भारत में एक बड़ा वर्ग है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करता है और साथ ही जिन मुद्दों पर असहज अनुभव करता है उस पर प्रतिबन्ध की बात भी करता है। वह वर्ग हिन्दू धर्म और प्रभु श्री राम की निंदा को उचित ठहराता है, परन्तु यह अत्यंत विरोधाभासी है कि राम को मानने वाले गांधी जी की आलोचना या उनके जीवन के सम्बन्ध में कुछ भी असहज लिखने का विरोध करता है।
फ़िलहाल गांधी वध पर बनी फिल्म “व्हाई आई किल्ड गांधी” पर हंगामा मचा हुआ है। आल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि वह फिल्म “व्हाई आई किल्ड गांधी” पर रोक लगाएं। क्योंकि उनका कहना है कि ऐसा करने से गद्दार नाथूराम गोडसे का महिमामंडन होगा और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कातिल का सम्मान होगा।
पत्र में लिखा गया है कि
“ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने 30 जनवरी, 2022 को भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली फिल्म व्हाई आई किल्ड गांधी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है, क्योंकि यह फिल्म राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गद्दार और हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करती है। गांधीजी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी प्रशंसा पूरे भारत और दुनिया ने की है, गांधीजी की विचारधारा प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेम और बलिदान का प्रतीक है।”
इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया गया है:
एसोसिएशन द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी लिखा है कि नाथूराम गोडसे (गद्दार और महात्मा गांधी का कातिल) इस देश में किसी की भी एक इंच सहानुभूति का अधिकारी नहीं है। और जिस व्यक्ति ने यह किरदार निभाया है वह सांसद है, तथा भारतीय संविधान की शपथ ले चुके हैं। यदि यह फिल्म रिलीज़ होती है तो पूरा देश उस जघन्य अपराध को देखकर आक्रोश में भर जाएगा, जो 30 जनवरी 1948 को हुआ था।”
बताते चलें कि नाथूराम गोडसे का चरित्र निभाने वाले डॉ अमोल कोहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से सांसद हैं तथा यह पार्टी महाराष्ट्र में गठबंधन में सरकार चला रही है। इसीके साथ यह भी हैरान करने वाली बात है कि इसी गठबंधन की एक और पार्टी कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से यह मांग की गयी है कि वह इस फिल्म पर रोक लगाएं।
महाराष्ट्र कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री ठाकरे को भेजे गए पत्र में लिखा है कि महात्मा गांधी की विचारधारा सत्य, शांति एवं अहिंसा की विचारधारा है, जिसका सम्मान पूरे विश्व में किया जाता है। और इस फिल्म को गांधी जी की ह्त्या के दिन के ही अवसर पर रिलीज किया जाता है तो यह फासीवादी ताकतों को और शक्ति देगा। और इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगाया जाए।
देखना होगा कि इस फिल्म पर प्रतिबंध लगता है या फिर कथित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मात्र और मात्र यहीं तक सीमित है कि हिन्दुओं के देवी-देवताओं का गलत चित्रण किया जा रहा है।
अभिव्यक्ति की सीमित एवं स्वतंत्रता
फिल्मों में देखा गया है कि हर उस फिल्म को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम दे दिया जाता है, जिसमें हिन्दू धर्म के प्रति अपमानजनक भाषा का उल्लेख होता है, जिसमें हिन्दू धर्म को विकृत तरीके से प्रदर्शित किया जाता है, जिनमें साधु सन्यासियों का उपहास होता है, जिनमें संस्कृत भाषा, हिन्दी भाषा का अपमान होता है।
लव जिहाद को प्रोत्साहित करने वाली फिल्मों पर कोई रोक नहीं है परन्तु लव जिहाद के विरोध में बनी फिल्म रिलीज करने की अनुमति नहीं है!
यह भी बहुत ही हैरानी भरी बात है कि एक ओर तो कांग्रेस प्रभु श्री राम को काल्पनिक बताती है और उनके हर अपमान को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहकर टाल देती है, वही कांग्रेस दूसरी ओर गांधी जी, जो राम के भक्त थे, फिर चाहे उनके राम अपने ही राम क्यों न रहे हों, के वध के कारणों पर चर्चा भी नहीं करना चाहती है?
जब चर्चा करने से भागा जाता है तो लोगों के मन में जानने की उत्सुकता रहती है कि आखिर क्या हुआ था, आखिर इस घटना का कारण क्या था? आखिर क्यों मारा होगा? आदि आदि प्रश्न उत्पन्न होते हैं। और जब गांधी जी जैसे व्यक्ति, जिनका प्रभाव उस समय भारत की राजनीति के साथ साथ पूरे विश्व पर भी था, तो ऐसे में क्या कारण रहा होगा किसी और के लिए, जो उसने गांधी जी पर गोली चलाई।
कोई भी व्यक्ति नाथूराम गोडसे का समर्थन नहीं कर सकता है, और करना भी नहीं चाहिए परन्तु फिर भी कांग्रेस को या फिर गांधीवादियों को इस फिल्म के रिलीज होने से क्या समस्या है क्योंकि जितना अधिक प्रतिबन्ध लगाया जाएगा उतना ही अधिक लोगों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होगी और वह अपने आप कारणों को खोजने का प्रयास करेंगे। गांधी जी की आलोचना प्रतिबन्ध का ही परिणाम है कि लोग अब उनके उन पहलुओं पर खोज खोज कर पढ़ रहे हैं जिनसे उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला।
आईएएनएस के अनुसार हालांकि कांग्रेस इस फिल्म का विरोध कर रही है तो वहीं शिवसेना ने इस मामले में निष्पक्ष दृष्टिकोण रखा है तो वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इसे रचनात्मक स्वतंत्रता के अनुसार देखा जाना चाहिए।। विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि यदि डॉ कोल्हे ने यह भूमिका निभाई है तो उसमें कुछ गलत नहीं है!