महिला और पुरुष योद्धाओं से युक्त इतनी बड़ी आजाद हिन्द सेना नेताजी सुभाष चन्द्र बोस नें समाज से दान इकठा करके खड़ी की थी। और जब सिंगापुर के चेट्टियार मंदिर से दान का आग्रह किया तो, मंदिर की तरफ से सन्देश मिला कि उसके लिये उन्हें एक बार मंदिर आकर भाषण देना होगा। सुभाष बाबू ने सुन रखा था प्रवेश को लेकर जात-पात के आधार पर इस मंदिर के संचालन कर्त्ताओं नें बड़े ही विचित्र विधि-निषेध नियम बना रखे हैं। उन्होंने अपने सन्देश में लिखा कि आऊंगा भी और भाषण भी दूंगा पर सोचता हूँ मेरे आने से कहीं आपका धर्म खतरे में तो नहीं पड़ जायेगा, क्यूंकि मैं अकेला नहीं आऊँगा, मेरे साथ सभी जाति और पंथ के लोग रहेंगे। कृपया इस पर विचार करें। खूब विचार-मंथन के बाद आखिर मंदिर के न्यासियों नें अपनी सहमति प्रदान करी, और सुभाष बाबू के साथ सबने मिलजुलकर मंदिर में प्रवेश किया और दान भी प्राप्त किया। इसके बाद तो सिंगापुर में स्थित गुरूद्वारों और मंदिरों नें देश के खातिर अपनी तिजोरी आजाद हिन्द फौज के लिए खोल दी।
आजाद हिन्द फौज सर्व जाति से युक्त तो थी ही , इसमें देश के हर क्षेत्र से आने वाले लोग पर्याप्त संख्या में थे। तमिलनाडु की देवर जाति राज्य के दक्षिण इलाके में ज्यादा पायी जाती है, जो कि जनसख्या का १८% प्रतिशत हैं। ये जब अपने घर से बाहर निकलते हैं तो इनके मांथे पर कुमकुम रहेगा, विभूति रहेगी या वैष्णव-संप्रदाय का प्रतीक चन्दन रहेगा।ये अत्यंत ही राष्ट्रवादी मानसिकता के माने जाते हैं , और अपने विचारों के लिए डटकर मुकाबला करने वाले होते हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मुथ्थु रामालिंगा इस जाति से थे और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के अति निकट के सहयोगी रहे । शिव-भक्ति पर आधारित ‘ शैव-सिद्धान्त’ के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित, वे कहा करते थे कि राष्ट्रवाद और धर्म, देश की दो आँखें हैं। बिना दिव्यता से युक्त राजनीति उस शरीर के सामान है जिसकी आत्मा लुप्त हो चुकी हो। लोगों को आजाद हिन्द फौज में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से रामालिंगा नें एक तमिल साप्ताहिक ‘नेताजी’ का प्रकाशन किया । हर वर्ष मनाई जाने वाली ‘थेवर जयंती’ पर दीवारों पर मुथ्थु रामालिंगा और सुभाषचन्द्र बोस की सैनिक वेशभूषा से युक्त पोस्टर जगह –जगह आज भी लगाये जाते हैं।
रानी झाँसी रेजिमेंट की कैप्टेन लक्ष्मी स्वामीनाथन(सहगल) जहां तमिलनाडु से थी, तो इसी रेजिमेंट की और जिनके प्रेरक किस्से खूब चर्चा में रहे ऐसी जानकी थेवर और रसम्मा भुपालन भी इसी प्रान्त से थीं। एक बार जब 14 वर्षीय जानकी थेवर पहली बार बोस की रैली में शामिल हुई ,तो आजाद हिन्द फौज(INA) के आदर्शों से इतनी अभिभूत हो उठीं कि उसी पल अपनी बहुमूल्य हीरे की अंगूठी उन्होंने फौज के फण्ड में समर्पित कर दी। पिता के कड़े विरोध की परवाह न करते हुए वो आगे चल कर आजाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गई, और सेकंड कमांडर के पद तक पहुंची।
जब सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फ़ौज का गठन किया तो उसके द्वारा 21 अक्तूबर १९४३ में बनायी गयी प्रांतीय सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्री एस ऐ अय्यर थे, जो कि तमिलनाडु से थे। जिस चेट्टियार मंदिर का ऊपर उल्लेख हो आया है , उसका निर्माण १८५९ में सिंगापुर में बसने वाले दक्षिण भारतीय और विशेष कर तमिल बंधुओं द्वारा किया गया था। ये मंदिर भगवन शिव के पुत्र सुब्रमण्यम का है, जो पराक्रम और विजय के प्रतीक हैं।