पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी एक छद्म प्रचार कर रही है, जिसमे उनके सभी नेता भाजपा पर आक्रमण करते हुए कहते हैं कि ” भाजपा एक लुच्चे लफंगो और दंगाइयों का दल है”। हालांकि सच्चाई इसके एकदम उलट है, अगर तथ्यों की बात की जाए तो यह सिद्ध हो जाता है कि अपने गठन के कुछ ही वर्षों में आम आदमी पार्टी वो सभी कार्य करने में पारंगत हो गयी है, जिनका वो विरोध किया करती थी, और आज जिसके लिए वो भाजपा पर झूठा दोषारोपण कर रही है।
बात करते हैं वर्ष 2020 में दिल्ली में हुए मजहबी दंगो की, जो कहने को तो नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने के लिए हुए थे, लेकिन उनका असली लक्ष्य था राजधानी के हिन्दुओ के मन में भय की भावना का प्रसार करना और दुनिया भर में भारत का नाम खराब करना। इन दंगो में 53 लोग मारे गए थे, और सैंकड़ो करोड़ की संपत्ति की हानि हुई थी। दिल्ली के एक न्यायालय ने दिल्ली दंगो के मामले की सुनवाई करते हुए आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली दंगों के एक मामले में आरोप तय कर दिए हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने “आप” के नेता ताहिर हुसैन और 5 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी के अनुसार आरोप सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि ताहिर हुसैन एक पूर्व नियोजित षड्यंत्र के अपराध के आरोप के साथ ही दंगा, आगजनी आदि के अपराध के लिए भी आरोपित होने के लिए उत्तरदायी है।
न्यायालय ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147/148/427/435/436/395 और आईपीसी की धारा 149 के अंतर्गत भी आरोप तय किए जा सकते हैं। इस मामले की चार्जशीट में यह भी बताया गया है कि आगे की जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी ताहिर हुसैन को एक लाइसेंसी पिस्तौल और 100 राउंड जारी किए गए थे, जिसे उसने 7 जनवरी, 2020 को थाना खजूरी खास में जमा किया था और 22 फरवरी, 2020 को ये हथियार उसे वापस मिल गए, यानी दंगे शुरू होने से ठीक पहले।
न्यायलय ने एक महत्वपूर्ण अवलोकन करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष का विषय यह है कि ताहिर हुसैन, अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम और शोएब आलम नाम के छह आरोपियों ने एक षड़यंत्र रचा था, जिसका उद्देश्य खजूरी खास इलाके में दंगा करना था और हिंदू समुदाय के लोगों को मारने और उनकी संपत्तियों का नाश करना भी था। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 114, 147, 148, 149, 427, 454, 395, 435, 436, 153ए, 505, 120बी, और 34 के तहत अपराध के लिए चार्जशीट दाखिल की गई है।
चार्जशीट में बताया गया है कि आरोपी ताहिर हुसैन और उसके सहयोगियों द्वारा किये गए अपराधों के संबंध में सोशल मीडिया के माध्यम से क्राइम ब्रांच और साइबर सेल को ढेरों वीडियो और सीसीटीवी फुटेज भी प्राप्त हुए थे। इन वीडियो फुटेज में बड़ी संख्या में ताहिर हुसैन और उसके दंगाइयों को हिन्दुओ पर पथराव, पेट्रोल बम आदि फेंकते हुए देखा जा सकता है। ताहिर हुसैन के घर की छत और आस पास की कुछ और इमारतों से हिंदू समुदाय के लोगों के साथ-साथ उनके घरों पर भी हमला किया जा रहा था।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि आरोपी ताहिर हुसैन, जो उस समय आम आदमी पार्टी का नेता था और इलाके का निगम पार्षद भी था, उसने अपने घर की पहली मंजिल पर अपना ऑफिस बनवा रखा था। ताहिर हुसैन अपने घर से और चांद बाग पुलिया के पास स्थित मस्जिद से भी भी इस्लामिक दंगाइयों का नेतृत्व कर रहा था। ऐसा कहा जाता है कि उसने हिंदुओं के खिलाफ मुसलमानों को उकसाया और दो धर्मों के सदस्यों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए दंगों को सांप्रदायिक रंग दिया।
आशा है जल्दी ही ताहिर हुसैन और उसके सहयोगी इस्लामिक दंगाइयों को कारावास भी दिया जाएगा । लेकिन यहाँ ये बात ज्यादा महत्वपूर्ण है कि कैसे आम आदमी पार्टी का नेतृत्व ताहिर हुसैन का सहयोग कर रहा था । पहले तो आम आदमी पार्टी ने इस पूरे विषय पर कुछ बोलना ठीक नहीं समझा, लेकिन बाद में ताहिर हुसैन के अरविन्द केजरीवाल के साथ वाले चित्र सोशल मीडिया में आये, तब लोगो को पता लगा कि ताहिर हुसैन तो 2017 में ही आम आदमी पार्टी के टिकट पर इस इलाके का पार्षद बन गया था।
आम आदमी पार्टी के बड़े नेता अमानतुल्लाह खान ने ताहिर हुसैन की गिरफ्तारी के बाद आरोप लगाया था कि ताहिर मुसलमान है इसलिए उसे गिरफ्तार किया जा रहा है। इतने वीडियो फुटेज होने के बाद भी आम आदमी पार्टी ने ताहिर हुसैन का समर्थन किया, वहीं आम आदमी पार्टी से सम्बद्ध कुछ मीडिया पोर्टल और तथाकथित ‘फैक्ट-चेक’ के नाम पर झूठ फैलाने वाली संस्थाओं ने भी ताहिर हुसैन का समर्थन किया।
एनडीटीवी ने भी ताहिर हुसैन का साक्षात्कार किया था और उसे अपने झूठ का प्रचार करने का अवसर दिया था। यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि उस समय ताहिर हुसैन दिल्ली पुलिस से छुप कर कहीं रह रहा था, तो एनडीटीवी का पत्रकार ना सिर्फ उससे मिला, बल्कि उसके झूठ को दुनिया भर को भ्रमित करने के लिए प्रचारित भी किया।
इस पूरे प्रकरण ने कुछ बातें स्पष्ट की हैं। कटटर इस्लामिक दंगाई हमेशा ही किसी न किसी विवाद के लिए मानो हथियारों, ईंट, पत्थर आदि का संग्रहण करते ही रहते हैं। यह लोग मस्जिदों का उपयोग मुसलमानो को हिन्दुओ के विरुद्ध भड़काने में करते हैं, वहीं दंगे आदि की स्थिति में मस्जिद और मदरसों का उपयोग लोगो को निर्देश देने के लिए और हथियारों की आपूर्ति के लिए किया जाता है। वहीं जब दंगे हो जाते हैं, तब यह लोग मजहबी विक्टिम कार्ड खेलने से नहीं चूकते , जिसका एक ही उद्देश्य होता है, लोगो और न्यायपालिका को भ्रमित करना।
आशा है न्यायपालिका इस षड्यंत्र को समझकर ऐसे तत्वों को उचित दंड प्रदान करेगी!