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Wednesday, June 25, 2025

अल्पसंख्यकवादी पार्टियाँ नहीं चाहती अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU)  में आज तक कोई आरक्षण नहीं है . जबकि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी  में आरक्षण का पूर्ण प्रावधान है, जिसमें गरीब सवर्णों के साथ –साथ  दलित,अनुसूचित जनजाति  व पिछड़ी जाति शामिल हैं.  AMU  अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी नहीं है. जिस ज़मीन पर ये खड़ी है उसे राजा महेंद्र प्रताप ने दी थी; और  महाराजा विजयनगर , महाराजा पटियाला और नवाबों नें पैसा लगाया.

अपने मुस्लिम प्रेम के चलते  1981  में कांग्रेस ने  AMU का एक्ट  बदल दिया और बताया की ये मुसलमानों की शिक्षा के लिए है.  2005 में  ये मामला हाई कोर्ट  में गया  और फैसला आया कि ये कानून का उल्लघन है  , आरक्षण देना होगा . फिर कांग्रेस  मामले को डिवीज़न बेंच में ले गयी जहां उसे कोई  राहत नहीं मिली.  और अब ये मामला  सुप्रीम कोर्ट में है , सुनवाई पूरी हो गयी है  और जजमेंट रिज़र्व है. और अब भी अपने को  धर्मनिरपेक्ष बताने वाली  कुख्यात शीर्ष वकीलों की फौज  नहीं चाहती  कि  जरूरतमंदों को न्याय मिले.

2019 में सीएए  पास हुआ इसमें सबसे अधिक लाभान्वित हुए हैं बंगाल के नमोशुद्र और मतुआ अनुसूचित जाति  के हिन्दू लोग जो कि जिहाद के चलते बंगलादेश से भगाए गए थे .और  जो कि  कभी पाकिस्तान के अनुसूचित जाति के ही कानून मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल के कारण बंगलादेश रुक गए थे. लेकिन  मजहब के नाम पर  अपने अनुसूचित जाति के हिन्दुओं के ऊपर हुई अत्यचार की भयानकता  से घबराकर मात्र 3 साल में  जोगेन्द्रनाथ मंडल की आँखें  खुल गयी  और अंतत:  पाकिस्तान से भाग खड़े हुए.

उनके पाकिस्तान छोड़ते ही दलितों में भगदड़ मच गयी और वो भारत में आकर बसने लगे. उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में ही ढाई लाख से अधिक बंगलादेशी दलित हैं. कांग्रेस ने कभी उनकी नागरिकता के बारे में नहीं सोचा. और  यदि किसी ने अगर  सोचा  तो वो हैं अमित शाह और नरेंद्र मोदी. लेकिन  फिर  सीएए  के विरोध में शाहीन बाग में कौन बैठे पाए गए , वही जो आज आरक्षण खत्म करने की अफवाह में शामिल थे . जबकि जिन्हें नागरिकता मिली उनमें 70-75 % दलित हैं.

ये बात राज्यसभा में दलित सांसद ब्रिजलाल ने रखी, जो कि भारतीय पुलिस सेवा के  सेवानिवृत आयपीएस   ऑफिसर रहे हैं.

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Rajesh Pathak
Rajesh Pathak
Writing articles for the last 25 years. Hitvada, Free Press Journal, Organiser, Hans India, Central Chronicle, Uday India, Swadesh, Navbharat and now HinduPost are the news outlets where my articles have been published.

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