पंजाब में स्वर्ण मंदिर के परिसर से एक हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में बिहार से आई एक अधेड़ उम्र की महिला को प्रताड़ित किया जा रहा है, महिला का दोष मात्र इतना था कि उसने ‘कथित रूप’ से गुरूद्वारे के परिसर में बीड़ी जला दी थी! हालांकि पुलिस के अनुसार उस महिला के पास बीड़ी नहीं मिली थी।
वायरल वीडियो में एक व्यक्ति जाँच के दौरान में अधेड़ उम्र की महिला को थप्पड़ मारता हुआ दिख रहा है। साथ ही वह व्यक्ति यह भी कहता सुनाई दे रहा है कि ‘यहाँ सचखंड श्री हरिमंदर साहिब में सिगरेट पी रही है?’
महिला के साथ आई बच्ची को कहीं न कहीं ऐसा लग रहा है कि उसकी माँ ने गलती की है, जिस कारण वह क्षमा प्रार्थना भी कर रही है। थप्पड़ मारने वाला व्यक्ति यह भी कहता सुनाई दे रहा है कि उसे 50 नंबर कमरे में भेज देना चाहिए।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि वह महिला माफी मांग रही है और वह यह भी कह रही हैं कि उन्हें बिलकुल भी परिसर के नियमों की जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्हें माफ़ कर दिया जाए। पर थप्पड़ लगाने वाले लोग उनकी बात नहीं सुनते!
मीडिया के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि महिला को छोड़ दिया गया क्योंकि स्वर्ण मंदिर में उसके बीड़ी पीने का कोई भी प्रमाण प्राप्त नहीं हुआ। उनके अनुसार “महिला को लाने वाले महिला के पास से किसी भी बीड़ी को नहीं दिखा पाए और यहाँ तक कि इस वीडियो में भी बीड़ी पीने का कोई सबूत नहीं था। उन पर हाथ उठाना अमानवीय था!”
इस घटना के आने के बाद लोगों के भीतर बहुत गुस्सा है और लोग यह प्रश्न कर रहे हैं कि यदि यह मान लिया ही जाए कि वह महिला बीड़ी भी पी रही थी तो भी क्या उसे इस प्रकार मारने का अधिकार मिल जाएगा? यदि किसी ने नियम का पालन नहीं भी किया है तो उसे पुलिस के पास ले जाया जा सकता था? और क्या मात्र इतने से ही बेअदबी हो जाती है?
सोशल मीडिया पर लोग इस बात को लेकर भी प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर सिख अब्राह्मिक क्यों होते जा रहे हैं?
परन्तु हाल ही के दिनों में बेअदबी के नाम पर बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो नहीं होना चाहिए था, जो हिन्दू और सिखों के परस्पर विश्वास पर प्रहार कर रहा है! हमने देखा है कि स्वर्ण मंदिर में ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं। एक ऐसी घटना हाल ही में हुई थी, जब गर्भगृह के भीतर रेलिंग से कूदने वाले व्यक्ति की क्रूरतापूर्ण रूप से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
किसान आंदोलन के मध्य भी एक ऐसी ही घटना ने विवाद को जन्म दिया था। जब सिंघू सीमा पर बने प्रदर्शन स्थल पर सिखों द्वारा बेअदबी का आरोप लगाते हुए पंजाब के ही रहने वाले लखबीर सिंह की क्रूरतापूर्ण रूप से हत्या कर दी गई थी। साथ ही जुलाई 2021 में सेना के जवान पर भी कथित बेअदबी का आरोप लगाते हुए हमला किया गया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सिख समुदाय की स्थिति
पकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे इस्लामी मुल्कों में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ किस प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है, उससे हम सभी परिचित हैं।
वर्ष 2019 में सामने आई आज तक की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि पाकिस्तान में सिख समुदाय की जनसंख्या विलुप्त होने के मुहाने पर है। यह भी दावा किया गया था कि 2002 में सिखों की जनसंख्या जो कभी 40 हजार थी, वह घटकर केवल आठ हजार रह गई है।
वहीं अफगानिस्तान से हाल ही में सारे सिख चले आए हैं। लोगों ने ट्विटर पर वह भी तस्वीर साझा की कि कैसे सिख अपने धार्मिक ग्रन्थ के साथ वापस आ रहे हैं।
फिर भी यह देखना अत्यंत निराशाजनक है कि कैसे सिख भी स्वयं में एक अब्राह्मिक पन्थ होते जा रहे हैं। हालांकि पुलिस की ओर से यह कहा जा रहा है कि महिला को पीटने की घटना में कोई भी एसजीपीजी का कर्मचारी शामिल नहीं है। फिर भी लोगों के मन में यह देखकर बहुत आक्रोश और क्षोभ है कि कैसे बेअदबी के नाम पर समाज में जहर घोलने की कोशिश लगातार की जा रही है। कैसे सिखों और हिन्दुओं को दूर करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं?
ऐसे तत्वों पर नियंत्रण करना अब मात्र सिखों के उस समूह के हाथों में है, जो वास्तव में इस देश से प्रेम करते हैं और जो इस षड्यंत्र को समझते हैं!
शांतनु मिश्रा