उत्तर प्रदेश में अब चुनाव अपने अंतिम चरण में है और अब जहाँ राजनीतिक माहौल शांत होना चाहिए तो वापसी एकदम निश्चित मान रहे सपा के नेता चुनाव परिणाम आने से पहले ही जश्न के माहौल में है! वह सब जश्न मना रहे हैं और अधिकारियों को इस प्रकार धमका रहे हैं जैसे वह सत्ता में आ ही गए हों! इसी क्रम में एक राजनीतिक साहबजादे का धमकी भरा वीडियो खूब वायरल हो रहा है। हालांकि इससे पहले भी सपा के कई नेताओं के धमकी भरे वीडियो वायरल हुए हैं, मगर फिर भी यह कुछ विशेष है!
इस बिगड़ैल बयानबाजी पर आपका ध्यान केंद्रित करने से पूर्व आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मऊ में भी अंतिम चरण का चुनाव होना है। और इस विधानसभा सीट पर सपा की ओर से प्रत्याशी हैं जेल में बंद डॉन मुख़्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी।
अब बात करते हैं अब्बास अंसारी के उस बयान की जिसकी चर्चा सियासी गलियारे में गरमाई हुई है। अब्बास अंसारी का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें उसने बड़ा बयान देते हुए उत्तर प्रदेश के सरकारी अधिकारियों को धमकी दी और कहा ‘समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से ये कह कर आया हूँ कि 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगी भैया। जो यहाँ है, वो यहाँ ही रहेगा। पहले हिसाब-किताब होगा। उसके बाद उनके जाने के टिकट पर मुहर लगाया जाएगा।’
किस हिसाब–किताब की बात कर रहा है अब्बास अंसारी?
आखिर किस हिसाब किताब की बात कर रहा है यह अंसारी? दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में आपराधिक मामलों में पाए गए दोषियों के निजी एवं अवैध संपत्ति पर ताबड़-तोड़ बुलडोजर चलवाए हैं। इस कार्रवाई में मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगियों के करोड़ों की अवैध संपत्ति को भी सरकार ने नष्ट करने और उसे सरकारी संपत्ति बनाने का काम किया है।
अनुमान यही लगाए जा रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ द्वारा उठाए गए इन कदमों से बाप=बेटे में गुस्सा है और वह बस किसी तरह से हिसाब किताब करना चाहते है। साथ इस तरफ भी संकेत जा रहे हैं कि योगी सरकार में हिन्दुओं के पक्ष में हुए काम से भी अंसारी चिंतित है। हिन्दुओं के लिए किये गए कार्य के कारण अंसारी चिंतित हों भी क्यों न क्योंकि जहाँ कुछ ही वर्ष पहले तक उत्तर प्रदेश, सैफई महोत्सव और बॉलीवुड के चमक-धमक के लिए जाना जाता था, तो आज वही उत्तर प्रदेश दीपोत्सव के लिए जाना जाता है। इसलिए अंसारी की बौखलाहट है।
अब्बास अंसारी पर दर्ज हुई एफआईआर
वीडियो के वायरल होते ही अब्बास अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही मऊ पुलिस ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि ‘प्रत्याशी अब्बास अंसारी के वायरल विडियों के सम्बन्ध में थाना कोतवाली पर आचार संहिता के उलंघन के सम्बन्ध में धारा 171च,506 भादावि0 का अभियोग पंजीकृत किया गया है तथा इस सम्बन्ध में निवार्चन अधिकारी (RO) 356-मऊ सदर, मऊ को अग्रिम कार्यवाही हतु रिपोर्ट दी गयी है।’
इसके बाद खुद अब्बास अंसारी ने मीडिया के सामने आकर अपनी सफाई पेश की कि ‘पिछले 6 माह में यहां प्रशासन ने फर्जी मुकदमे दर्ज कर लोगों को परेशान किया। तो इस सब की जांच की जाएगी और इसलिए मैंने यह कहा है।’
हालांकि यह बयान न तो किसी भी परेशानी का समाधान करते हुए नजर आ रहा है, और न ही जांच की मांग का यह तरीका है। यह केवल उन अधिकारीयों को खुलेआम धमकी है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में अपराध को कम करने का काम किया है।
मुख़्तार अंसारी का इतिहास– चुनावी कुर्सी से जेल की कोठरी तक
अब बात करते हैं मुख़्तार अंसारी जिन्होनें इस बार खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे चुनावी रण में उतारा है। आपको एक और बात बता दें जो कि उत्तर प्रदेश में चर्चित रहती है कि मुख़्तार अंसारी के नाम से एक बड़ा वर्ग भय खाता है, परन्तु स्वयं मुख़्तार अंसारी योगी प्रशासन से डरता है। इस डर के पीछे भी कई कारण हैं।
बहरहाल अब हम आपको बताते हैं कि मुख़्तार अंसारी ने कैसे अपने आपराधिक साम्राज्य का विस्तार किया और कैसे वह राजनीति का अनिवार्य चेहरा बन गया। पूर्वांचल में 70 के दशक से ही मुख़्तार अंसारी का आपराधिक कारणों से दबदबा रहा है। एक समय ऐसा भी था जब 30 से अधिक मामले अंसारी पर दर्ज थे, लेकिन आश्चर्य इसी बात का है कि इतने कुकर्मों के उपरान्त भी मुख्तार अंसारी की राजनीतिक खनक बरकरार थी।
मुख्तार अंसारी का सबसे बड़ा मामला तब सामने आया जब वर्ष 2005 में अंसारी ने भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की थी। आपको बता दें कि हत्या को अंजाम देने के लिए 400 राउंड गोलियां चलाई गई थीं, इसके साथ ही साथ पोस्टमार्टम में कृष्णानंद राय के शरीर से 67 गोलियां निकली थीं।
पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भरसक प्रयास किया था कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश न जा पाए
पाठकों को यह भी स्मरण होगा कि कैसे पिछले वर्ष तक पंजाब की कांग्रेस सरकार उच्चतम न्यायालय में भी मुख्तार अंसारी को पंजाब में ही रखने के लिए आमदा थी. मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में था, और उसे उत्तर प्रदेश में लाने का कई वर्षों से प्रयास हो रहा था, परन्तु बार बार पंजाब सरकार की ओर अडंगा डाल दिया जाता था.
उसके उपरान्त उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी. जिसके बाद पिछले वर्ष मार्च में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश को सौंप दिया जाए.
न्यायालय में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मुख्तार के वकील कह रहे हैं कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ट्रायल कर दें. ऐसे तो विजय माल्या को भारत लाने की आवश्यकता नहीं है, वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से ही काम हो जाएग!
यह देखना रोचक होगा कि उत्तर प्रदेश की जनता क्या निर्णय लेती है, अब दस मार्च अधिक दूर नहीं है!
शांतनु मिश्रा