कांग्रेस ने भारत को सामरिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के कई कार्य किये हैं। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा हमेशा से ही पाकिस्तान को लेकर बड़ा ही संदिग्ध व्यवहार रहा है, और कांग्रेस का नेतृत्व हमेशा अमन की आशा के नाम पाकिस्तान को एक छद्म आवरण दे कर उसका बचाव किया करता रहा है और यही एक बड़ा कारण रहा है कि पाकिस्तान को लेकर कहीं न कहीं भारत की सामरिक नीतियां बड़ी ही डांवाडोल रही हैं।
कांग्रेस सरकार की ऐसी ही नीतियों द्वारा जनित एक षड़यंत्र का खुलासा हुआ है, जिसमे यह पता लगा है कि पाकिस्तान का एक पत्रकार बारम्बार भारत आया करता था, और यहां से खुफिया जानकारियां जुटा कर आईएसआई को दे दिया करता था। पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने पाकिस्तान के एक यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए बताया कि वह तत्कालीन भारतीय उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और एक अंग्रेजी समाचार पत्र मिल्ली गजट के संस्थापक जफरूल इस्लाम खान के न्योते पर भारत आया जाया करते थे।
इस तरह भारत आना जाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन आगे जो नुसरत मिर्जा ने बताया, उसे सुन कर हर भारतीय का खून उबल पड़ेगा। नुसरत ने बताया कि अपनी भारत यात्राओं के समय वह कई महत्वपूर्ण जगहों की रेकी किया करते थे, खुफिया जानकारी जुटाते थे, और यह जानकारियां वह आईएसआई के चीफ को दे दिया करते थे। अब यह समझना आसान है कि आईएसआई उस जानकारी का उपयोग किस तरह भारत के विरुद्ध किया करती होगी, कांग्रेस के शासन के समय भारत में आतंकवादी घटनाओं में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हो गयी थी।
नुसरत मिर्जा ने बताया कि वह आखिरी बार 2011 में मिल्ली गजट अखबार के संस्थापक जफरुल इस्लाम के न्योते पर भारत आया था । यहाँ उसने कई तरह की संवेदनशील खुफिया सूचनाएं प्राप्त की और उनके आईएसआई को दे दिया। आईएसआई पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी है, और यह पिछले कई दशकों से भारत में आतंकवाद को पाल पास रही है। भारत में हुए हर आतंकवादी घटना के पीछे कहीं ना कहीं आईएसआई का हाथ होता है।
कांग्रेस के शासन के समय किये भारत के दौरे
मिर्जा के इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर बड़ा हंगामा मच गया है। लोग हामिद अंसारी और जफरूल इस्लाम खान के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी को भी दोष दे रहे हैं। जिस समय की यह घटना है, तब देश में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का शासन था और तब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। अपने साक्षात्कार में नुसरत मिर्जा ने बताया कि उसने 5 बार भारत का दौरा किया। उसने पहली बार 2005 में चंडीगढ़ का दौरा किया और 2006 में हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई गया था।
इसके अतिरिक्त वह पटना, कोलकाता, और अन्य बड़े शहरों में भी गया था। कांग्रेस सरकार के समय हुई एक आतंकवाद आधारित गोष्ठी में भाग लेने के लिए भी वह भारत आया। सोचिये यह कितनी बड़ी विडंबना है, कि आतंकवाद पर गोष्ठी में भाग लेने आईएसआई का जासूस आया करता था। इसी से पता चलता है कि क्यों कांग्रेस के शासन के समय भारत की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बुलावे पर आईएसआई का जासूस आता था भारत
नुसरत मिर्ज़ा के अनुसार उसे तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी न्योता दिया करते थे। हालांकि मिर्ज़ा को एक दुःख भी है, उसके अनुसार मुसलमानो ने कई सौ साल तक भारत पर शासन किया था, वह भारत की परिस्थितिओं से अच्छी तरह परिचित भी था। उसने भारत के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां इकठ्ठा की, लेकिन उसका इस्तेमाल पाकिस्तानी सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसी नहीं कर पायी। इसका कारण उसने पाकिस्तान में सुदृढ़ नेतृत्व की कमी को बताया है। सोचिये इस ख़ुफ़िया जानकारियों का क्या उपयोग वो करना चाहता था, और इसके क्या नुकसान भारत को उठाने पड़ते।
हामिद अंसारी की भूमिका ऐतिहासिक रूप से संदिध ही रही है
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की भूमिका हमेशा से संदिग्ध ही रही है, उन पर पद के दुरूपयोग करने के आरोप लगते ही रहे हैं, इसके अतिरिक्त देशविरोधी गतिविधियों में भी उनका योगदान रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसी (रॉ ) के वरिष्ठ अधिकारी रहे एनके सूद ने हामिद अंसारी को लेकर बड़े खुलासे किए थे। उनके अनुसार हामिद अंसारी जब ईरान में भारत के राजदूत थे, तब उन्होंने भारतीय हितों के विरुद्ध कार्य किये थे।
सूद के अनुसार जब वह ईरान की राजधानी तेहरान में तैनात थे, तब हामिद अंसारी वहां भारत के राजदूत की भूमिका में थे। ऐसा बताया जाता है कि अंसारी ने तेहरान में भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के नेटवर्क को अरक्षित कर ढेरों अफसरों और जासूसों की जान को खतरे में डाल दिया था। हामिद अंसारी को दो बार देश का उपराष्ट्रपति भी बनाया गया।
भारत में उपराष्ट्रपति को विधिक कार्यवाही से सुरक्षा प्राप्त है, इस कारण से हामिद अंसारी किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही से बच सकते हैं। तथापि यह बहुसंख्यक जनता का मत है कि देश की सुरक्षा से सम्बंधित विषयों पर इस प्रकार की छूट आदि नहीं प्रदान की जानी चाहिए, जो भी व्यक्ति शत्रु देश के तत्वों से मेल जोल रखता हो, या किसी भी तरह की देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो, उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होनी ही चाहिए।