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Friday, April 26, 2024

तमिलनाडु के सरकारी सहायता प्राप्त मिशनरी स्कूल में एक हिन्दू छात्रा ने की आत्महत्या, क्या हिन्दुओं का शोषण कर उन्हें शिक्षा से दूर रखने का षड्यंत्र है यह ?

आज समस्त भारत में हिन्दुओं के प्रति द्वेष और हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी हैं । यह बड़ी ही किंकर्तव्यविमूढ़ कर देने वाली स्थिति है, एक ऐसे देश में जहाँ हिन्दू ही बहुसंख्यक है, वहां हिन्दुओं के प्रति ऐसी घटनाएं बढ़ना बड़ा ही हृदयविदारक है। धीरे धीरे इस तरह की घटनाएं हमारे शिक्षण संस्थाओं में भी होने लगी हैं, ऐसा देखने में आ रहा है कि हिन्दुओं के साथ धार्मिक भेदभाव किया जाता है, उनका शोषण किया जाता है, और कई बार स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि हिन्दू छात्र छात्रा गलत निर्णय ले कर अपनी इहलीला भी समाप्त कर रहे हैं।

ऐसी ही एक घटना तमिलनाडु में घटी है, जहां एक सरकारी सहायता प्राप्त मिशनरी स्कूल में एक हिंदू लड़की ने आत्महत्या कर ली है। इस विषय की जांच चल रही है और आत्महत्या का कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। चर्च द्वारा संचालित इस स्कूल के प्रशासन ने इसे एक आत्महत्या की घटना माना है, वहीं लड़की के माता पिता ने इस घटना के पीछे किसी षडयंत्र की आशंका व्यक्त की है, और साथ ही स्कूल प्रशासन पर कई प्रश्नचिन्ह उठाये हैं।

पुलिस के अनुसार 17 वर्षीय हिंदू लड़की सरला तिरुवल्लूर के केलाकुरिची में ‘सेक्रेड हार्ट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल‘ में पढ़ती थी। यह एक मिशनरी स्कूल है लेकिन इसे तमिलनाडु सरकारी द्वारा सहायता प्राप्त होती है, और इसमें बोर्डिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। दूर-दराज के छात्र स्कूल में रह रहे हैं और पढ़ रहे हैं, और सरला उसी जिले के तिरुत्तनी के एक गांव से थी और स्कूल के छात्रावास में ही रहती थी।

सूत्रों के अनुसार 25 जुलाई को, सरला स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई थी। उसने अपनी मित्र को कहा था कि उसे कक्षा में आने में थोड़ी देर लगेगी । सरला ने सुबह का नाश्ता किया और फिर वह छात्रावास में अपने कमरे में चली गई। उसके बाद उसे किसी ने नहीं देखा, और ना ही वह स्कूल पहुंची, यह देख उसके मित्रों ने स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों को सतर्क कर दिया। सूचना मिलने पर जब छात्रावास के अधिकारियों ने कमरा खुलवाया, तब उन्हें सरला कमरे में लटकी हुई मिली।

इस घटना के बाद स्कूल में अफरातफरी मच गयी, और कई लोग अपने बच्चों को छात्रावास से वापस ले गए हैं। लड़की के घरवालों ने बताया कि वह कुछ समय से गुमसुम रहने लगी थी, और पिछले कुछ हफ़्तों से अपने घर भी नहीं गयी थी। लड़की के घरवालों को स्कूल प्रशासन के बताये हुए तथ्यों पर विश्वास नहीं हो रहा है, और उन्होंने इस घटना की जांच कराने की मांग की है।

मृतक की बहन गायत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “वह कोई ऐसी व्यक्ति नहीं थी जो आत्महत्या जैसा निर्णय करती। उसने कल रात ही परिवार से बात की थी । स्कूल का प्रशासन अलग अलग बात कर रहा है, और हम बिना पूरी जानकारी के अपनी बहन का शव नहीं लेंगे। इस घटना से क्षुब्ध ग्रामीणों ने स्कूल प्रशासन के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद वहां पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

तमिलनाडु में लगातार हो रही हैं ऐसी आत्महत्या की घटनाएं

पिछले ही दिनों कल्लाकुरीचि जिले में एक बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली हिन्दू छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद स्कूल प्रशासन और पुलिस ने जांच में ढुलमुल रवैया अपनाया, जिससे परेशान हो कर लोगों ने स्कूल में तोड़फोड़ की और पत्थरबाजी की। इस घटना में 50 से ज्यादा लोग घायल भी हुए।

लोगों का आक्रोश देख सरकार ने तुरंत इस घटना की उच्च-स्तरीय जांच कराने का आदेश दिया और जिले में धरा 144 लागू कर दी। घटना की जांच के बाद पता लगा कि लड़की ने एक पत्र लिखा था, उसमे उसने अपने रसायनशास्त्र और गणित के अध्यापकों पर अनावश्यक दबाव डालने का आरोप लगाया। पुलिस ने धरा 306 के अंतर्गत मामला दर्ज कर दोनों अध्यापकों को गिरफ्तार कर लिया था।

इसी वर्ष जनवरी में, एक और 17 वर्षीय हिंदू लड़की लावण्या ने कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या कर ली थी। तंजावुर में सेक्रेड हार्ट गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा ने एक वीडियो बना कर बताया था कि उस पर स्कूल प्रशासन द्वारा ईसाई धर्म में परिवर्तित होने का दबाव डाला जा रहा था, और उसके मना करने पर उसका शोषण किया जा रहा था, जिससे दुखी हो कर उसने आत्महत्या कर ली।

इस तरह की घटनाओं से लोगो का विश्वास इन शिक्षण संस्थाओं से उठने लगा है। तमिलनाडु में मिशनरी और धर्मान्तरण माफिया बहुत ज्यादा सक्रिय है, और द्रमुक सरकार द्वारा इन्हे खुली छूट भी दे दी गयी है। यही कारण है कि एक के बाद एक ऐसी घटनाएं हो रही है। इस विषय पर मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले निर्देश दिया था कि सीबी-सीआईडी को स्कूलों में हुई ऐसी आत्महत्याओं की जांच करनी चाहिए, लेकिन उसके बाद भी राज्य सरकार ऐसी घटनाओं पर ढुलमुल रवैया अपनाती है।

लोगों को अपने बच्चों की आत्महत्या की जांच कराने के लिए धरना करना पड़ता है, सरकार के हाथ जोड़ने पड़ते हैं, जो बहुत ही गलत है। हमे तो यह लगता है कि यह एक षड़यंत्र है, जिसके द्वारा हिन्दू बच्चों को शिक्षण संस्थानों से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। हिन्दू अब डरने लगे हैं और अपने बच्चों को इन शिक्षण संस्थाओं से निकाल कर वापस घर ले जा रहे हैं। इससे तो यही लग रहा है कि यह षड्यंत्र कहीं ना कहीं सफल हो रहा है।

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