(प्रतीकात्मक चित्र)
अभी हाल ही में हमने फिल्म शेरदिल: द पीलीभीत सागा का गौमांस वाला संवाद सुना ही है और समझा है कि कितना विकृत एजेंडा कथित निष्पक्ष फ़िल्में हमारे दिमाग में डालती हैं। मगर क्या यह व्यवहार में है ही और यह कुछ मुस्लिम बच्चों के दिमाग में भी कहीं न कहीं होता है कि हिन्दू शाकाहारी सहपाठियों को मांस खिलाया जाए या फिर गौ मांस खिलाने का भी षड्यंत्र होता है। इस बात पर शोध होना चाहिए!
वह फिल्म की बात थी, जिसमें गंगाराम बने पंकज त्रिपाठी को कोई “जिम अहमद” मांसाहारी बनने पर बाध्य करता है और साथ ही गौ मांस पर भी प्रश्न करता है, अब ऐसा मामला असम से आया है, जिसमें एक मुस्लिम बच्ची ने अपनी सहपाठी को धोखे से बीफ खिलाया! वह लड़की अपने टिफिन में बीफ मीट लेकर आई थी। हिन्दू लड़की को खाने के बाद पता चला कि वह क्या था
यह घटना असम में गोलपाड़ा में धूपधोरा के संकरदेव विद्या निकेतन की है। इस घटना को लेकर मुस्लिम छात्रा के अभिभावकों को हिरासत में ले लिया गया है। पत्रकार निहारिका हजारिका ने बताया कि राष्ट्रीय हिन्दू के सदस्यों ने धूपधारा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की और तत्काल कदम उठाने की मांग की।
यह एकमात्र घटना नहीं है एवं कई माध्यमों से गौ-मांस के सामान्यीकरण का प्रयास किया जा रहा है:
ऐसा नहीं है कि यह एकमात्र घटना हो। दुर्भाग्य की बात यह है कि हिन्दुओं के लिए पवित्र गौ माता के प्रति एक हीनता का बोध भरा जाता है और उत्तर क्षेत्र को जहाँ पर हिन्दी अधिक बोली जाती है, उसे बार बार गोबर पट्टी बोलकर उपहास उड़ाया जाता है। गाय को लेकर एक विशेष प्रकार की घृणा भरी जाती है और ऐसा नहीं है कि यह अब्राह्मिक रिलिजन या मजहब में ही है, कथित प्रगतिशील लोगों में भी है।
वह अपनी सॉफ्ट पावर का प्रयोग गौ-मांस को लेकर सामान्यीकरण करने में करते हैं। जैसा हमने शेरदिल द पीलीभीत सागा में देखा था, जैसा हमने कबीर खान द्वारा बनी बजरंगी भाईजान में देखा था। कबीर खान ने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि उन्होंने गौमांस और गौतस्करी के माहौल को ध्यान में रखते हुए और उसे हल्का करने के लिए एवं मांसभक्षण को सामान्य बनाने के लिए चिकन वाला गाना बनाया था।
कबीर खान ने कहा था कि “बजरंगी भाईजान में जो चिकन वाला गाना था, वह इसलिए लोकप्रिय हुआ क्योंकि उसमें करीना और सलमान ने बहुत अच्छा डांस किया था, परन्तु वही सबसे ज्यादा राजनीतिक था क्योंक वह बीफ बैन के समय आया था। यह गाना मूलत: यह कहता है कि यह चौधरी ढाबा है, जो भारत का प्रतीक है, जिसमें आधा मेन्यु शाकाहारी है और आधा मांसाहारी, तो जो आपको खाना है वह साथ बैठकर खाइए और जाइए! यही आपको राजनीति में होना चाहिए!”
कबीर खान का कहना है कि फिल्मों की आयु लम्बी होती है
यही कारण है कि शेरदिल जैसी फिल्म में, जो मुख्यत: हिन्दी पट्टी को ही ध्यान में रखकर बनाई गयी है, उसमें वह लेखक और अभिनेता सम्मिलित हैं, जिनकी पकड़ हिन्दी पट्टी के युवाओं पर बहुत अधिक है तो ऐसे में ऐसी फ़िल्में बहुत घातक होती हैं। और वह उस अपराध को सामान्य बना देती हैं, जो सांस्कृतिक है, धार्मिक है एवं हिन्दुओं की पहचान से जुड़ा होता है।
यही नैरेटिव की शक्ति है
कबीर खान जैसे लोग जानते हैं कि कैसे दिमाग से खेला जाता है। जैसे यह गाना था
लाओ कोफ्ता, लाओ कोरमा
लाओ शोरबा, लाओ सोरमा
सारे उपवास भले नष्ट हो जाए
ऐसा ही संवाद शेरदिल, द पीलीभीत सागा में है, जिसमें “जिम अहमद” कह रहा है कि गाय होती तो इंकार कर देते?
यह बहुत शातिराना हरकत है और हिन्दी पट्टी के हिन्दुओं के साथ बहुत बड़ा षड्यंत्र!
यही नैरेटिव की शक्ति होती है, यही एजेंडे की शक्ति होती है कि वह धीरे धीरे हिन्दुओं के दिल में उस गौमाता के प्रति एक उपेक्षा का भाव भर रहा है, जो उसकी धार्मिक चेतना का आधार है।
यदि असम में कोई मुस्लिम बच्ची ऐसा करती है तो दोष उसका है ही नहीं, दोष उसके अभिभावकों का है, जो यह जानते हुए भी कि स्कूल में हिन्दू बच्चियां होंगी, तो वह स्कूल में मांस न भेजें, मगर उन्होंने भेजा और फिर लड़की ने उसे हिन्दू सहेली को भी खिलाया!
असम में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जुलाई 2021 में असम में एक महिला को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि उसने असम के मुख्यमंत्री को गौमांस उपहार में देने की बात कही थी
इसी वर्ष अर्थात 2022 में मई में ही एक प्रधानाध्यापिका को असम में इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि वह स्कूल में लंच में गौमांस लेकर आई थी और खुद खाने के साथ साथ कई और सहकर्मियों को भी परोसा। स्कूल के प्रबंधन ने पुलिस से शिकायत की थी और दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने को लेकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तार शिक्षिका दलिमा नेसा जिले के लखीपुर इलाके में हुरकचुंगी मिडिल इंग्लिश स्कूल की प्रधानाध्यापिका हैं।
इसके बाद भी हिन्दू असहिष्णु है क्योंकि वह गौमांस खाने का विरोध करता है, गौ वध का विरोध करता है और मुस्लिम कट्टरपंथी वर्ग उदार एवं पीड़ित हैं, फिर चाहे वह खूब हर माध्यम से गौमांस या शाकाहारी हिन्दुओं को मांसाहारी बनाने का प्रयास करते रहें! गाय हिन्दुओं की धार्मिक एवं आर्थिक चेतना का सबसे बड़ा प्रतीक है, इसीलिए गाय पर हर प्रकार से वार होता है!
गाय के महत्व एवं हिन्दू धर्म में उनके स्थान को देखते हुए अधिक से अधिक इसके संरक्षण के प्रयास किए जाने चाहिए, हर माध्यम का प्रयोग गाय के प्रति आदर बढ़ाने के लिए होना चाहिए, न कि उनके मांस के भक्षण को सामान्य बताना चाहिए!