विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कश्मीर फाइल्स ने पत्रकारिता के चेहरे को भी तार तार करके रख दिया है। अभी तक उस फिल्म के बहिष्कार का खेल चल रहा है। अब जबकि वह एक ऐसी फिल्म प्रमाणित हुई है, जिसने लॉकडाउन के बाद पैदा हुए सूखे को समाप्त किया और साथ ही उसने एक तरफ़ा एजेंडे को जैसे तोड़ मरोड़ कर रख दिया। आज तक वाम और इस्लाम की थाली पीटने वाले पत्रकारों, लेखकों का झूठ भी खुलकर सामने आ गया।
विवेक अग्निहोत्री के इसी दुस्साहस का परिणाम अब इस रूप में सामने आया है कि दिल्ली में उनकी प्रेस वार्ताएं ही नहीं आयोजित की जाने दे रही हैं। 3 मई को उनकी एक प्रेस वार्ता का आयोजन फॉरेन कोर्रेस्पोंदेंट्स क्लब अर्थात एफसीसी ने अपने यहाँ पर रद्द कर दिया था। उनकी यह प्रेस वार्ता दिनांक 5 मई को आयोजित की जाने वाली थी। परन्तु कुछ दबावों में आकर “द कश्मीर फाइल्स” पर आयोजित की जाने वाली वार्ता को रद्द कर दिया गया।
विवेक अग्निहोत्री ने इस सम्बन्ध में एक ट्वीट करके पूरी जानकारी बताई थी और कहा था कि उन्हें “घृणा अभियान” का हिस्सा बनाया गया है।
इस पर लोगों ने कहा कि प्रेस फ्रीडम दिवस के आयोजन पर ही विवेक अग्निहोत्री की ऐसी प्रेस वार्ता को रद्द कर दिया गया, जिसकी पहले से योजना बनी हुई थी!
विवेक अग्निहोत्री ने वहां की गवर्निंग कमिटी के बारे में भी लिखा और उन सदस्यों के नाम भी बताए। इस कदम से कश्मीरी विचारकों सहित कई अन्य लोगों ने भी आपत्ति जताई। परन्तु सबसे हैरान करने वाला तथ्य यह है कि जहाँ भारत में विदेशी मीडिया दिनों दिन किसी भी मुद्दे को अपने एजेंडे के अनुसार कोई भी रूप दे सकते हैं, परन्तु वह कश्मीर पंडितों की पीड़ा को बताती हुई किसी फिल्म पर चर्चा हो, ऐसा नहीं हो सकता!
हमने कोरोना की दूसरी लहर में देखा था कि कैसे विदेशी मीडिया हाउसेस ने भारत को नीचा दिखाते हुए रिपोर्टिंग की थी। हमने देखा है कि कैसे कश्मीर के मामले पर ही यह लोग भारत के पक्ष को न दिखाकर मात्र कश्मीरी मुस्लिमों का ही पक्ष दिखाते रहते हैं, कश्मीरी पंडित आज तक किसी भी नैरेटिव का हिस्सा थे ही नहीं, फिर चाहे वह विदेशी प्रेस हो या फिर भारतीय प्रेस!
फिर अचानक से ही ऐसा क्या हुआ कि फ्री प्रेस की बात करने वाले, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले यह लोग अचानक से ही उस फिल्म के शत्रु बन गए जो एक समुदाय के उस जीनोसाइड को दिखाती है, जिस जीनोसाइड पर सभी मौन रहे थे।
इस मौन को ही अभी तक सत्य मानने वाले लोग अचानक से ही उबल पड़े हैं और यही कारण था कि उन्होंने इस फिल्म का विरोध न केवल लेख लिखकर किया है, बल्कि अब एफसीसी में और फिर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में भी प्रेस वार्ता रद्द करके किया है। यह देखना बहुत ही दुखद है कि जहाँ विदेशी अपने एजेंडे के कारण विवेक अग्निहोत्री को अभिव्यक्ति की मूल भूत आजादी भी नहीं देना चाहते हैं तो वहीं प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी यही चाल चलते हुए उनकी उस प्रेस कांफ्रेंस को रद्द कर दिया जो उन्होंने आयोजित की थी।
उनकी इस घोषणा पर कि वह 5 मई 2022 को प्रेस क्लब ऑफ india में एक ओपन हाउस पीसी रखेंगे, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने ट्वीट किया कि 5 मई को कोई भी आयोजन नहीं किया जा रहा है क्योंकि प्रेस क्लब केवल एडवांस बुकिंग के बाद ही प्रेस कांफ्रेंस की अनुमति देता है। और इसे क्लब के एक सदस्य द्वारा ही कराया जाना चाहिए!
परन्तु विवेक अग्निहोत्री ने आज उसके भी झूठ का पर्दाफाश करते हुए ट्वीट किया कि। प्रेस क्लब ने भी उनके इस आयोजन को रद्द कर दिया है और अभिव्यक्ति की आजादी के मसीहा लोगों ने मुझे अलोकतांत्रिक तरीके से प्रतिबंधित ही नहीं किया है, बल्कि वह झूठ भी बोल रहे हैं और उन्होंने रसीद भी दिखाई:
हालांकि इसके विरोध में पत्रकार और पीसीआई के सदस्य प्रमोद कुमार सिंह ने ट्वीट किया
इस मामले में, 1999 से प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सदस्य के रूप में, मैं 5 मई 2022 को शाम 4 बजे @vivekagnihotri के लिए स्लॉट बुक कर रहा हूं। आवश्यक शुल्क जमा करेंगे। पीसीआई अलग-अलग विचारों के लिए मंच प्रदान करता रहा है और #KashmirFiles के निर्माताओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है।
परन्तु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत ही सीमित है और वह इतनी सीमित है कि वह विरोधी विचारों का गला काटने में ही विश्वास करती है। और उनकी इसी छद्म क्रांति का विरोध करने के लिए विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट करके यह जानकारी दी कि स्लॉट की पुष्टि करने के बाद भी, अंतिम समय में दबाव के कारण निरस्त कर दी गयी। अब वह ली मेरिडन में प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और उनके कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोलेंगे!
कहने के लिए अब भले ही विवेक अग्निहोत्री इन सबके कारनामों का पर्दाफाश कर दें, परन्तु सच्चाई तो यही है कि अभी भी वह इकोसिस्टम कार्य कर रहा है, जो अपने विरोधी विचार को स्थान देना ही नहीं चाहता है। अभी भी वाम और इस्लाम विचार ही भारत के कथित बौद्धिक वर्ग को संचालित कर रहा है और विवेक अग्निहोत्री जैसे लोग जो इस इकोसिस्टम की धज्जियां उधेड़ते हैं, उन्हें अपना पक्ष भी नहीं रखने दिया जा रहा है!