“विश्व हिंदू परिषद ने कहा- सरकार उन मिशनरियों पर पैसा लुटाने जा रही है, जो धर्मांतरण में लगे हैं”, दैनिक भास्कर, जून 26, 2024
“जीईएएल चर्च ने 25 जून यानी मंगलवार को प्रथम बपतिस्मा की स्मृति में कलीसिया बाल दिवस मनाया। मार्था के कब्र में प्रार्थना की गई। इस दौरान मारथा किंडर गार्टन के बच्चों के बीच ड्राइंग प्रतियोगिता हुई। बिशप एसएस तिर्की, मॉडरेटर जोहान डांग, अनेक पादरी, चर्च के युवा और बच्चे मौजूद थे। मालूम हो कि छोटानागपुर आए प्रथम जर्मन लूथेरन मिशनरियों ने 25 जून 1846 को एक अनाथ बालिका का बपतिस्मा संस्कार किया था, जिसे मारथा नाम दिया गया।
यह बच्ची मिशनरियों की देखरेख में पल रही थी। एक दिन अचानक उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई। तब मिशनरियों ने सोच-विचार कर उसे बपतिस्मा देने का निर्णय लिया। बपतिस्मा संस्कार ग्रहण करने के बाद उसकी मृत्यु उसी दिन हो गई। उसे गोस्सनर कंपाउंड स्थित जीईएल चर्च के कब्रिस्तान में मिट्टी दी गई।
रांची | झारखंड सरकार द्वारा ईसाइयों को फ्री में गोवा तीर्थ दर्शन के निर्णय पर विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि झारखंड की धर्म-संस्कृति के हत्यारों पर राज्य सरकार द्वारा धन का दुरुपयोग निदंनीय है। उन्होंने कहा कि जो राज्य जनजातीय समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक मान्यताओं की रक्षा और उसके कल्याण के लिए बना, उसे छोड़ कर सरकार उन मिशनरियों पर पैसा लुटाने में लगी है जो यहां के मूल निवासियों के अवैध धर्मांतरण में लगे हैं। बंसल ने प्रश्न किया कि सांप्रदायिक यात्रा कराना क्या ‘सेक्युलर’ सरकार के लिए उचित है?, जनजातीय समाज के पैसे का व्यय ईसाइयों पर क्यों? गोवा के चर्चों से झारखंड का क्या नाता है? बंसल ने कहा है कि यदि यात्रा करानी ही थी तो जनजातीय समाज के तीर्थों की कराते, जैसे भगवान बिरसा मुंडा, टंट्या भील, तिलका मांझी, बुद्धु भगत, सिदो-कान्हू आदि से जुड़े पुण्य स्थलों की…..”
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