देश भर में आतंकवाद फंडिंग और ट्रेनिंग कैंप चलाने के मामले में आज पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के विरुद्ध देशभर में कड़ा प्रहार हुआ है। उत्तरप्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु समेत देश के 12 राज्यों में एनआईए और ईडी की टीम ने सुबह 4 बजे से छापेमारी शुरू कर दी। पीएफआई के राज्य से लेकर जिला स्तर के नेताओं की धरपकड़ की जा रही है, ज्ञात समाचारों के अनुसार अभी तक 100 से अधिक कैडर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसे एनआईए का अभी तक का सबसे बड़ा जांच अभियान बताया जा रहा है।
प्राप्त सूचना के अनुसार एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किये गए अपराधियों को जल्दी ही दिल्ली लाया जाने वाला है, इस बीच दिल्ली स्थित एनआईए हेडक्वार्टर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। खुफिया विभाग के अनुसार पीएफआई ने पुणे को अपना केंद्र बनाया हुआ था, जहाँ कई प्रकार के आतंकवादी प्रशिक्षण दिए जाते हैं। वहीं, पीएफआई का छात्र संगठन एसडीपीआई भी जालना और औरंगाबाद में मुस्लिमों को भड़का कर उन्हें अपना सदस्य बना रही है।
आतंक पर सबसे बड़ा और करारा प्रहार
जैसा कि ज्ञात है, पीएफआई एक आतंकी संगठन है, जिसका नाम देशभर में हुई आतंकी घटनाओं और हिंसक प्रदर्शनों में आ चुका है।
आज एनआईए के साथ ईडी और राज्यों की पुलिस ने एक साथ ५० से अधिक जगह एक साथ छापे मारे और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों के अनुसार सबसे अधिक गिरफ्तारियां केरल (22), महाराष्ट्र (20), कर्नाटक (20), तमिलनाडु (10), असम (9), उत्तर प्रदेश (8), आंध्र प्रदेश (5), मध्य प्रदेश (4), पुडुचेरी (3), दिल्ली (3) और राजस्थान (2) में की गईं हैं। वाहन कई राज्यों में पीएफआई के स्थानीय मुखियाओं को भी गिरफ्तार किया गया है।
पीएफआई अध्यक्ष गिरफ्तार, जिहादी तत्वों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया
इस कार्यवाही में मलप्पुरम जिले के मंजेरी में पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमा सलाम के अतिरिक्त दिल्ली पीएफआई के प्रमुख परवेज अहमद के घर पर छापेमारी की और गिरफ्तार कर लिया है। इस दौरान पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया। वहीं कर्नाटक के मंगलुरु में भी छापेमारी के विरोध में पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यकर्ता उग्र प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया?
पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में की गई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में है। वैसे तो इसको एक नया संगठन बताया जाता है, लेकिन इसके अधिकांश कार्यकर्त्ता और नेतृत्व सिमी से सम्बंधित है, जो स्वयं एक प्रतिबंधित आतंकवादी रहा है। यह संगठन भारत में तथाकथित शोषित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने का प्रयास करने का दावा करता है। हालांकि यह एक आतंकवादी संगठन है, और इसका एक ही उद्देश्य है, भारत को 2047 से पहले इस्लामिक मुल्क बनाना।
यह संगठन देशभर में सक्रिय है, इसके सदस्य स्थानीय मुस्लिमो को भ्रमित कर भर्ती करते हैं, और उनके द्वारा देश विरोधी गतिविधियां करवाते हैं। देश में पिछले कुछ समय में हुए हिंसक और मजहबी प्रदर्शनों, जैसे नागरिकता अधिनियम कानून, हिजाब विवाद, किसानों के विरोध प्र्दशन, और दिल्ली के दंगों में भी इस संगठन के संलिप्त होने के साक्ष्य मिले हैं।
पीएफआई कुछ समय से थी केंद्र सरकार के निशाने पर
यहाँ यह बताना महत्वपूर्ण है कि पीएफआई पिछले कुछ समय से केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर है। ईडी देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी प्रदर्शनों, फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों को भड़काने, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक दलित महिला से कथित सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत के मामले में साजिश रचने और कुछ अन्य आरोपों को लेकर पीएफआई के कथित ‘वित्तीय संबंधों’ की जांच कर रही है।
जांच एजेंसी ने लखनऊ में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में पीएफआई और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ दो आरोपपत्र भी दाखिल किए थे। ईडी ने पिछले वर्ष धन शोधन के आरोपों पर पीएफआई और उसकी छात्र इकाई कैंपल फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के विरुद्ध पहली प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। एजेंसी ने बताया था कि पीएफआई के सदस्य हाथरस के कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद ‘सांप्रदायिक दंगे भड़काना और आतंक का माहौल बनाना’ चाहते थे।
पीएफआई ने इसे बताया फासीवादी हमला
पीएफआई ने इस घटना पर वक्तव्य दिया है, और कहा कि, ‘पीएफआई के राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और स्थानीय नेताओं के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। हमारे राज्य समिति के कार्यालय की भी जांच की जा रही है। हम फासीवादी शासन द्वारा असंतोष की आवाज को दबाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने का कड़ा विरोध करते हैं।’
हालांकि पीएफआई यह बताना भूल गयी कि देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसके कार्यकर्त्ता क्यों लिप्त रहते हैं। वह यह बताना भूल गए कि उन्हें किस काम के लिए विदेशों से करोड़ों कि फंडिंग मिलती है?