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Tuesday, October 15, 2024

खरगौन, करौली, दिल्ली से लेकर स्वीडन में पत्थरबाजी! परन्तु समस्या पर सभी मौन हैं!

भारत में करौली से लेकर खरगौन और अब दिल्ली जल रही है, और साथ ही विदेशों में स्वीडन में भी पत्थरबाजी हो रही है, परन्तु फिर भी लोग मौन हैं! एक बड़ा वर्ग मौन है, वह मौन ही नहीं है बल्कि इन पत्थर बाजों के समर्थन में दिनों दिन नए तर्क गढ़ रहा है।

करौली में प्रभु श्री राम की शोभायात्रा पर यह कहते हुए पथराव किया गया था कि मुस्लिम इलाके में जोर जोर से डीजे बजाया जा रहा था। जबकि यह अब पता चलता जा रहा है कि वह पूर्वनियोजित थी। क्योंकि मुस्लिमों ने अपनी दुकानें पहले ही बंद कर दी थी, और हिन्दुओं की ही दुकानें खुली थीं।

मध्यप्रदेश में खरगौन की हिंसा भी पूर्वनियोजित थी, जैसा प्रमाणों से पता चल रहा है। इसी प्रकार गुजरात में भी हिम्मतनगर में रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला कर दिया गया था और इस घटना के वीडियो भी बहुत वायरल हुए थे।

इस एकतरफा हिंसा में यह स्पष्ट दिख रहा है कि कैसे हिम्मतनगर में शांतिपूर्ण तरीके से निकल रही धार्मिक शोभायात्रा पर पत्थरबाजी की गयी। कई वाहनों को निशाना बनाया गया था।

गुजरात में ही आणंद में रामनवमी वाले दिन हिन्दुओं द्वारा निकाली जा रही शोभायात्रा पर मुस्लिमों ने हमला किया था। इस घटना में भी वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की गयी थी।

मध्यप्रदेश में खरगौन में डीजे का बहाना बनाकर किया गया था हमला

मध्यप्रदेश में खरगौन में हिन्दुओं के विरुद्ध जो पत्थरबाजी हुई, उसमें मुख्य आपत्ति डीजे को लेकर थी। और इस बात को लेकर उन्होंने हमला कर दिया। हमला इतना भयानक था कि पुलिस कर्मी भी घायल हो गए थे।

झारखण्ड में हमला

झारखंड में हमला किया गया। 10 अप्रेल को ही झारखंड में लोहदर्गा में रामनवमी के अवसर पर कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया।

हनुमान जन्मोत्सव पर भी हमला

ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि रामनवमी पर जो हिंसा हुई है, उससे राज्य एवं केंद्र सरकार कुछ सचेत होंगी तथा व्यवस्था ऐसी होगी कि आम लोग अपने आराध्यों के जन्मोत्सव को मना सकें। परन्तु ऐसा लगता है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। क्योंकि हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर तो दिल्ली को ही दहला दिया गया; और वह भी जहांगीर पुरी में जो बांग्लादेशियों का गढ़ है।

हनुमानजन्मोत्सव भी उसी हिंसा की भेट चढ़ गया जिसकी भेंट लगातार से हर पर्व चढ़ते आ रहे हैं। दुर्गापूजा पर बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुई हिंसा ने हमारा वह पर्व दुःख से भर दिया था। दीपावली को प्रदूषण के नाम पर इतना निशाना बनाया जाता है कि बच्चों को भी अब गुस्सा आने लगा है कि उनके प्रिय पर्व को मात्र उनके ही मस्तिष्क में विष भरने के लिए प्रयोग किया जाने लगा है। हिन्दुओं के हर पर्व को किसी न किसी तरीके से नष्ट करने की प्रक्रिया चालू है।

दीपावली को सफलतापूर्वक नष्ट करने की कगार पर पहुंचाकर होली को यौन हमले का त्यौहार बना दिया था। होली पर रंग लगाने को अनुमति का अधिकार बता दिया गया। इस पर चर्चाएँ हुईं कि क्या बिना अनुमति के रंग लगाना चाहिए?

परन्तु वही वर्ग जब हिन्दू यह बात उठाते हैं कि बिना अनुमति के हमें अजान सुनाई जानी चाहिए क्या? तो उन्हें कट्टर, असहिष्णु आदि आदि ठहरा दिया जाता है।

हनुमान जन्मोत्सव पर जहांगीर पुरी में भी इसी बात को लेकर उन्हें गुस्सा आया कि क्यों उनकी नमाज के समय डीजे आया, मगर वही समाज हिन्दुओं की पूजा के समय अजान सुनाते समय यह नहीं सोचता कि दूसरे की पूजा में भी अवरोध आ सकता है!

जहाँगीरपुरी में यह आरोप लगाकर हिंसा का नंगा नाच हुआ और छोटे छोटे बच्चों तक से निशाना बनवाया गया

अब तक लगभग 20 लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है। लोगों ने जो वीडियो साझा किये हैं, उनसे देखा जा सकता है कि दंगाइयों में क़ानून का डर नहीं है और “पुष्पा” स्टाइल में वह कैद में जा रहा है:

कर्नाटक में हुबली में तो पुलिस स्टेशन पर ही हमला कर दिया गया। इसमें 12 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। एक विशाल भीड़ किसी विवादास्पद फेसबुक पोस्ट का बहाना लेकर इकट्ठी हुई और उसने पहले पुलिस के वाहनों पर हमला किया और फिर उनमें तोड़फोड़ की। और उत्तेजक नारे लगाए

एएनआई के अनुसार भीड़ किसी उत्तेजक वीडियो को गुस्सा थी और वह आरोपी को हिरासत में लेना चाहती थी। और घायलों में दो गंभीर स्थिति में हैं!

हालांकि यह पथराव जहाँ भारत में डीजे की आवाज को लेकर था तो वहीं सुदूर स्वीडन में भी जमकर पत्थरबाजी हुई। पैटर्न वही था। कुरान का अपमान!

पुलिस की कारों को लूट लिया गया और जला दिया गया और चार पुलिस कर्मी घायल थे तो वहीं वहां से पुलिस को हटा भी लिया गया है।

भारत से लेकर स्वीडन तक झडपों का रूप वही है, पैटर्न वही है और लगभग परिणाम भी एक ही है कि दूसरे समूह को इतना भयभीत करके छोड़ दिया जाए कि वह विरोध करने योग्य भी न रहे!

भारत में बहुसंख्यक हिन्दुओं पर वर्चस्व की यह लड़ाई है और इसमें वह मानसिक युद्ध लड़ रहे हैं, वह हर पर्व पर हिन्दुओं को कभी किसी कोने में तो कभी दूसरे कोने में आतंकित करते हैं। वह हिन्दुओं के सबसे बड़े आराध्य पर हमला करते हैं, अर्थात प्रभु श्री राम पर तथा साथ ही वह यह भी प्रमाणित करने का प्रयास करते हैं कि उनका उद्देश्य और अंतिम लक्ष्य क्या है?

हालांकि वह विक्टिम कार्ड भी खेलने के लिए उतनी ही तेज गति से आगे आते हैं। परन्तु भारत से लेकर स्वीडन तक आग लगी है, पत्थर एक ही मजहब द्वारा फेंके जा रहे हैं, परन्तु फिर भी अमन का टैग लगाकर भ्रमित करके विक्टिम कार्ड भी वहीं पर है!

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