भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश, जहां पर आए दिन हिन्दुओं के साथ धार्मिक रूप से किए गए अपराधों की नई कहानी सामने आती रहती है, वहां से एक समाचार आया है और वह यह कि उनकी जनसँख्या में फिर से कमी हुई है। वैसे कमी तो होनी ही है, कौन कितना सह सकेगा? बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स के अनुसार बांग्लादेश में हिन्दू जनसंख्या 7.95% रह गयी है जो वर्ष 2011 में 8.54 प्रतिशत थी।
धीरे धीरे हिन्दू अपनी उस धरती से कम होता जा रहा है, जहाँ पर उसके पूर्वज रहा करते थे। वह मिट रहा है, अफगानिस्तान जहां का वर्णन महाभारत में प्राप्त होता है, वहां से हिन्दू समाप्त हो गया है, पाकिस्तान में नाम मात्र का शेष है और जिस बांग्लादेश की प्रशंसा के कसीदे पढ़े जाते थे, वहां से भी अब हिन्दू गायब हो रहा है। दुर्भाग्य की बात यह है कि बांग्लादेश से गायब होते हिन्दुओं पर किसी की नजर नहीं है। उनकी पीड़ाओं पर संज्ञान लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं होती है। वह मरते रहते हैं, भारत की ओर से भी आधिकारिक स्तर पर ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है कि जिससे यह पता चल सके कि बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए कम से कम भारत तो है।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय को जैसे मरने के लिए छोड़ दिया गया है। पिछले वर्ष मार्च से हिन्दुओं के विरुद्ध जो हिंसा होनी आरम्भ हुई, पिछले वर्ष मार्च में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे, और उसी दौरान हिन्दुओं के साथ हिंसा होनी आरम्भ हो गयी थी। परन्तु उनके जाने के बाद हिंसा और तेज हुई और न जाने कितने लोग मारे गए थे। ब्राह्मणबारिया और चटगाँव के हाटहजारी में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी। बीबीसी के अनुसार 28 मार्च 2021 तक इन हिंसा और प्रदर्शनों में 12 लोगों की मौत हुई थी और मंदिर जलाए गए थे, हिन्दुओं के घरों पर आक्रमण किया गया था।
परन्तु हिंसा का सबसे वीभत्स रूप सामने आया दुर्गापूजा के दौरान। जिस समय हिन्दू अपनी दुर्गा माँ के स्वागत की तैयारी में थे, तभी बांग्लादेश में कुरआन के कथित अपमान के चलते हिन्दुओं के साथ जो हिंसा हुई, उसे देखकर सारा विश्व स्तब्ध रह गया था। पंडाल जलाए गए, हिन्दुओं को मारा गया, मंदिरों पर हमले किए गए और यहाँ तक कि इस्कोन के मंदिर पर भी हमला कर दिया गया और उसे भी जलाया गया। वहां के भक्तों पर हमला किया गया, वहां के पुजारी भी इस हिंसा का शिकार हुए थे।
इस हिंसा का विरोध पूरे विश्व में इस्कोन ने किया था, वह लोग सड़कों पर उतरे थे, परन्तु क्या हिंसा कम हुई? क्या हिन्दुओं को निशाना बनाना कम हुआ? क्या उन्हें मारना या हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार कम हुए? इन सभी के उत्तर न में हैं, क्योंकि अभी दो दिन पहले ही एक हिन्दू महिला के साथ बलात्कार हुआ है और उसकी बेटी ने बताया कि उसकी माँ के साथ क्या हुआ था?
रानी रॉय नामक महिला की वस्त्र विहीन देह धान के खेत में मिली थी, उसकी बेटी का क्रंदन किसी की भी आत्मा को छलनी करने के लिए पर्याप्त है, सिवाय उनके जो हिन्दू समुदाय के साथ ऐसे कार्य कर रहे हैं।
उसकी बेटी ने बताया कि क्या हुआ था:
परन्तु दुर्भाग्य की बात यही है कि न ही यह घटनाएं मानव के रूप में हमारे दिलों में प्रश्न उठा पाती हैं और न ही कारणों तक पहुँचने की जिज्ञासा उत्पन्न कर पाती हैं? यह अत्यंत पीडादायक है कि यह घटनाएं विमर्श में ही नहीं आ पाती हैं, जहाँ एक ओर भारत में कथित बुद्धिजीवी एवं लेखक समुदाय फिलिस्तीन पर हुए हमलों के विरोध में न जाने क्या क्या आयोजन तक कर लेता है, जिनसे उनका कोई भी प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं हैं, जिनके साथ उनका कोई भी ऐतिहासिक सम्बन्ध नहीं है, फिलिस्तीन में इजरायल द्वारा कथित रूप से किए गए हमलों के लिए विमस्ढ़ की जमीन तैयार करते हैं, परन्तु बांग्लादेश में कम होते हिन्दू उनके विमर्श तो क्या आम हिन्दुओं के बीच भी विमर्श में भी स्थान नहीं पा पाते हैं।
इसके स्थान पर भारत में वाम और इस्लामी इकोसिस्टम इतना जबरदस्त खेल रचाता है कि भारत में हिन्दुओं को ही उनके साथ हो रहे अत्याचारों के लिए उत्तरदायी घोषित कर देता है। यह अजब खेल है। वह हिन्दुओं के आवाज उठाने को भड़काऊ कहता है और साथ ही जो कट्टरपंथी मुस्लिम करते हैं, उन्हें पूरी तरह से व्हाईटवाश कर देता है।
बांग्लादेश में हिन्दू जनसँख्या में कमी के लिए वहां की जनगणना रिपोर्ट ने दो कारकों को उत्तरदायी ठहराया है। एक तो है हिन्दू जनसंख्या वहां से पलायन कर रही है अर्थात वह वहां से बहुत तेजी से जा रहे हैं और जो दूसरा सबसे बड़ा कारण है वह यह कि हिन्दुओं में प्रजनन दर कम है। हिन्दू दो से अधिक बच्चे नहीं करना चाहते हैं और न ही वह जल्दी विवाह करते हैं, जिसके कारण उनकी प्रजनन दर कम हैं। और शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि हिन्दुओं के बीच नवजात मृत्यु दर भी अधिक है।
मंदिरों की जमीनों पर हमले किए जा रहे हैं और हिन्दुओं को उन्हीं की जमीनों से बेदखल किया जा रहा है। जुलाई 2022 में ही मंदिरों पर हमले किए गए और मूर्तियों को तोड़ने के साथ साथ फलों के पेड़ों को भी काट दिया गया।
वौइस् ऑफ बांग्लादेश हिंदूज़ ने ट्वीट किया और बताया कि युनियन आवामी लीग जीएस अब्दुल खैर बक्सी ने मंदिर की तीन प्रतिमाओं को तोडा और मंदिर के परिसर के सभी पेड़ों को काट डाला। क्या शेख हसीना अपनी ही पार्टी के इन लोगों के विरुद्ध कोई कदम उठाएंगी?
जुलाई में ही ढाका जिले के केरानीगंज में आवामी लीग के नेता मोहम्मद मिराजुर रहमान ने एक हिन्दू मंदिर पर हमला किया और मूर्तियों को तोड़ दिया।
और अभी हाल ही में अर्थात 31 जुलाई को बांग्लादेश नेशनल पार्टी के नेता फरीद मुंशी और उसके समर्थकों ने हिन्दुओं पर हमला किया और कई हिन्दू घरों को लूटा एवं तोड़ डाला। कुल 32 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है जिनमें फरीद मुंशी का नाम सम्मिलित है। स्थानीय हिन्दुओं के अनुसार उनसे वसूली के लिए पैसा माँगा गया और फिर उनके घरों को तोडा गया।
उनकी जमीनों पर हमला हो रहा है, उनसे वसूली माँगी जा रही है, हिन्दू स्त्रियों का बलात्कार हो रहा है, हत्या हो रही हैं, हिन्दू शिक्षकों को ब्लेसफेमी का शिकार बनाया जा रहा है और छोटी छोटी बातों पर उनकी हत्या की जा रही है।
और इन्ही सबका सामूहिक परिणाम है कि हिन्दू जनसँख्या कम होती जा रही है, और पूरा विश्व इस सम्बन्ध में मौन है। बांग्लादेश के निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी कहा कि एक दिन हिन्दू जनसँख्या वहां पर शून्य हो जाएगी
परन्तु सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि हिन्दुओं के इस धीमे और निरंतर जीनोसाइड पर लोग बोलने के लिए तैयार नहीं हैं!