हिन्दुओं के विरोध में हर सीमा पार करने वाले वामपंथी और कट्टर पढ़े लिए मुस्लिम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके साथ धोखा हो गया है। और धोखा भी उन्हीं के अपने सेक्युलर व्यक्ति ने किया है, जिसके लिए मोदी का विरोध ही परमधर्म था। परन्तु मजे की बात यही है कि वह व्यक्ति तो मोदी का विरोध करते करते तृणमूल कांग्रेस में एक बड़े पद पर आसीन हो चुके हैं और अपना एक स्टैंड पा चुके हैं।
साकेत गोखले ने मोदी के विरोध के नाम पर आरटीआई एक्टिविज्म के लिए पैसे इकट्ठे किए। और मोदी का विरोध करने वाले घृणा में इतने अंधे थे, कि उन्होंने साकेत गोखले पर आँख मूँद कर विश्वास किया। अब जब पैसा उनका लिया जा चुका है, तब वह साकेत से उसका सारा विवरण मांग रहे हैं, जबकि अब साकेत गोखने ने कहा कि वह एक भी पैसे का हिसाब नहीं देंगे! यह हिसाब वह क्यों नहीं देंगे क्योंकि वह इसके लिए खुद को बाध्य नहीं मानते हैं।
साकेत गोखले कई वर्षों से ऑनलाइन फंड रेजिंग अभियान चलाते आ रहे हैं और उन्होंने कई लाख रूपए इकट्ठे कर लिए थे। हिन्दुस्तानी मुस्लमान जैसी कविता लिखने वाले कट्टर मुस्लिम लेखक हुसैन हैदरी सहित कई लोग अब साकेत गोखले से हिसाब मांग रहे हैं, मगर साकेत गोखने हिसाब देने के लिए तैयार नहीं है। यह आरोप लग रहा है कि साकेत गोखले ने ऑनलाइन याचिकाएं तो मुफ्त में डाली थीं और यह भी आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने एक भी मुकदमे को न्यायालय में निष्कर्ष तक नहीं पहुँचाया है।
और साकेत गोखले ने अपने एक्टिविज्म ने एक भी पैसा खर्च नहीं किया है और जो भी पैसा उन्हें कांग्रेस के नेताओं, कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्ट से मिला था, वह अपने व्यक्तिगत व्यय के लिए प्रयोग कर लिया। आइये देखते हैं कि हैदरी ने क्या मांग की है:
हुसैन हैदरी ने मांग की कि जो भी प्रभावशाली लोग साकेत गोखले को दान दे सकते हैं, वह मूलभूत जिम्मेदारी मांगने में मदद करें:
साकेत गोखले से सीए से ऑडिट की गयी रसीद और भुगतान खाते की मांग की जाए, और उसमें कैश बुक और बैंक खाता भी सम्मिलित हो, कितना काम हो गया है, उसकी रिपोर्ट, और फंड की स्थिति।
हुसैन हैदरी ने कहा कि यह भी खतरा है कि उस इंसान ने अक्सर यह कहते हुए जबाव दिया है कि “तुमने मुझे दान नहीं किया था” या फिर “अपने पैसे वापस ले लो!” और इस प्रकार से कथित निस्वार्थ एक्टिविस्ट की जनता के प्रति जिम्मेदारी से हाथ झाड देना बहुत चिंता का विषय होना चाहिए था।
फिर वह लिखते हैं कि हर किसी को यह समझना चाहिए कि जिन्हें दान मिला उन्होंने अपना कैरियर बना लिया। जब वह “ट्विटर से बाहर की विश्वसनीयता के बारे में बात करते हैं, तो वह भूल जाते हैं कि उनके अधिकतर दान और शिकायत दर्ज करने की ख़बरें twitter से ही आई हैं।
हुसैन यह भी कहते हैं कि यह बड़ा काम नहीं है। साकेत गोखले को हजारों लोगों ने दान दिया है और राजनीतिक स्थिति को प्राप्त करने में सीधे रूप में सहायता की है।
हुसैन हैदरी के बाद कई और लोगों ने इस विषय पर अपने विचार रखे और लगभग सभी में ठगे जाने की भावना थी। एक यूजर ने प्रश्न किया कि कुछ दिन पहले तक साकेत गोखले और लोगों पर प्रश्न उठा रहा था और अब लोग साकेत गोखले से पूछ रहे हैं कि उन्होंने जनता के पैसे का क्या किया?
एक यूजर ने कहा कि साकेत गोखले ने एक साल में मोदी के खिलाफ घृणा फ़ैलाने के लिए 76 लाख के लगभग क्राउडफंडिंग की और टीएमसी में एक आधिकारिक पद पर चला गया।
हुसैन हैदरी ने यह भी ट्वीट किया कि sसाकेत गोखले यह भी नहीं बताने के लिए तैयार है कि उसने कितने पैसे इकट्ठे किए, खर्च की बात तो भूल ही जाया जाए!
मुस्लिमों का विश्वास बहुत तेजी से टूटा है, हुसैन हैदरी ने प्रश्न उठाया था कि हरिद्वार की धर्मसंसद में किस पार्टी ने शिकायत दर्ज की है और तृणमूल कांग्रेस ने भी शिकायत दर्ज नहीं कराई है:
इस पर हिबा बेग ने भी प्रश्न किया कि आपके लिए हमारे दिल में आदर था, मगर इसकी जरूरत नहीं थी। हुसैन ने एक सही सवाल किया था, आपने एक भी जबाव नहीं दिया है:
साकेत गोखले ने स्पष्ट किया कि उसने वह रूपए केवल अपने खर्च के लिए मांगे थे, जिससे वह मोदी के खिलाफ खुलकर काम कर सके:
साकेत गोखले ने कहा कि वह उसने वह पैसा सैलेरी के रूप में प्रयोग करने के लिए लिया था और वह पहले ही दिन से स्पष्ट कर दिया था।
इस बात को लेकर भी लोग संतुष्ट नहीं हुए। एक यूजर ने लिखा कि साकेत गोखले ही पहला ऐसा मामला नहीं है जब आरटीआई कार्यकर्ता ने लोगों को ठगा हो। केजरीवाल भी यह कर चुके हैं, और फिर एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें सागरिका घोष और अरुंधती रॉय केजरीवाल जैसों की वास्तविकता बता रही हैं।
दरअसल हुसैन हैदरी और साकेत गोखले के बीच जो हुआ है, वह घृणा का ही खेल है। जब आप मात्र घृणा को ही अपना जीवन बना लेते हैं तो आपके साथ ठगी होनी निश्चित है।यह चोर के घर चोरी वाली कहावत है, जो इन घृणा के सौदागरों के लिए सटीक बैठती है!