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Saturday, June 28, 2025

हिंदी जीविकोपार्जन की भाषा

1984 की बात है। ‘बड़ा पेड़’ गिरने के बाद धरती हिलकर लगभग शांत हो चुकी थी। मैं पापा के साथ मुंबई घूमने गया था, अपने नाना के घर। चूंकि उन दिनों किसी घर का दामाद पूरे मुहल्ले का जमाई हुआ करता था, अतः नाना के एक रिश्तेदार जो उसी मुहल्ले में रहा करते थे,  उन्होंने पापा को और मुझे भोजन के लिए आमंत्रित किया ।

उनके घर पहुंचने पर उन्होंने बैस (दामाद जी)  कहकर पापा का स्वागत किया और पापा ने “हवलदार भाई साहब” कहकर उनका अभिवादन किया। जिज्ञासावश मैंने पापा से पूछा कि-” क्या ये सेना में हैं??”

 तो पापा ने बताया कि-” इनका नाम ही ‘हवलदार सिंह’ है। सेना से इनका दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। “

यह मेरे लिए पहला आश्चर्य था!!

दूसरा यह कि बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वे हिंदी का ट्यूशन पढ़ाते हैं तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा??

हिंदी का भी कोई ट्यूशन पढ़ता है भला??

ट्यूशन की बात छोड़ो, हमारे यहाँ उत्तर प्रदेश में तो बड़ी कक्षा के लड़के हिंदी की कक्षा के दौरान गणित के प्रश्न हल करते रहते हैं। हिंदी की किताब तो परीक्षा के एक दिन पहले ही खुलती है और उसके जुड़े, चिपके हुए पेज फाड़े जाते हैं। फिर कुछ प्रमुख प्रश्नों या कोई मॉडल पेपर पढ़कर परीक्षा की वैतरणी पार  कर ली जाती है।

पापा ने मेरी जिज्ञासा कुछ इस तरह शांत की। उन्होंने मुझे समझाया  कि जिस तरह मेरे लिए मराठी  या  देश की कोई अन्य भाषा कठिन है,क्योंकि वह भाषा मेरी मातृभाषा नहीं है। वैसे ही इन लोगों के लिए हिंदी दुःसाध्य है, क्योंकि इनके लिए मराठी मातृभाषा है, हिंदी नहीं। इसलिए यहाँ हिंदी पढ़ाने वालों की खूब मांग है।

हालांकि उस समय मैंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया था क्योंकि मुझे लगता था कि हिंदी, समाज शास्त्र, गृह विज्ञान आदि विषय लड़कियों या कमजोर छात्रों के होते हैं, अतः मैंने विज्ञान वर्ग ही चुना।

किंतु वायुसेना में चयन हो जाने के बाद मुझे बीएससी की पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी। अब मेरे पास कला वर्ग (आर्ट्स साइड) चुनने के अलावा कोई रास्ता नहीं  बचा था और  मजबूरी में ही सही मैंने चुना भी। कई बार हम कुछ चीजों के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित होते हैं। उनमें से एक यह है कि हिंदी सिर्फ पढ़ाई में कमजोर छात्रों की भाषा है।

हिंदी की पढ़ाई करने के दौरान मुझे ज्ञात हुआ कि  हिंदी का स्कोप सिर्फ  साहित्य और शिक्षण सेवा तक ही सीमित नहीं है।  तेजी से फैलते बाज़ार और उससे अधिक शीघ्रता से सिकुड़ते विश्व में  हिंदी के क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर कंटेंट राइटर, पटकथा लेखक, डबिंग कलाकार, पत्रकारिता, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अनुवाद,  भाषान्तकार, गाइड जैसे अनेक क्षेत्रों में  रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

 देश में राजभाषा अधिकारी, हिंदी अधिकारी, अनुवादक, संपादक, प्रूफ रीडर, कोचिंग क्षेत्र आदि में हिंदी भाषियों की खूब मांग है।  कहने का तात्पर्य यह कि हिंदी प्रेमियों के लिए  हिंदी केवल  हृदय की ही नहीं बल्कि उदरपूर्ति की भी भाषा हो सकती है।

 मैंने स्वयं हिंदी  से स्नातकोत्तर किया, इग्नू और केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो से अनुवाद की बारीकियां सीखी और वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात  एक प्रतिष्ठित संस्थान में हिंदी की सेवा करते हुए सम्मानपूर्ण जीविकोपार्जन कर रहा हूँ।

#हिंदीदिवस

विनय सिंह बैस

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