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Tuesday, May 30, 2023

हेमंत बिस्वा सरमा संभालेंगे असम की कमान

अंतत: असम के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए प्रतीक्षा समाप्त हुई और अंत में हेमंत बिस्वा सरमा के नाम पर विधायक दल में सर्वसम्मति बनी। यह कई मामले में महत्वपूर्ण निर्णय है।  हेमंत बिस्वा अपनी सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते थे और वह असम में खासे लोकप्रिय हैं। वह अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं।

भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने जा रहे हेमंत बिस्वा मूलत: कांग्रेस के नेता रहे थे, जो कहा जाता है कि कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के एकदम खिलाफ थे।  हालांकि कई पत्रकारों का यह भी कहना है कि वह तरुण गोगोई से तो प्रसन्न थे परन्तु वह गौरव गोगोई के बढ़ते कद के विरोध में थे और वह हमेशा से ही असम में स्वयं को कांग्रेस का सहज उत्तराधिकारी मानते थे।  तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उन्हें कृषि और योजना एवं विकास विभाग जैसे पद और उन्हें बाद में वित्त, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे बड़े विभाग भी मिले थे। उस समय कई पत्रकारों का यह मानना था कि हेमंत ही कांग्रेस का चेहरा होंगे।

हेमंत आरम्भ से ही कार्य करने वाले एवं जनता से जुड़े हुए नेता रहे। यही कारण था कि जब केन्द्रीय नेतृत्व में वंशवाद के नाम पर केवल एक परिवार को ही बढ़ावा दियाजा रहा था, और असम में भी प्रतिभा को किनारे करके तरुण गोगोई अपने पुत्र का राजनीतिक कैरियर संवारने में लग गए थे तो वास्तविक मुद्दों पर नज़र रखने वाले हेमंत को असहज अनुभव होने लगा था।

जैसे जैसे तरुण गोगोई अपने तीसरे कार्यकाल में आगे बढ़ रहे थे, वैसे वैसे हेमंत बिस्वा के साथ उनके सम्बन्ध बिगड़ रहे थे। अत: निराश होकर हेमंत जब राहुल गांधी से मुलाक़ात करने गए थे तो वह अपने कुत्ते को बिस्किट खिलाने में व्यस्त थे। हेमंत बिस्वा यह दृश्य देखकर आहत हुए थे, और इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। और भाजपा का दामन थाम लिया था। और वर्ष 2016 के असम के विधानसभा चुनावों में ही नहीं बल्कि पूर्वोत्तर के दो और राज्यों अरुणाचल प्रदेश एवं मणिपुर में भी सरकार बनाने में सहायता की थी।

हेमंत बिस्वा वर्ष 2016 में भाजपा की सरकार बनने के बाद काफी सक्रिय रहे  एवं उन मुद्दों पर खुलकर बात की, जिन मुद्दों पर कोई बात करना पसंद नहीं करता था। जब पहली बार वह भाजपा के विजय के सूत्रधार बने थे तो वह कांग्रेस के अली-कुली समीकरण को पूरी तरह से ध्वस्त कर चुके थे। उन्होंने असम में घुसपैठियों के विषय में भी खुलकर बात की और वह बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत के लिए खतरा बता चुके हैं।

इतना ही नहीं शिक्षा मंत्री रहते हुए भी वह एक से बढ़कर एक ऐसे निर्णय ले चुके हैं, जो कथित धर्मनिरपेक्ष समाज में अस्पर्श्य माने जाते हैं। उन्होंने मदरसों में पढाए जाने वाली कट्टरता को समझा ही नहीं बल्कि खुलकर उसके विषय में बोला भी। उन्होंने इसके खतरों को समझाया एवं सरकारी अनुदान पर चलने वाले सभी मदरसों को बंद कर दिया।  आज तक से बात करते हुए उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों के विषय में कहा था कि “मियाँ लोग बेहद आक्रामक हैं। अजमल उनका समर्थन करता है। मियाँ लोग हमेशा से साम्प्रदायिक रहे हैं। वह चाहते हैं कि उनकी पत्नियां दर्जन भर बच्चों को जन्म दें। वे मदरसे चाहते हैं जबकि उनके बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहते हैं। इस प्रकार की मानसिकता का विरोध होना चाहिए।”

बिस्वा ने यह भी कहा था कि वह मदरसे में पढाई जाने वाली कट्टरता के विरोध में हैं, शिक्षा के नहीं। उन्होंने शिक्षा के विषय में कहा था कि वह चाहते हैं कि बच्चे डॉक्टर या इंजीनियर बनें और यह भी कहा कि वह बांग्लादेशी मुसलमानों के खिलाफ हैं, भारतीय मुसलमानों के नहीं।

शायद विषयों पर सही पकड़ ही थी जिसने उन्हें असम की गद्दी पर बैठाया है। भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है।  कल 52 वर्षीय हेमंत बिस्वा सरमा को असम विधायक दल का नेता चुना गया।  रविवार को संपन्न हुई बैठक में भाजपा आला कमान से केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र मोदी तोमर और पार्टी महासचिव अरुण सिंह उपस्थित रहे। और इस बैठक के उपरान्त केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हेमंत बिस्वा सरमा को आज सर्वसम्मति से असम राज्य के भाजपा विधानमंडल का नेता चुना गया।

इस घोषणा के बाद जलुकबरी विधान सभा सीट से पांचवी बार विजयी हुए हेमंत बिस्वा सरमा का स्वागत सोनोवाल एवं नरेंद्र तोमर सहित अन्य पार्टी नेताओं ने पारंपरिक असमी गमछे से किया।

असम में हाल ही में हुए तीन चरणों के चुनावों में कुल 126 सीटों पर वोट डाले गए थे और भाजपा ने उसमें से 60 सीटें जीती थीं तो वहीं उसके सहयोगी दल असम गण परिषद ने 9 और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल ने 6 सीटें जीतीं थीं। अर्थात भाजपा और गठबंधन सीटों ने कुल 75 सीटें जीती थीं।

इसी जीत के साथ अब हेमंत बिस्वा सरमा के रूप में भाजपा को एक ऐसा युवा नेतृत्व प्राप्त हुआ है, जिनके विचारों में अपने राज्य के साथ साथ इस देश की समस्याओं के प्रति स्पष्टता है।


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