कश्मीर फाइल्स को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बहुत ही हैरान करने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर आपको सच्चाई इतनी ही दिखानी है तो टैक्स फ्री क्या करना, विवेक अग्निहोत्री से कहें कि वह यूट्यूब पर डाल दें, सभी के लिए फ्री हो जाएगी!”
दरअसल अरविन्द केजरीवाल पर लोग दबाव डाल रहे थे कि वह क्यों इस फिल्म के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं? क्यों अरविन्द केजरीवाल ने इस फिल्म की समीक्षा नहीं की है, और क्यों अरविन्द केजरीवाल मौन हैं? आज इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए अरविन्द केजरीवाल ने आज यह कहा।
अरविन्द केजरीवाल को फिल्मों का कितना शौक है, यह किसी से छिपा नहीं है। वह गाहे बगाहे लगभग हर फिल्म पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। यहाँ तक कि कबीर खान की वर्ष 1983 में हुए क्रिकेट विश्वकप पर आधारित फिल्म 83 को उन्होंने टैक्स फ्री घोषित कर दिया था। इस पर लोगों ने आज अरविन्द केजरीवाल को उनके पुराने ट्वीट्स दिखाकर यह अहसास कराया कि वह कितने बड़े फिल्म प्रेमी हैं, मगर इस फिल्म से क्या समस्या है?
दरअसल विवेक अग्निहोत्री जिस शहरी नक्सली विचार पर प्रहार करते हैं। अरविन्द केजरीवाल कहीं न कहीं खुद उससे जुड़ा ही पाते हैं, तभी वह वामपंथियों से सम्बन्धित हर फिल्म को कर मुक्त कर देते हैं, परन्तु विवेक अग्निहोत्री की फिल्म को यूट्यूब पर दिखाने की सलाह देते हैं। खैर!
विवेक अग्निहोत्री ने अपनी पुस्तक अर्बन नक्सल्स में यह लिखा है कि उन्हें भी यह बहुत आशा थी कि उनकी फिल्म बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम को अरविन्द केजरीवाल देखेंगे और उस पर अपनी टिप्पणी देंगे। वह अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि
पिछले कुछ हफ़्तों में कई लोग मुझसे यह कह चुके थे कि मैं यह फिल्म अरविन्द केजरीवाल को दिखाऊँ, मगर मैंने कभी भी इस सलाह को गंभीरता से नहीं लिया था। अन्ना हजारे आन्दोलन के दौरान, मैंने अपना सारा काम धंधा छोड़ दिया था और कई लोगों की तरह मैं भी दिल्ली की तरफ दौड़ पड़ा था। अपनी सारी उम्मीदें, भावनाएं, विचार और पैसा सब कुछ उसके भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान में खर्च कर दिया था। धीरे धीरे कई मिथक टूटे और मैंने उसे बहुत ही अधिक स्वार्थी, उठला और मक्कार पाया। वह वोटों का भूखा बन गया। उसके लिए नतीजा, माध्यम से अधिक जरूरी हो गया था।
मगर मैंने यह महसूस किया है कि काफी संख्या में युवा वर्ग केजरीवाल को सुनता है। बॉलीवुड फिल्मों की समीक्षा करने वाले केजरीवाल के ट्वीट वायरल होते थे, तो अगर वह इस फिल्म की समीक्षा कर देता तो निश्चित ही इस फिल्म को फायदा होता। मैंने 15 कारण लिखते हुए अरविन्द केजरीवाल को मेल किया कि उन्हें यह फिल्म क्यों देखनी चाहिए:
सोमवार, अप्रैल 25, 2016
प्रिय श्री अरविन्द केजरीवालजी,
मैं एक छोटी, क्रान्तिकारी फिल्म बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम का निर्देशक और निर्माता हूँ। यह भारत में बना अब तक का सबसे बोल्ड राजनीतिक ड्रामा है। यह फिल्म 13 मई को रिलीज होने के लिए तैयार है।
मुझे भरोसा है कि अगर किसी भी राजनेता को यह फिल्म देखनी चाहिए, तो वह आप हैं और एक टेम्पलेट स्टाइल वाला इनवाईट भेजने की जगह मैं आपको यह बताऊंगा कि आखिर यह फिल्म आपको क्यों देखनी चाहिए।
- जहाँ अधिकतर राजनीतिक फ़िल्में प्रश्न उठाती हैं, वहीं यह फिल्म एक हल देती है कि हम कैसे दलालों और इस प्रकार भ्रष्टाचार से असली आजादी ले सकते हैं। यही आपके स्वराज्य अभियान की माँग है।
- यह फिल्म नक्सल-गैर सरकारी संगठनगैर सरकारी संगठन-शिक्षाविद एजेंडे की छानबीन करती है और उसका पर्दाफाश करती है और बौद्धिक आतंकवाद के विषय को और गहरा खोदकर बताती है।
- आप भारत के पहले विध्वंसात्मक राजनेता हैं। यह भारत की पहली विध्वंसात्मक फिल्म है।
- चूँकि आपने अपने राजनीतिक इनोवेशन के संग आगे बढ़ने के लिए किसी भी तरह का कोई संसाधन प्रयोग नहीं किया है। हमारे पास भी कोई संसाधन नहीं है और हम मार्केटिंग इनोवेशन पर विश्वास रखते हैं।
- आपने अपनी लड़ाई क्रोनी-कैपिटलिजम और भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरू की थी जो एक आन्दोलन बन गया। मैंने यह लड़ाई क्रोनी-समाजवाद के विरुद्ध लड़ाई शुरू की है और यह फिल्म एक आन्दोलन बन गयी।
- आपका आन्दोलन एक आम व्यक्ति का था, आम व्यक्ति के द्वारा और आम व्यक्ति के लिए है। हमारा आन्दोलन विद्यार्थियों का आन्दोलन, विद्यार्थियों के द्वारा और विद्यार्थियों के लिए है। (केवल यह बताने के लिए, इस फिल्म को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद के विद्यार्थियों ने शुरू किया है।)
- आम आदमी पार्टी सच्चे अर्थों में एक राजनीतिक स्टार्टअप है। यह फिल्म भी सच्चे अर्थों में स्टार्ट अप है।
- आपको एक कट्टर राजनीतिक व्यवस्था और भ्रष्ट राजनेताओं द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा था। हमें कट्टर शिक्षाविदों और भ्रष्ट फैकल्टी द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा।
- जो लोग आपके साथ तत्काल लाभ के लिए आपके साथ जुड़े थे वह आपको एक एक करके छोड़ गए। वह लोग जो हमारे साथ बॉक्स ऑफिसके लिए हमारे साथ जुड़े थे, वह भी हमें एक एक करके छोड़ गए।
- आपके कार्यों को उन लोगों के द्वारा रोकने की और बर्बाद करने की कोशिश की गयी जो आपसे सहमत नहीं थे। हमारी फिल्म के प्रदर्शन को भी उन लोगों ने रोकने की कोशिश की और तमाम तरह के षड्यंत्र किए, जो फिल्म से सहमत नहीं थे।
- आपके पास भी पैसा नहीं था मगर जनता ने इसे आपके लिए संभव बनाया। हमारे पास भी पैसा नहीं था, मगर विद्यार्थियों ने इसे हमारे लिए संभव किया।
- आपकी राजनीति सच्चाई और प्रमाणों पर आधारित है जहाँ पर आपने कई सम्बन्ध का पर्दाफाश किया। यह फिल्म भी सच्चाई और प्रमाणों पर आधारित है और यह नक्सल-गैर सरकारी संगठनगैर सरकारी संगठन-शिक्षाविद सम्बन्ध का पर्दाफाश करती है।
- आप विद्यार्थियों के लिए काम करते हैं और आप अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थक हैं। यह फिल्म भी विद्यार्थियों के मुद्दे उठाती है और अभिव्यक्ति के अधिकार की माँग करती है।
- आप अपनी लड़ाई में अकेले थे। मैं इस लड़ाई में अकेला हूँ।
- अंतिम बिंदु, मगर आप इसे अंतिम मत समझिएगा, आप एक अभियान को लेकर चल रहे हैं और मैं भी एक अभियान चला रहा हूँ – भारत का निर्माण करने का अभियान।
हम इस फिल्म को 13 मई को रिलीज कर रहे हैं। कृपया हमें एक सही समय बताएं कि हम आपके लिए इस फिल्म का प्रदर्शन कर सकें।
जय हिन्द!
विवेक अग्निहोत्री
मुझे इस मेल का कोई भी उत्तर नहीं मिलता है मगर जब बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम रिलीज होती है, तो आम आदमी पार्टी ने इसका संज्ञान लिया। नकारात्मक रूप से! मगर उस पर बाद में बात करेंगे।“
(अर्बन नक्सल्स अध्याय 47: नई राजनीति)
तो यह समझा जा सकता है कि कहीं न कहीं उन्हें इस फिल्म से नहीं, विवेक अग्निहोत्री द्वारा फिल्म निर्देशन के उस ट्रीटमेंट से समस्या है, जिसके माध्यम से वह देश की शहरी नक्सलियों की समस्या को सामने ला रहे हैं, जैसे जैसे वह समस्या का पोस्टमार्टम करते जा रहे हैं, वैसे वैसे शहरी नक्सली भड़कते जा रहे हैं।
इसलिए अरविन्द केजरीवाल का दुखी होना और इस प्रकार की प्रतिक्रिया देना सहज है, स्वाभाविक है!
True analysis of a urban naxalite