मिनिस्टर म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी” में Vijaya Lakshmi Pandit Papers, 1st Installment – Pandit 1, File No. 59 में पड़े हुए हैं। तीन मूर्ति भवन में जाकर चेक कर लेना।)

अनपढ़ बहन को फिर चीन भेजा नेहरू ने चीन के तानाशाह माओ त्से तुंग और चाऊ एन लाइ का मन टटोलने के लिए 1952 में अपनी लाड़ली बहन विजयलक्ष्मी पंडित को बीजिंग भेजा। इस यात्रा में क्या हुआ इसका संपूर्ण वर्णन लिबरू गैंग के प्रिय वामपंथी इतिहासकार कॉमरेड रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक “भारत – गांधी के बाद” के पेज नंबर 212 पर लिखते हैं – विजय लक्ष्मी पंडित ने अपने भाई नेहरू को पत्र में लिखा कि – “माओ बहुत कम बोलते हैं लेकिन उनमें गज़ब का सेंस ऑफ ह्यूमर है। जब वो जनता के बीच होते हैं तो वो गांधी की तरह लगते हैं। महात्मा गांधी की तरह जनता न केवल उनकी प्रशंसा करती है बल्कि उनकी पूजा करती है। जो भी उनकी तरफ देखता है उसमें प्रेम और प्रशंसा दोनों का भाव छुपा होता है। उन्हे देखना बड़ा ही भावनात्मक पल है।”

वाह… 8 करोड़ इंसानी लाशों पर खड़ा चीन का ये शैतान तानाशाह माओ-त्से-तुंग इस अनपढ़ बहन को गांधी की तरह दिख रहा था। अब देखिए नेहरू की ये लाडली बहन चीन के एक और नेता चाउ एन लाई के लिए क्या लिखती है… विजय लक्ष्मी का ये पत्र भी कॉमरेड रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक में छापा है, अनपढ़ बहन लिखती है – “चाउ एन लाई लोगों को हंसने पर मजबूर कर देते हैं और खुद भी अक्सर हंसते रहते हैं। हम लोगों ने बेहतरीन शराब पी और स्वादिष्ट खाना खाया। फिर दोनों देशों के बीच मित्रता, संस्कृति और शांति की बातें हुईं। ये बातें तब तक होती रहीं जब तक कि हम थककर चूर नहीं हो गये।

वो आगे लिखती हैं कि मास्को की तरह यहां लोगों पर अत्याचार नहीं किया जा रहा और चीन में हर आदमी खुश लगता है।” चीन में आठ करोड़ लोग मार दिये गये और इस अनपढ़ महिला को सब खुश दिख रहे थे। नेहरू ने विजयलक्ष्मी पंडित की सलाह पर अमल किया और चीन से दोस्ती की राह पर आगे चल निकले और बाद में इसी माओ और चाऊ की जोड़ ने 1962 में भारत की पीठ पर खंजर भोंक दिया।

तो ये था परिवारवाद का दंश… ये था अनपढ़ों के हाथ में शक्ति देने का पाप

(This article has been compiled from the tweet thread posted by @Prakharshri78 on August 18, 2023, with minor edits to improve readability and conform to HinduPost style guide)

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