महाशक्ति होने का दावा करने वाले अमेरिका से हैरान करने वाले समाचार आ रहे हैं। कोरोना में तो नए रिकार्ड्स स्थापित हो ही रहे हैं, परन्तु एक हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें ट्रेन से लोग अमेज़न जैसे रिटेलर्स का सामान लूट रहे हैं।
सीबीएसएलए की एक रिपोर्ट के अनुसार लॉस एंजेल्स में ट्रेन की पटरी के एक बड़े हिस्से में पूरी पटरियों पर हजारों की संख्या में बॉक्स और प्लास्टिक की पैकेजिंग फ़ैली हुई है, यह पटरी का वह हिस्सा है जहाँ पर युनियन पैसिफिक ट्रेन्स में से सामान उतारा जाता है।
इस रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि चोर कार्गो कंटेनर्स को चुरा रहे हैं और साथ ही वह उन सामानों को ले जा रहे हैं, जो उनके देश के असंख्य लोगों ने अमेजन आदि से ऑर्डर किए हैं। और जो उन्हें नहीं चाहिए होता है, उसे वह वहीं छोड़ जाते हैं।
इसी वेबसाईट के अनुसार उनके सोर्सेस ने उन्हें यह बताया कि युनियन पैसिफिक के ताले बहुत आसानी से काटे जा सकते हैं और लॉस एंजेल्स के पुलिस अधिकारियों ने यह कहा है कि जब तक युनियन पैसिफिक वाले उनसे मदद नहीं मांगते हैं, वह तब तक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं देते।
इस पटरी को तीन महीने पहले युनियन पैसिफिक ने पूरा साफ़ कराया था, मगर फिर तीस दिन पहले फिर से यह नए फटे बॉक्स से भर गया है।
एक और रिपोर्ट के अनुसार नवम्बर में एनबीसी4 को ऐसा ही एक कृत्य पूर्वी लॉस एंजेल्स में मिला था, जहाँ पर एनबीसी4 के अनुसार चोर यह देखते ही एक दूसरे को सजग कर देते हैं, कि उन्हें कोई देख रहा है।
इस वीडियो में साफ दिखाया है कि लोगों तक उनके सामान नहीं पहुँच रहे हैं और बीच से चोरी हो रहे हैं।
इससे पहले अगस्त में भी सीबीएसएलए की एक रिपोर्ट के अनुसार एक शिविर की सफाई करने वाला श्रमिकों को कार्गो का काफी सामान मिला था, जो कथित रूप से युनियन पेसिफिक ट्रेन्स से चुराया गया था। पुलिस के अनुसार ये श्रमिक ह्यूमन वे से टेम्पल अवेन्यु के बीच युनियन पैफिसिक रेलरोड की पटरियों के किनारे बने शिविर में थे, जहाँ पर उन्होंने पाया कि कुछ वस्तुएं तो ऐसी थीं, जो खुली ही नहीं थीं।
पुलिस के अनुसार कई युनियन पेसिफिक ट्रेन्स हाल ही के महीनों में चोरी का शिकार हुई हैं।
भारत में पत्रकार ने वीडियो को देखकर कहा “मुझे लगा यह भारत है!”
यह वीडियो चोरी का है, यह वीडियो ट्रेन में डकैती का है, और यह वीडियो कथित विकसित देशों की उस सच्चाई का है, जो चमक दमक के बीच दबी हुई है। यह वीडियो “महाशक्ति” अमेरिका के कथित सभ्य होने का भ्रम तोड़ने वाला है। परन्तु भारत में रहने वाली लौरेन फ्रेयर जो एनपीआर मीडिया के साथ काम करती हैं, उन्होंने भारत का मजाक उड़ाते हुए वह वीडियो साझा करते हुए लिखा
“पहली नजर में मुझे लगा कि यह भारत है!”

इस ट्वीट पर लोगों ने बहुत विरोध किया। भारत में कहाँ पर ऐसी चोरी और डकैती होती है? भारत के कौन से रेलवे ट्रैक पर इस प्रकार लोग टूट पड़ते हैं? कहीं भी नहीं!
इस पर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूटा और लोगों ने और भी वीडियो साझा किये
एक यूजर ने कैलिफोर्निया का वीडियो साझा करते हुए कहा कि “यह कैलिफोर्निया है, और मैं यह जानता हूँ”
इस ट्वीट का विरोध कई पत्रकारों ने भी किया। आदित्य राज कॉल ने लिखा कि यह बहुत ही दुखद कमेन्ट है। भारत इस बदसूरत स्टीरियोटिपिकल कमेंट्री से कहीं अधिक है। पूरे विश्व को महान ज्ञान, परम्परा और वैक्सीन के लिए विज्ञान देने के अतिरिक्त अपने सामने कई चुनौतियों तक, हमने बहुत कुछ दिया है। हमने वह सब किया है। हम सपेरों का ही मात्र देश नहीं हैं, हमने ज्ञान दिया है!
लोगों ने इस औप्निवेसिक मानसिकता के विरुद्ध भी लिखा, एक यूजर ने लिखा कि आपको केवल अपनी दृष्टि ही नहीं बदलनी है बल्कि साथ ही आपको तत्काल ही अपने दिमाग में एक देश के प्रति घृणा को भी साफ़ करना है,
एक यूजर ने एनपीआर द्वारा दिखाए जा रहे हिन्दुफोबिया पर भी टिप्पणी करते हुए लिखा कि फुरकान खान के बकवास हिन्दुफोबिया के बाद, आप भारतीयों पर इतनी असंवेदनशील टिप्पणी कैसे कर सकती हैं? ऐसा लगता है जैसे एनपीआर अब हिन्दू विरोधी होने के बाद भारत विरोधी हो गया है
जब लौरेन की इतनी आलोचना हुई और सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें आईना दिखाया तो आज उन्होंने वह ट्वीट डिलीट कर दिया और लिखा कि वह असंवेदनशील था!
दरअसल वह असंवेदनशील तो था ही, वह पश्चिम की उस गोरी मानसिकता का ट्वीट था, जो अपने आपको सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, जो समूचे विश्व का उद्धारक स्वयं को मानते हैं। गंदगी पर नहीं, लूट की मानसिकता उस भारत पर थोपने का कुत्सित प्रयास था, जिसे पश्चिम ने लूटा है!
परन्तु इसमें जितना दोष विदेशी पत्रकारों का है, उतना ही दोष हमारी पूर्ववर्ती सरकारों का भी है, जहाँ पर विदेशियों को “गरीबी पर्यटन” पर लेकर जाया जाता था। विदेशी मीडिया में भारत की वह तस्वीरें प्रकाशित हुआ करती थीं और अभी भी होती हैं, जहाँ पर मात्र स्वयं के अस्तित्व के प्रति शर्म है।

भारत के प्रति दुराग्रह पश्चिमी मीडिया में बार बार दिखता है
भारत के प्रति पश्चिमी मीडिया का दृष्टिकोण क्या है, वह कोविड 19 के कवरेज से एवं उससे पहले मंगलयान अभियान के विषय में जो अपमानजनक कार्टून बनाए गए उससे पता चलता जाएगा।

पूरा यूरोप और अमेरिका जिस वायरस के आगे घुटने टेक चुका था, उसे भारत में चुनौती मिली। जो मृत्यु हुईं, वह दुखद हैं, परन्तु यह महामारी है, और वैश्विक महामारी है, फिर भी भारत की जलती चिताओं की तस्वीरें बार बार दिखाई गईं, बार बार लोगों की निजता को तोड़ा गया, बार बार भारत को वैश्विक पटल पर अपमानित किया गया, परन्तु अमेरिका में, जहाँ पर अभी तक कोविड का कहर बरपा हुआ है, वहां के किसी कब्रगाह की तस्वीरें नहीं आईं?
भारत के प्रति यह घृणा क्यों?
वह वीडियो ट्रेन में लूट का और अमेरिका के निवासियों द्वारा की जा रही लूट का था, भारत में कहाँ पर ऐसी लूटें होती हैं? परन्तु पश्चिम का मीडिया और पश्चिम के लोग भारत के प्रति इतने दुराग्रह से भरे हैं कि वह भारत के खिलाफ झूठे समाचार फैलाते रहते हैं। यह पत्रकार भी झूठ फैलाते हुए पहले पकड़ी गयी थीं:
एनपीआर में कार्यरत फुरकान खान ने वर्ष 2019 में हिन्दुओं के विषय में लिखा था कि अगर भारतीय हिन्दू धर्म को छोड़ दें तो वह अधिकतर समस्याओं से बच सकते हैं, क्योंकि वह गौ मूत्र पीने वाले और गोबर की पूजा करने वाले होते हैं।
हालांकि बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया था और माफी मांगी थी। बाद में उन्होंने एनपीआर से इस्तीफा दे दिया था।
परन्तु पश्चिमी मीडिया हिन्दुफोबिया से होते हुए अब भारत विरोधी हो गया है। कारण यही है कि उनका मीडिया अपने विषय में सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करता है और हमारे बारे में मात्र कालापन दिखाता है, और हमारा मीडिया पश्चिम के हर कूड़े की बदबू को इत्र की सुगंध बताता है और हमारे यहाँ की हर अच्छी चीज़ को खलनायक बनाकर प्रस्तुत करता है। यहाँ की गरीबी, जिसके मूल में भी औपनिवेशिक इतिहास ही है, उसे पश्चिम को बेचकर पैसे कमाता है।
जैसा श्री वामसी जुलुरी ने कहा है कि “भारत के विरुद्ध मीडिया के पेशे में व्यक्तिगत दुराग्रह और पक्षपात की भावना है, और यह एक रणनीतिक दुराग्रह है जिसे उनके मीडिया विमर्श की व्याख्या में देखा जा सकता है।” यही वह दुराग्रह है जो पश्चिमी मीडिया और पत्रकारों द्वारा भारत विरोधी रिपोर्टिंग को जन्म देती है।