बदलते अंतराष्ट्रीय रणनीतिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए, सेना को पहले से अधिक आधुनिक रूप देने और युवाओं को ज्यादा अवसर देने के लिए सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी ‘अग्निपथ’ योजना प्रस्तुत की है। इस योजना में देश के युवाओं को थल सेना, वायु सेना और नौसेना में चार साल तक सेवा देने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा। चार साल तक तीनों सेनाओं में सेवा देने वाले ये जवान ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे।
मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इस योजना को प्रस्तुत किया और आवश्यक जानकारी दी। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने योजना के विषय में बताते हुए कहा कि इस स्कीम से सेनाओं की औसत आयु कम होगी, अभी तक यह आयु 32 वर्ष थी, जो घटकर 24 से 26 साल ही रह जाएगी।
केंद्र सरकार का कहना है कि चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत जवानों को सेना में स्थायी नौकरी दी जाएगी जबकि 75 प्रतिशत जवानों को सरकार के विभिन्न विभागों एवं उपक्रमों की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। पढ़ने और स्वयं का उद्यम करने के इच्छुक ‘अग्निवीरों’ को सरकार सर्टिफिकेट एवं वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराएगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित कई राज्य सरकारों ने भी घोषणा की है कि वे अपने सुरक्षा बलों की भर्ती में ‘अग्निवीरों’ को वरीयता देंगे। हालांकि जैसा आशा थी, इस योजना के विरुद्ध कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। बिहार सहित कई राज्यों में छात्र सड़क पर उतरे हैं और हिंसक प्रदर्शन किया है। इसमें कोई शंका नहीं कि इस योजना को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं और लोगो को भड़काया जा रहा है। इस लेख में हम इस योजना के कई पक्षों पर रौशनी डालेंगे और आम लोगो को बेहतर जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
क्या है अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया?
केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में परिवर्तन करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ योजना बनाई है। इस योजना के अनुसार सैनिकों की भर्ती चार साल की संक्षिप्त अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी। इसमें तीनों सेनाओं के लिए वर्ष में लगभग 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे, चयन के लिए पात्रता आयु साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इनको अग्निवीर नाम दिया जाएगा।
अग्निवीरों के लिए भी मेडिकल और फिजिकल फिटनेस के नियम वही रहेंगे, जो अब तक अन्य सैनिकों के लिए रहे हैं। 10वीं और 12वीं पास युवाओं को अग्निवीर के तौर पर अलग-अलग पदों पर भर्ती के लिए अवसर मिलेगा। पहले वर्ष में अग्निवीरों को सालाना 4.76 लाख रुपये का पैकेज मिलेगा, वहीं चौथे साल के अंत तक यह राशि बढ़कर 6.92 लाख रुपये हो जाएगी।
अग्निपथ योजना में सेवा की अवधि के समाप्त होने पर 25 प्रतिशत जवानों को सेना में स्थायी नौकरी मिलेगी, वहीं 75 प्रतिशत अन्य को 11.7 लाख रुपये का पैकेज दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त उन्हें जोखिम भत्ता, राशन एवं उपयुक्त यात्रा छूट भी मिलेगी। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कौशल पात्रता प्रमाण पत्र भी मिलेगा। अग्निवीरों के मासिक वेतन के 30% हिस्से का योगदान अग्निवीर द्वारा तथा इसके बराबर राशि का योगदान सरकार द्वारा भी किया जाएगा।
सेवा के दौरान मृत्यु होने पर परिजनों को 1 करोड़ रुपये मिलेंगे, वहीं सेवा के दौरान दिव्यांग होने या गंभीर रूप से जख्मी होने की स्थिति में 44 लाख रुपये की राशि दी जायेगी। सेवा निधि पैकेज पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं वसूला जाएगा। अग्निवीर सैनिक, जिनका 4 वर्ष का कार्यकाल समाप्त होगा, उन्हें दूसरे संस्थानों में रोजगार के अवसर मिलेंगे और उन्हें प्राथमिकता भी दी जाएगी।
कैसे होगी अग्निवीर भर्ती?
सेना जल्दी ही भर्ती से सम्बंधित सूचना जारी करेगी और अग्निवीरों की पहली भर्ती 90 दिनों के भीतर ही होगी। इस वर्ष पहले बैच में कुल 46,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी, आने वाले वर्षों में यह संख्या और बढ़ सकती है। अग्निवीरों की भर्ती के लिए सेना रैली का आयोजन होगा, इसके अतिरिक्त कुछ संस्थानों में जाकर कैंपस इंटरव्यू भी तीनों सेनाओं की ओर से किया जाएगा। विशेष रूप से आईटीआई करने वाले युवाओं को खास अवसर मिलेंगे। सेवामुक्त किए जाने के बाद भी उन्हें दूसरी नौकरी सरलता से प्राप्त हो जाए, इसके लिए ‘अग्निवीर स्किल सर्टिफिकेट’ भी जारी किया जाएगा।
क्या ‘अग्निवीरों’ का भविष्य असुरक्षित है?
यह निसंदेह सबसे बड़ा प्रश्न है, और कहीं ना कहीं यह आंदोलन के पीछे बहुत बड़ा कारण भी है। अग्निवीरों के करियर की भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने ऐसे रक्षा कर्मियों के लिए कौशल आधारित तीन-वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा पेश किए जाने वाले डिग्री प्रोग्राम को रोजगार एवं शिक्षा के लिए भारत और विदेशों दोनों में मान्यता दी जाएगी।
केंद्र ने अग्निवीर सैनिकों के सेवानिवृत्त होने के बाद उनको मिलने वाले रोजगार के कई अवसरों की संभावनाओं को भी रेखांकित किया है। सेना से रिटायर होने के बाद ऐसे ‘अग्निवीर’ जो कारोबार शुरू करना चाहेंगे उन्हें वित्तीय मदद दी जाएगी, उन्हें उद्यम शुरू करने के लिए बैंक ऋण भी मिलेगा। ऐसे ‘अग्निवीर’ जो आगे पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का सर्टिफिकेट एवं ब्रिजिंग कोर्स जाएगा। इन्हें सीएपीएफ एवं राज्यों की पुलिस की भर्ती में वरीयता दी जाएगी, इसके अतिरिक्त राज्य सरकारों के उपक्रमों में भी इन्हें समायोजित किया जाएगा।
क्या अग्निवीरों से सशस्त्र बलों की क्षमता प्रभावित होगी?
दुनिया भर के कई देशों की सेनाओं में इस तरह की सीमित सेवा की व्यवस्था पहले से है। इस व्यवस्था को पहले से ही जांचा परखा जा चुका है, और बूढ़ी होती सेना एवं युवाओं के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था माना जाता है। पहले साल भर्ती होने वाले ‘अग्निवीरों’ की संख्या सशस्त्र सेनाओं की संख्या की मात्र 3 फीसदी होगी। सेना में युवा जवानों की संख्या अनुभवी सैनिकों से ज्यादा हो जाए, ऐसा कभी नहीं होगा। इस योजना के तहत धीरे-धीरे ‘अग्निवीरों’ की संख्या बढ़ाई जाएगी और अनुभवी और युवा सैनिको का बढ़िया संतुलन बनाया जाएगा।
क्या इस योजना को प्रस्तुत करने से पहले कोई सलाह नहीं की गयी?
ऐसा नहीं है, पिछले 2 वर्षो में सशस्त्र सेनाओं में सेवारत अधिकारियों द्वारा इस योजना पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है। इस योजना का प्रस्ताव डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री ऑफिसर्स के अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है। इस विभाग को सरकार ने ही बनाया है, सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों ने इस योजना के लाभों को स्वीकार और इसका स्वागत किया है।
सरकार ने दी राहत, इस वर्ष के लिए उम्र सीमा 2 साल बढ़ाई गयी
केंद्र सरकार ने देर रात एक बड़ी राहत देते हुए अग्निवीरों के लिए अधिकतम आयुसीमा 21 से बढ़ाकर 23 साल कर दी है। हालाँकि यह छूट सिर्फ इसी वर्ष के लिए रहेगी, क्योंकि पिछले दो साल से सेना में भर्तियां नहीं हो पाई हैं और लाखों युवा 21 साल की उम्र पार कर चुके हैं।