HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
26.6 C
Sringeri
Thursday, March 23, 2023

जयंती विशेष: चन्द्रगुप्त मौर्य, हिन्दू समृद्धि का अध्याय

“चन्द्रगुप्त जब भी शिकार या किसी अन्य आयोजन में जाते थे तो उनके साथ उनके अमेज़ियन (Amazonian) सैनिक रक्षा के लिए होते थे, और वह एक शाही रथ के आसपास बाड़ का निर्माण करते थे। उस रथ में नख से शिख तक शस्त्रों से सुसज्जित एक या दो स्त्रियाँ होती थीं, जबकि शेष घोड़ों या हाथियों पर चढ़कर चलती थी। किसी को भी रथ के काफिले के आसपास आने की अनुमति नहीं होती थी एवं जो भी आने का प्रयास करता था, फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, उसकी मृत्यु सुनिश्चित होती थी।”

-‘इंटरकोर्स बिटवीन इंडिया एंड द वेस्टर्न वर्ल्ड,’ एच जी रौलिंसन , कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस 1916 (Intercourse Between India And The Western World, H. G. Rawlinson, Cambridge University Press 1916)

इस पुस्तक में एचजी रौलिंसन ने मेगस्थनीज़ की इंडिका के माध्यम से चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन और शासन के विषय में काफी विस्तार से लिखा है।  भारत सदा से ही इतना समृद्ध रहा है कि कर्मचारी विदेशों से आते थे। भारत से भी बाहर जाते थे, व्यापार करने के लिए और बाहरी लोग यहाँ पर कार्य के लिए आते थे। जैसा इसमें आगे लिखा है कि सेना का हिस्सा जो स्त्रियाँ बनती थीं, उनके अभिभावक उन्हें राजा को दे देते थे और फिर उनका लालन पालन महल में ही होता था। पर जहां तक है वह आधी विदेशी होती थीं,  एवं अधिकतर पश्चिमी होती थीं। यूनानी लड़कियों का आयात होता था और जैसा कि कालिदास द्वारा रचित मुद्रा राक्षस नाटक में भी वर्णित है कि हर राजा की सभा में “यवन महिलाओं के सैनिक” नाम से भंडार होता था।  यह स्त्रियाँ अपने राजा के प्रति निष्ठावान होती थीं और किसी भी राजनीतिक दल से इनका कोई सम्बन्ध नहीं होता था।

फिर आगे लिखते हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य के राजकोष में अथाह सोना चांदी था, रत्नों का भण्डार था। आगे वह एलियन (Aelian) नामक लेखक के शब्दों में राजा के महल की भव्यता का वर्णन करते हुए लिखते हैं “भारतीय राजा के महल में, जो उस समय सभी राजाओं में सबसे महान था, प्रशासन तो उसका उत्कृष्ट था ही, वहां पर ऐसे ऐसे आश्चर्य थे कि जिनका मुकाबला न ही तो मेम्नोनियन सुसा कर सकता था और न ही एकबताना (Ekbatana) उम्मीद कर सकता था, हां केवल पर्शिया की प्रख्यात भव्यता ही उसकी तुलना कर सकता था।”

यह भारत में मौर्य वंश के प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य और शासन के सम्बन्ध में यूनानी दूत मेंगस्थनीज़ द्वारा लिखी गयी पुस्तक इंडिका से उद्घृत कुछ उदाहरण हैं।  मेघस्थनीज़ चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल का विस्तार से वर्णन करते हैं। वह सेनाओं के विषय में भी बताते हैं, कि कितने प्रकार की सेनाएं हुआ करती थीं और कैसे संचालन युद्ध कार्यालय द्वारा किया जाता था।

शासन व्यवस्था के विषय में मेगस्थनीज ने बहुत विस्तार से वर्णन किया है कि कैसे विभिन्न वर्ग हुआ करते थे और सेना में कौन कौन व्यक्ति जाते थे और विभिन्न व्यापार कौन किया करते थे। शूद्रों के विषय में वह लिखते हैं कि वह अन्य कार्यों के साथ साथ हातियों को पकड़ने और पालने का कार्य किया करते थे जो उस समय सेना का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता था। इस कार्य के बदले में उन्हें राजा से भत्ता प्राप्त होता था। सामान्य नागरिकों को हाथी पालने का अधिकार नहीं था।

शस्त्रों को एक तोपखाना विभाग के अंतर्गत रखा जाता था। ऐसे ही प्रशासनिक अधिकारियों का एक वर्ग होता था, जिसकी तुलना हम आज के सिविल अधिकारियों से कर सकते हैं। यह अधिकारी सरकारी अधिकारीयों के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए पूरे राज्य में दौरे करते रहते थे और वह उनके आचरण के आधार पर गोपनीय रिपोर्ट बनाते थे। वह सेना की भी जासूसी करते थे।

इसके अतिरिक्त एक वर्ग होता था वह था राजा को परामर्श देने वालों का। इनमें वह मंत्री होते थे जो सम्राट के मंत्रीमंडल का निर्माण करते थे एवं उनमें से अधिकाँश ब्राह्मण ही हुआ करते थे, परन्तु मेगस्थनीज़ ब्राह्मणों में भेद बताते हैं कि एक वह ब्राह्मण होते थे जो पूजा पाठ एवं आयोजन करते थे तो वहीं दूसरे प्रकार के ब्राह्मण वह हुआ करते थे जिन्होनें राजनीति को अपना लिया था।

इसके उपरान्त पृष्ठ 58 पर जो लिखा है वह मौर्य काल की उच्चतम नैतिकता एवं आदर्श को बताता है। जिसमें लिखा है कि मेगस्थनीज़ एक बात से बहुत प्रभावित हैं जिनमें है कि उस समय यूनानी और रोम संसार में प्रचलित गुलामी की परम्परा भारत में नहीं थी।

उस मसय हिन्दू समाज नैतिक रूप से काफी ऊंचाई पर था और मेगस्थनीज़ हिन्दू समाज की अच्छाइयों से बहुत प्रभावित थे। वह कहते हैं कि हिन्दू एक मितव्ययी एवं संतुष्ट जीवन जीते थे। बहुपत्नी परम्परा समाज के उच्च वर्ग में प्रचलित थी, परन्तु महिलाओं को काफी स्वतंत्रता थी। वह धार्मिक रूप से सन्यास भी ले सकती थीं। सती केवल दो ही जातियों में प्रचलित थी।

उसके बाद लिखते हैं कि भारतीयों की सत्यनिष्ठा से मेगस्थनीज़ बहुत प्रभावित थे। फिर वह लिखते हैं कि वह सहज अपराध नहीं करते थे।  वह कानून नहीं तोड़ते थे। और फिर वह स्त्राबो के माध्यम से कहते हैं कि हिन्दुओं में पढने और लिखने की प्रवृत्ति थी।

अत: कहा जा सकता है कि 340 BCE में जन्मे चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के महानतम सम्राटों में से तो एक थे ही, अपितु उनके कार्यकाल में हर प्रकार से समृद्धि थी। आध्यात्मिकता से लेकर विदेशियों के साथ व्यापार एवं संपर्क आदि सभी उस प्रोपोगैंडा से एकदम विपरीत था, जो हमें इतिहास में पढ़ाया जाता है। आज बच्चों को इतिहास में यह तो बार बार पढ़ाया जाता है कि मुगलों का प्रशासन कितना समृद्ध था, परन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य का शासनकाल कैसा था, उस समय सेना में विदेशी सैनिक हुआ करते थे, यह इतिहास की पुस्तकों से गायब है।


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.