इन दिनों बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री मीडिया के लिए ऐसा मामला बने हुए हैं, जिनपर चर्चा करने के बाद उन्हें टीआरपी मिलती है। इस समय वह जितना उन पर चर्चा करते हैं, उनकी टीआरपी ऊंची जाती है,। मीडिया जब उन्हें कथित माइंड रीडर सुहानी शाह के जैसे माइंड रीडर नहीं घोषित कर सकी तो अब उनकी निजी ज़िन्दगी को लेकर तमाम तरह की अफवाहें उडाई जा रही हैं।
उन्हें माइंड रीडर सुहानी शाह के जैसे जादूगर घोषित करने के उनके तमाम प्रयास विफल हो गए थे। कथित माइंड रीडर सुहानी शाह की असलियत नीरज अत्री ने अपने वीडियो में बता दी है। जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उसमें साफ़ दिख रहा है कि वह ट्रिक इस्तेमाल कर रही है और पहले वह नाम सारा डिटेल पूछ लेती है, उसके बाद ही एक नाम बताती है।
नीरज अत्री ने एक करोड़ रूपए का इनाम भी रखा कि यदि मेरा माइंड पढ़ लें तो वह उन्हें एक करोड़ रूपए देंगे!
परन्तु लिबरल की प्रिय सुहानी शाह किसी भी प्रकार से उस चैनल पर नहीं जा रही हैं, जहाँ पर उनके एजेंडे की धज्जियां उड़ने की संभावना होती है। यहाँ तक कि रूबिका लियाकत भी सुहानी शाह के बहाने बाबा बागेश्वर धाम सरकार को झूठा ठहराती हुई दिखाई दी थीं।
यह इन चैनल्स की कैसी बेचैनी थी कि इन्हें सुहानी शाह को महान और सच बताना था। खैर, जब वह बाबा बागेश्वर धाम सरकार की एक भी कमी नहीं निकाल पाए या फिर उन्हें किसी भी प्रकार से घेर नहीं पाए, तो अब वह असली रूप में आ गए हैं, और वह असली रूप है, बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री के निजी जीवन पर आक्षेप का।
परन्तु यह मात्र आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री पर ही आक्षेप नहीं है, बल्कि यह एक महिला के जीवन से भी जुड़ा हुआ मामला है। यह अफवाह एक महिला के निजी जीवन को भी प्रभावित कर सकती है या फिर कर रही है, यह अफवाह दो ऐसे लोगों के निजी जीवन को लक्षित करके बनाई जा रही है, जिनका प्रभाव हिन्दू धार्मिक वर्ग पर है। आखिर ऐसा किस उद्देश्य के साथ किया जा रहा है?
एक महिला कथा वाचिका हैं, जया किशोरी। वह भी कथा का वाचन करती हैं, वह कलकत्ते की रहने वाली हैं एवं उनका आदर भी एक बहुत बड़ा हिन्दू वर्ग करता है।
उनका नाम आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री के साथ जोड़ा जा रहा है। जिसमें अमर उजाला जैसे पोर्टल जैसे सबसे आगे हैं। क्या इन लोगों ने सुपारी ले रखी है जया किशोरी एवं आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री के प्रति लोगों के दिल में संदेह उत्पन्न करने की! बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री एक बार नहीं कई बार कैमरे पर भी यह चुके हैं कि वह जब विवाह करेंगे तब बताएंगे और जया किशोरी उनके लिए उनकी बहन के समान हैं तो भी पोर्टल्स रोज रोज सोशल मीडिया पर चल रही अफवाह कहकर रोज ही अफवाहें लिख रहे हैं।
इन पोर्टल्स को किसी के भी निजी जीवन में झाँकने का एवं अफवाह फैलाने का अधिकार कौन देता है और क्या उद्देश्य सध रहा है इनका इससे? और सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि हिन्दू कथा वाचकों के निजी जीवन पर इस प्रकार हमला करना और वह भी सोशल मीडिया की अफवाहों के आधार पर?
यदि बाबा बागेश्वर धाम एवं जया किशोरी को लेकर हिन्दी में समाचार खोजे जाएं तो ऐसे तमाम लिंक सामने आ जाएंगे। जी न्यूज़ से लेकर रिपब्लिक न्यूज़ एवं अमर उजाला जैसे पोर्टल्स जया किशोरी जी का नाम जोड़ रहे हैं! यह लोग छवि की हत्या कर रहे हैं।
यह सारे पोर्टल्स गिद्ध की भांति उन जया किशोरी की सार्वजनिक छवि को नोच रहे हैं, जिनका किसी भी प्रकार का कोई भी लेना देना इस मामले से नहीं है। क्या हिन्दू कथा वाचिका का सुन्दर होना ऐसा अपराध है जिसके लिए उनकी छवि की लिंचिंग की जाएगी?
क्या आज तक इतिहास में ऐसा हुआ होगा कि किसी कथा वाचिका का नाम किसी कथा वाचक के साथ मात्र इसलिए जोड़ा जाए कि वे दोनों सुन्दर हैं और दोनों ही कथा वाचक हैं? क्या यह आने वाले समय के नए षड्यंत्र की भूमिका रची जा रही है? क्योंकि जो भी आज खबरें बन रही हैं, वह डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन हो रहा है। आने वाले समय में जब भी जया किशोरी जी के विषय में समाचार खोजे जाएंगे तो यह भी समाचार उभरकर आएँगे और बाबा बागेश्वर धाम सरकार के धीरेन्द्र शास्त्री के निजी जीवन के विषय में खोजा जाएगा तो यह अफवाहें आएंगी!
फिर प्रश्न उठता है कि निजी जीवन पर सोशल मीडिया में चल रही अफवाहों के आधार पर क्यों खबरें बनाई जा रही हैं और चलाई जा रही हैं?
आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री जब यह लल्लन टॉप के साथ अन्य मीडिया चैनल्स पर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जया किशोरी जी उनके लिए बहन के समान हैं तो भी एक ऐसी महिला को मीडिया अपनी अफवाहों का शिकार क्यों बना रही है जिनका एक साफ सुथरा सार्वजनिक जीवन है? इस वीडियो में वह यह कह चुके हैं कि आदरणीय जया किशोरी उनकी बहन समान हैं!
ऐसा लग रहा है जैसे मीडिया के मुंह में खून लग चुका है, हिन्दू संतों की छवि खराब करने का खून! यदि ऐसा नहीं होता तो वह सोशल मीडिया की कथित अफवाहों के आधार पर इस प्रकार की अपमानजनक बातें न ही करती एवं न ही बार-बार अपने पोर्टल्स पर यह प्रकाशित करती! परन्तु यह सिलसिला जारी है, यह कब तक जारी रहेगा नहीं पता! परन्तु हिन्दुओं की पीड़ा पर मौन रहने वाला मीडिया हिन्दू संतों के निजी जीवन पर जिस प्रकार हमलावर हो उठता है, वह संदेह उत्पन्न करता है! वह यह संदेह उत्पन्न करता है कि हिन्दू मीडिया के लिए क्या हैं? मीडिया हिन्दुओं के एवं हिन्दू संतों तथा हिन्दू आराध्यों के विषय में क्या सोचता है, यह भी अब विचारणीय हो गया है क्योंकि लुटियन या कहें औपनिवेशिक रूप से गुलाम एवं अंग्रेजी मीडिया के पीछे पीछे चलने वाला एवं अंग्रेजी मीडिया से प्रमाणपत्र मांगने वाला हिन्दी मीडिया दरअसल स्वयं को हिन्दुओं का एवं विशेषकर उत्तर भारत के हिन्दुओं का मसीहा मानता था।
उसे लगता था जैसे हाथ में माइक आते ही उसके हाथ में ज्ञान आ गया है एवं वह सुधारवादी हो गया है। मात्र अपने प्रांत एवं अपनी जाति के लोगों को आगे बढाने वाले लोग भी स्वयं को हिन्दुओं का मसीहा मानने लगे थे और हिन्दुओं को अपना बंधुआ मानते थे। उन्हें लगता था कि वह जो कहें वही उत्तर भारत अर्थात “गोबर पट्टी” वाले लोग मानें!
अब चूंकि उन्हें अंग्रेजी मीडिया ने काऊ बेल्ट वाला बताया होता था तो वह अपनी उस काऊ बेल्ट की कथित कुंठा एवं हीनभावना को हिन्दुओं पर थोपते थे एवं प्रभु श्री राम का अपमान करने से लेकर हर वह विमर्श किया करते थे जिससे उनके हिन्दू अस्तित्व के प्रति घृणा झलकती थी।
परन्तु सोशल मीडिया के आने से उनका यह मसीहावाद हवा हो गया और फिर उन्हें यह पता चला कि आम जनता उनसे दरअसल कितनी चिढ़ती है। आम हिन्दू जनता ने उन्हें विमर्श के युद्ध में हराना आरम्भ किया तथा आज वह स्थिति है कि उन्हें बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री पर हमला करने पर मुंह की खानी पड़ी!
यही कारण है कि बौखलाहट में वह अब साधु संतों के निजी जीवन पर हमला कर रहे हैं। इसे मात्र टीआरपी कहकर अनदेखा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह हिन्दुओं के प्रति असीम घृणा है!
अफवाह फैला रहे हैं एवं निजी जीवन को विवाद का विषय बना रहे हैं, जिसका प्रतिकार हर मूल्य पर होना चाहिए क्योंकि उनकी मसीहावाद से विफल होने की कुंठा अब विष के अतिरिक्त और कुछ प्रदान नहीं कर रही है!