“आपातकाल में ठूंसी गई कांग्रेस की विचारधारा; क्या ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द संविधान के हत्या का है प्रमाण?”, सुदर्शन न्यूज, जून 28, 2025
“25 जून 1975, भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन। इंदिरा गांधी ने न केवल आपातकाल थोपकर लोकतंत्र का गला घोंटा, बल्कि उसी रात संविधान के मूल चरित्र की भी निर्मम हत्या की स्क्रिप्ट लिख दी। 1976 में, बिना जन-सहमति, बिना संविधान सभा की मंज़ूरी, प्रस्तावना में जबरन ठूंसे गए दो शब्द—‘सोशलिस्ट’ और ‘सेक्युलर’।
आज, जब RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने इन दोनों विवादित शब्दों पर बहस की ज़रूरत बताई, तो कथित ‘लिबरल’ जमात और कांग्रेस समर्थक बौखला गए। लेकिन देश पूछ रहा है- आख़िर इस बहस से इतना डर क्यों?
क्या ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द संविधान की मूल आत्मा से मेल खाते हैं? या ये इमरजेंसी के दौर में ठोंसी गई कांग्रेस की वैचारिक तानाशाही का प्रतिबिंब हैं……”
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