पाकिस्तान के सियालकोट से एक अत्यंत दर्दनाक समाचार आ रहा है, जिसमें एक श्रीलंकाई नागरिक को सियालकोट में तड़पा तड़पा कर मारा और फिर उसके शरीर को आग के हवाले कर दिया। दिल को दहला देने वाली इस घटना से पाकिस्तान से लेकर भारत तक लोग भड़के हुए हैं। समाचार के अनुसार मृतक प्रियांता कुमारा जो श्रीलंका के नागरिक थे और वह सियालकोट में रहते थे।
जो वीडियो आया है वह इतना वीभत्स है कि उसे देखा जाना अत्यंत मुश्किल है। मजहब के नाम पर की जाने वाली हत्याओं और लिंचिंग में में और नाम जुड़ गया। ब्लेसफेमी के नाम पर की गयी हत्या में साफ़ दिख रहा है कि कैसे लोग प्रियांता कुमारा को घेर कर मार रहे हैं। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर इसकी निंदा की जाने लगी।
उत्तेजक और भड़काऊ नारे:
वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि लोगों को भड़काया जा रहा है कि “काफिर के बच्चे ने कुरआन की आयतें डस्टबिन में फेंकी हैं। ”
प्रियांता कुमारा एक प्राइवेट फैक्ट्री में एक्सपोर्ट मैनेजर के रूप में कार्य करते थे। उन पर फैक्ट्री के ही लोगों ने ब्लेसफेमी का आरोप लगाते हुए हमला किया और फिर मारते मारते उनकी हत्या कर दी। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वह बेसुध हुए थे और फिर उसके बाद उन्हें ऐसे ही जला दिया गया।
यह हत्या क्यों की गयी और आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे लोग इतने आक्रोशित हो गए कि उन्होंने प्रियांता कुमारा की जान ले ली। पुलिस के अनुसार अभी जांच चल रही है।
पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री ने निंदा की:
पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने ट्वीट करके इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि वह इस घटना से दहल गए हैं और उन्होंने पुलिस को इस घटना की जाँच करने के लिए निर्देश दे दिए हैं। किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं हैं, और इस घटना के आरोपियों को छोड़ा नहीं जाएगा!
इस घटना की सोशल मीडिया पर भी जमकर आलोचना हो रही है। एक बात निश्चित तौर पर कही जा सकती है कि पाकिस्तान की छवि जितना अंतर्राष्ट्रीय मीडिया सुधारने की कोशिश करता है, उतना ही पाकिस्तान में होने वाली ऐसी घटनाएं वास्तविकता सामने ले आती हैं।
टीएलपी का हाथ होने की चर्चा:
इस वीभत्स घटना के पीछे टीएलपी का नाम आ रहा है जिस पर से हाल ही में प्रतिबन्ध हटा है। हालंकि कुछ लोगों का कहना है कि इस घटना के पीछे केवल फैक्ट्री के ही मजदूर शामिल हैं। पाकिस्तानी चैनल के अनुसार टीएलपी ने इस घटना की निंदा की है:
हालांकि कुछ लोग इसमें भारत को भी घसीट रहे हैं और उनका कहना है कि यह घटना पाकिस्तान और श्रीलंका के सम्बन्धों को बिगाड़ने के लिए की गयी है और इसमें भारत के हाथ को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
हालांकि ब्लेसफेमी के नाम पर होने वाली न ही यह पहली घटना है और न ही आख़िरी। अभी रविवार को ही चारसड्डा जिले में रविवार को मुस्लिमों की बेकाबू भीड़ ने एक ब्लेसफेमी के आरोपी को खुद के हवाले करने की मांग को लेकर हंगामा किया और पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी।
पहले भी हो चुकी है सियालकोट में ऐसी घटना:
जिस सियालकोट में आज श्रीलंका के नागरिक के साथ यह जघन्य घटना हुई है, वहीं पर वर्ष 2010 में दो भाइयों मुघीस और मुनीब को भीड़ द्वारा घेर कर मारडाला गया था।
ऐसी घटनाएँ वैश्विक हैं और पाकिस्तान में उसके नागरिकों के साथ भी होती हैं:
श्रीलंका के नागरिक होने के कारण और अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के खराब होने के भय के कारण इतना हंगामा हो रहा है, नहीं तो पाकिस्तान में आए दिन ब्लेसफेमी के नाम पर लोगों पर हमले होते रहते हैं। परन्तु इस घटना के कारण दो देशों के मध्य सम्बन्ध बिगड़ने का खतरा और डर है, जिसके कारण सरकार के स्तर पर यह प्रतिक्रिया हो रही है।
पाकिस्तान के नागरिक ट्वीट कर रहे हैं कि यह सच्चे इस्लाम का पालन करने वाले नहीं हैं, परन्तु जहाँ जहाँ इस्लाम है, वहां वहां गैर-मुस्लिम लोगों के साथ लगभग कभी न कभी ऐसा होता ही है। भारत में भी जब यह लोग नाराज होते हैं, तो यही नारा लगाते हैं “सर तन से जुदा!” जैसे अभी वसीम रिजवी के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, डासना के महंत यति नरसिम्हानन्द सरस्वती के खिलाफ लगा रहे थे और कमलेश तिवारी का तो सिर तन से अलग कर ही दिया था।
फ्रांस में एक शिक्षक की तो गला काटकर हत्या कर दी थी क्योंकि उसने कथित रूप से पैगम्बर का चित्र दिखाया था, मगर बाद में पता चला था कि उस शिक्षक ने ऐसा कुछ किया ही नहीं था, बच्ची ने झूठ बोला था और इसी झूठ के चलते उस शिक्षक का गला काट दिया था इस्लामिक कट्टरपंथियों ने!
ब्लेसफेमी के नाम पर ही बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान हिंसा का नंगा नाच वहां के हिन्दुओं ने देखा था और न जाने कितने लोग मार डाले थे। यह एक पैटर्न है! जैसे फ़्रांस में हुआ था कि लड़की ने झूठ बोल दिया था और फिर उसके आधार पर शिक्षक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
इस घटना की निंदा करने के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल भी आगे आई है, और कहा है कि ब्लेसफेमी आरोप के चलते एक श्रीलंकाई नागरिक की हत्या चौंकाने वाली और स्तब्ध करने वाली है।
मानवाधिकार मंत्री ने भी कहा कि यह डरावनी घटना है और किसी को भी कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। पंजाब की सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए:
श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर भी पहले हमला हो चुका है:
वैसे श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर वर्ष 2009 में पाकिस्तान में हमला हो चुका है। लाहौर में उनकी टीम को आतंकवादियों ने घेर लिया था और जानलेवा हमला कर दिया था। इसी घटना की तरह उस घटना ने भी विश्व को स्तब्ध कर दिया था।
तो कहा जा सकता है कि न ही पाकिस्तान में ब्लेसफेमी के नाम पर झूठे आरोप लगाकर निर्दोष लोगों को मारना नई घटना है और न ही लिंचिंग नई घटना है, देखना होगा कि दोषियों को क्या दंड मिलता है क्योंकि ब्लेसफेमी के दोषियों को दंड मिलना भी पाकिस्तान में अत्यंत कठिन है!