उत्तर प्रदेश के कानपुर में अवैध रूप से रह रहे चार बांग्लादेशी नागरिक पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं। कानपुर पुलिस ने एक बड़ी कार्यवाही करते हुए एक अवैध घुसपैठिए बांग्लादेशी नागरिक और उसके परिवार के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान रिजवान के रूप में हुई है, और ये सभी लोग अवैध रूप से प्रदेश में रह रहे थे।
कानपुर के संयुक्त कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने रविवार, 11 दिसंबर को एक प्रेस वार्ता में बताया कि इनके पास से आधार कार्ड सहित कई फर्जी कागज मिले हैं। पुलिस के अनुसार आरोपियों के पास से सपा विधायक इरफान सोलंकी की ओर से प्रमाणित कागज़ मिले हैं, जिनमे इन सभी को भारत का नागरिक दर्शाया गया है। इनके परिवार के पास 2-2 पासपार्ट बरामद हुए हैं, जो एक बहुत बड़ा अपराध है।
यह परिवार कानपुर शहर में छुपकर रह रहा था, इन लोगों के पास तय सीमा से अधिक विदेशी मुद्रा और भारतीय मुद्रा (14.56 लाख रुपये) भी बरामद की गई है। यह इस पूरे मामले को गंभीर बना देती है, क्योंकि इस धन का दुरूपयोग कर यह लोग कोई आतंकवादी घटना भी कर सकते थे। पुलिस ने उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है, और इस विषय पर उपयुक्त विधिक कार्यवाही की जायेगी।
ऐसे हुआ इस गिरोह का भंडाफोड़
कानपुर पुलिस को गुप्त सूत्रों द्वारा यह सूचना मिली कि मेस्टन रोड पर चार संदिग्ध लोग घूमते दिखाई दिए थे। जब मौके पर पुलिस ने उन लोगों ने उनके पहचान पत्र मांगे तो उन लोगों ने कागजात घर पर होने का बहाना बना कर प्रस्तुत करने में असमर्थता व्यक्त की। पुलिस कर्मियों को इन लोगों पर संदेह हुआ और वह इन लोगों के निवास स्थान पर गए, जहां इन अवैध विदेशी नागरिकों का भंडाफोड़ हो गया।
आर्यनगर के इंपीरियल अपार्टमेंट पर छापेमारी के समय पुलिस को पता लगा कि यह लोग मूल रूप से बांग्लादेश के निवासी हैं। इनमे मुख्य अभियुक्त का नाम कुरला निवासी रिजवान मोहम्मद है, जो यहाँ अपनी पत्नी हिना, ससुर खालिद, बेटी रुखसार, और एक अवयस्क बेटे के साथ रह रहा था। अभी भी इस परिवार का एक युवक फरार है, जिसे पुलिस ढूंढ रही है और उसे भी जल्दी ही गिरफ्तार किया जाएगा।
दो बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है रिजवान
यह परिवार सन 2016 से नकली पहचान पत्र बना कर कानपुर में रह रहा था। इनके आधार कार्ड मूलगंज मैदा बाजार के पते पर बने थे। वहीं पुलिस को जांच में पता लगा कि रिजवान दो बार पाकिस्तान की यात्रा भी कर चुका है, जिसका कारण जानने का प्रयास पुलिस कर रही है। जांच के दौरान एक और चौकाने वाले तथ्य पता लगा कि रिजवान ने फर्जी पासपोर्ट का उपयोग कर अमेरिका, बैंकॉक समेत कई देशों की यात्रा की है। पुलिस ने इसकी जानकारी एनआईए, एटीएस, मिलिट्री इंटेलिजेंस समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों को दे दी है।
पुलिस को यह भी पता चला है कि रिजवान ने कोलकाता गलत नामों से परिवार के पहचान पत्र बनवाये थे, वहीं कानपुर के पते में परिवार जनों के नाम सही पाए गए हैं। इससे परिवार के किसी अवैध गतिविधिं में लिप्त होने का संदेह और ज्यादा पैदा हो गया है।
सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी ने किया था बांग्लादेशियों के कागजों का सत्यापन
कानपुर पुलिस ने बताया कि सपा विधायक इरफान सोलंकी और स्थानीय पार्षद मनु रहमान ने दो बार रिजवान मोहम्मद के लिए प्रमाण पत्र दिया था। जिसमें दोनों ने लिखा है कि वह इसे काफी समय से जानते हैं और यह और इस परिवार के लोग भारतीय नागरिक हैं। विधायक और पार्षद के द्वारा सत्यापन करने के आधार पर ही इस परिवार का आधार कार्ड और अन्य सभी कागज बनाये गए था। यह प्रमाण पत्र 19 अगस्त 2017 और 19 सितंबर 2019 को जारी किये गए थे।
यह बड़ा ही गंभीर मामला हो गया है, क्योंकि यह देश की सुरक्षा से सम्बंधित है, वहीं स्थानीय विधायक और पार्षद की भूमिका भी संदिग्ध दिखाई दे रही है। यह निश्चित लग रहा है कि दोनों ने बिना किसी जांच के यह सत्यापन कर दिया होगा। इसका कारण क्या हो सकता है? कानपुर पुलिस ने विधायक द्वारा दिए गए सत्यापन पत्र पर किये गए हस्ताक्षर को जांचने के लिए न्यायालय में एक याचिका भी दायर की है, इसके पश्चात ही यह विधायक और पार्षद के विरुद्ध कोई विधिक कार्यवाही हो पाएगी।
सुरक्षा एजेंसी कर रही हैं रिजवान और इरफान सोलंकी के संबंधों की जांच
कानपुर पुलिस ने रिजवान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, वहीं रिजवान और उनके परिवार के साथ विधायक इरफान सोलंकी के संबंधों की जांच करनी शुरु कर दी है। यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एक अवैध घुसपैठिये को विधायक का सहयोग क्यों मिला। भारत में इस प्रकार के करोड़ों अवैध घुसपैठिये हैं जो फर्जी कागज़ बनवा कर भारत में रह रहे हैं । यह लोग भारत विरोधी गतिविधियों और अपराधों में लिप्त रहते हैं, और इसमें इनका सहयोग करते हैं हमारे ही देश के कुछ राजनीतिज्ञ और सरकारी महकमे के लोग।
इसके अतिरिक्त कुछ लोग अपने मजहब का पालन करते हुए ऐसे अवैध लोगों का समर्थन करते हैं, उन्हें हरसंभव सहायता करते हैं। इस मामले में सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी की ऐसी ही भूमिका परिलक्षित हो रही है। हालांकि जो भी तथ्य हैं वह जांच में पता लग ही जाएंगे। फिर भी संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोग यदि ऐसा करते हैं तो यह खतरे की बात है।