ज्ञानवापी परिसर जब से सर्वेक्षण शुरू हुआ है, ऐसा लगने लगा है कि इस विषय का निस्तारण शीघ्र ही होगा, और हिन्दुओं को उनके आराध्य भगवान् शिव का पूजा अर्चना करने का अवसर भी शीघ्र ही प्राप्त होगा। पिछले ही दिनों इस विषय पर उच्चतम न्यायालय ने वाराणसी न्यायालय को अंतिम निर्णय लेने का आग्रह किया था तथा इसी मध्य हिन्दुओं ने कई और याचिकाएं वाराणसी न्यायालय में दायर की थी।
हिंदू पक्ष ने वाराणसी सिविल न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, इसमें ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को हस्तांतरित करने का निर्देश देने की प्रार्थना के साथ ही शिवलिंग की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करने की भी मांग की गई थी।
यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी और विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह की ओर से दायर की गयी थी। इस याचिका में ज्ञानवापी परिसर हिंदू पक्ष को सौंपने और ज्ञानवापी में तत्काल प्रभाव से पूजा-पाठ, राग भोग दर्शन की मांग की गई है। मंगलवार को याचिका दायर करने के बाद इसे वरिष्ठ विभागीय न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की पीठ से सम्बद्ध कर दिया गया था।
यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि वाराणसी जिला न्यायालय में चल रहा ज्ञानवापी परिसर का विषय अलग है, और उसपर 26 मई यानी कल सुनवाई होगी।
याचिका में हिन्दू पक्ष ने क्या मांग उठाई हैं?
हिन्दू पक्ष ने इस याचिका में 4 महत्वपूर्ण मांगे रखी हैं
ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के आने पर तुरंत प्रतिबन्ध लगाया जाए
ज्ञानवापी परिसर पूरी तरह हिंदुओं को हस्तांतरित कर दिया जाए
हिन्दुओं को भगवान विश्वेश्वर शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की आज्ञा दी जाए
परिसर में बने हुए मस्जिद के गुंबद को गिराया जाए
इससे पहले ज्ञानवापी परिसर विषय पर वाराणसी जिला न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई हुई थी। इसमें न्यायालय ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों की बातें सुनीं, तथ्यों और साक्ष्यों को जांचा परखा, और अगली सुनवाई की दिनांक 26 मई निश्चित की गयी थी। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सर्वे रिपोर्ट पर संक्षिप्त रूप से आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया है। अब कल ही निश्चित होगा कि ज्ञानवापी परिसर से जुड़े विषय को सुना जाना चाहिए या नहीं।
कल वाराणसी जिला न्यायाधीश अजय कुमार विश्वेश ने कहा था कि नागरिक प्रक्रिया संहिता सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की जायेगी। उन्होंने ही सुनवाई की अगली तारीख 26 मई निश्चित की थी, और साथ ही मुस्लिम पक्ष से सर्वे रिपोर्ट पर आपत्ति भी मांगी है।
देखना होगा कि इतनी याचिकाओं में से किसका निस्तारण शीघ्रता से होता है क्योंकि इतने वर्षों के उपरान्त जब हिन्दू पक्ष यह दावा कर रहा है कि बाबा दिख गए तो हिन्दुओं की भावनाएं अपने बाबा की पूजा केलिए अधीर हो रही हैं।