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Monday, June 5, 2023

कर्नाटक में बजरंगदल कार्यकर्ता हर्षा की हत्या: स्वत: स्फूर्त प्रतिक्रिया या फिर कुछ और? “मंगलोर मुस्लिम” पेज पर एफआईआर

कर्नाटक में शिवमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्त्ता हर्षा की हत्या के मामले में नित नए खुलासे हो रहे हैं। अब उसके दोस्तों में से ही एक ने कहा है कि हर्षा को लड़कियों का प्रयोग कर फंसाया गया। मदद की मांग करते हुए वीडियो कॉल किए गए। हालांकि हर्षा को उन कॉल करने वालियों पर संदेह हुआ तो उसने अपने दोस्तों को बाइक लाने के लिए कहा और वहां से निकल गया, जब वह तीन बाइक लेने गए थे तो हर्षा को अकेला देखकर उसका पीछा किया गया और उसकी हत्या कर दी गयी।

मीडिया के अनुसार हर्षा के एक दोस्त ने घटनाओं का क्रम बताया है। newsable.asianetnews.com पर हर्षा के दोस्तों ने बताया है कि घटनाएँ किस प्रकार से घटी हैं।

शाम 6:30 बजे: हर्ष और दोस्तों ने भारती नगर में मिलने और रात के खाने के लिए बाहर जाने की योजना बनाई।

8:30 बजे: हर्ष को एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आती है। कॉल करने वाली लड़कियां कुछ समस्या पर मदद मांग रही थीं। उन्होंने यह भी कहा कि वे उससे दोस्ती करना चाहती हैं।

हर्षा कहता है कि वह उन्हें नहीं जानता और कॉल को अनदेखा करता है, लेकिन एक ही नंबर से बार-बार लगातार कॉल आता रहता है।

रात 9 बजे: हर्षा और तीन और दोस्तों ने भारती नगर में इंदिरा कैंटीन परिसर में अपनी बाइक छोड़कर पास के एक रेस्तरां में जाने की योजना बनाई।

9।10 बजे: मगर हर्षा को लगा कुछ तो गड़बड़ है और उसने अपने दोस्तों से कहा कि बाइक उठाएं और वहां से जाएँ।

9:20 बजे : हर्ष को अकेला देख बदमाशों ने एनटी ब्लॉक में क्रिकेट बैट और छुरे के साथ उसका पीछा किया और उसकी हत्या कर दी।

नाम न बताने की शर्त पर एक गवाह ने कहा कि हर्षा पर दो बार उस दिन हमला हुआ था और हत्या कर दी गयी थी।

दोस्तों के अनुसार हर्षा पर मुख्य आरोपी एक दो दिनों से नहीं बल्कि दो हफ़्तों से नजर रखे हुए था। और हत्या से पहले आरोपी खाशिफ को एक मटन की दुकान पर हर्षा की गतिविधियों पर नजर रखते हुए देखा गया था।

इसका अर्थ यह हुआ है कि हर्षा की हत्या कोई सहज प्रतिक्रियात्मक हत्या न होकर सोची समझी हत्या है और वाम और इस्लामी जगत में इसे उचित ठहराया जा रहा है।  हर्षा की हत्या पूरी तरह से मजहबी कट्टरता के कारण हुई है। यह एक नए प्रकार का आतंकवाद है, जिसमें किसी न किसी मुद्दे को लेकर लोगों को भड़काया जाता है और उसके बाद उन लोगों पर हमला किया जाता है, जो प्रखर हिंदुत्व की मशाल  थामे हुए हैं। जैसे हर्षा के मामले में हुआ। और उसकी हत्या से भी मन नहीं भरा तो उन्होंने उसके अंतिम संस्कार में भी बाधा पहुंचाई और पत्थरबाजी की,

इतना ही नहीं पकिस्तान प्रेमी पत्रकारों ने एक निर्दोष हिन्दू युवा को आतंकवादी कहा। पूरे विश्व में जिहाद करने वालों का आज तक कोई मजहब नहीं तय कर पाया है, मगर बजरंग दल जरूर एक हिन्दू चरमपंथी समूह है।

यह देखना कितना दुखद है कि बुरहान वानी तो एक हेडमास्टर का बेटा था,

मगर हर्षा एक आतंकवादी था!

विजय पटेल ने ट्वीट किया कि

वर्ष 2015 में, कांग्रेस सरकार ने शिवमोगा में दंगों में शामिल पीएफआई आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस ले लिए।

उस समय कांग्रेस द्वारा 1600 अभियुक्तों को आजाद किया गया था।

रिपोर्ट्स का कहना है कि इसका फायदा हर्ष के हत्यारों को भी मिला।

पाठकों को याद होगा कि अखिलेश यादव ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए वाराणसी ब्लास्ट के आरोपी आतंकियों से भी मुक़दमे वापस लिए जाने के लिए कदम उठाया था और उच्च न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या आतंकियों को आप पद्म भूषण देंगे?

सपा हों या कांग्रेस, मुस्लिम वोट पाने के लिए आतंकवादियों के प्रति इनकी नरमी स्पष्ट है और यही कारण है कि आतंकियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं क्योंकि उन्हें यह स्पष्ट पता है कि वह मुस्लिम कार्ड खेलकर बच जाएंगे। यही मुस्लिम कार्ड है जो बड़े से बड़ा मुस्लिम अपराधी बोलता है। और भारत का मीडिया उसे ही सही मानता है, यही मुस्लिम कार्ड खेलकर राना अयूब लोगों का पैसा मारकर भी यूएन से अपने पक्ष में ट्वीट कराती हैं।

और यही मुस्लिम कार्ड है, जिसके आधार पर हर्षा की हत्या करने वालों को इस कारण से डर नहीं है क्योंकि हिन्दू होना ही अपने आप में कट्टर मुस्लिमों को भडकाने के लिए काफी है!

इसी मामले में हिन्दुओं के खिलाफ भड़काऊ post डालने वाले मंगलोर मुस्लिम फेसबुक पेज पर भी एफआईआर दर्ज हो गयी है।

अब तक आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है

हर्षा की हत्या में अब तक एक दो नहीं बल्कि आठ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। कर्नाटक के गृह मंत्री ने बताया कि मीडिया को बताया कि अब तक इस मामले में आठ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं,

प्रश्न यह नहीं है कि कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं, प्रश्न यह है कि आखिर इतनी जहरीली विचारधारा पर, जिसका असर पूरे देश पर होगा, और जिसके शिकार केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी होंगे, कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है, विरोध क्यों नहीं हो रहा है? एक विचारधारा अपनी कट्टरता के चलते अपने समुदाय की लड़कियों को उसी अँधेरे पर भेजने पर आमदा है, जो मध्य युग में लेकर जाएगा और जो उसका विरोध कर रहा है, उसपर क़ानून का सहारा न लेकर मारा जा रहा है? हर्षा की हत्या में रियाज, मुजाहिद, कासिफ, आसिफ शामिल थे!

क्या किसी की जान परदे की जिद्द से सस्ती है?

क्या इस जिद्द से मुस्लिम समुदाय की ही आजादी पसंद लड़कियों की जिन्दगी प्रभावित नहीं हो रही?  क्या उन लड़कियों की कोई आवाज नहीं, जो पर्दा नहीं चाहतीं?

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