इन दिनों जैसे ही दीवाली की बात आती है, वैसे ही एक शोर आरम्भ हो जाता है और पटाखों को लेकर हिन्दुओं को कोसा जाने लगता है। इस शोर में बॉलीवुड के कई कलाकारों का भी शोर दिखाई देने लगता है एवं साथ ही दीपावली को लेकर गाने भी अब बहुत कम दिखाई देते हैं। यदि फिल्मों में दीपावली दिखाई भी जाती है, तो वह ऐसी नहीं होती कि उसमें कुछ सकारात्मक मिल सके।
परन्तु कुछ वर्ष पूर्व संभवतया ऐसा नहीं था। फिल्मों में दीपावली मनाने के और पटाखों के साथ दीपावली मनाए जाने के कई गाने हुआ करते थे। दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, इस दिन दीपक जलाकर तम नष्ट करने की प्रार्थना की जाती है।
आइये कुछ गाने देखते हैं कि पहले कैसे बिना किसी अपराधबोध एवं व्यर्थ ज्ञान के दीपावली फिल्मों में मनाई जाती थी! 1961 में आई फिल्म नजराना फिल्म का गाना देखते हैं, इसमें खुलकर फुलझड़ी और अनार आदि चलाए जा रहे है और गाने के बोल हिन्दू परिवार की समृद्धि को बता रहे हैं।
मेले हैं चिरागों के रंगीन दीवाली है
पति और पत्नी के मध्य पर्व के मध्य एक सहज प्रेम भी दिखाई दे रहा है। इस गाने में दीपकों के माध्यम से तम को पराजित करने की कहानी कही गयी है। राजकपूर अनार आदि चला रहे हैं।
ऐसा ही एक गाना है वर्ष फिल्म खजानची का। यह गाना भी पर्व के माध्यम से होने वाली समृद्धि को प्रदर्शित कर रहा है। इस गाने में भी अनार चलाकर उसके चारों ओर नृत्य किया जा रहा है। गाना कह रहा है
“आई दिवाली आई, कैसे उजाले लायी
घर-घर खुशियों के दीप जले
सूरज को शरमाये ये, चरागों की क़तारें
रोज़ रोज़ कब आती हैं, उजाले की ये बहारें
आरी सखी। आरी सखीआज रात सखी बालम से
दिल जीते या दिल हारे
आई दिवाली आई।।।
एक और गाना है, आई दीवाली दीप जला जा! यह वर्ष 1948 में आई फिल्म का है। इसे गाया है शमशाद बेगम और सितारा कपूर ने!
आयी दीवाली दीप जला जा
आयी दीवाली दीप जला जा
ओ मतवाले साजना
ओ मतवाले साजना
आयी दीवाली दीप जला जा
आयी दीवाली दीप जला जा
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घर घर दीपक ऐसे चमके
जैसे चांद सितारे
घर घर दीपक ऐसे चमके
जैसे चांद सितारे
इस गाने में एक परिवार का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया गया है कि कैसे एक परिवार एकत्र होकर त्यौहार मना रहा है!
ऐसा ही एक और गाना है वर्ष 1950 में आई फिल्म शीश महल का,
आयी रे आयी रे आयी रे
छाई रे छायी रे छायी रे
आई है दिवाली सखि आयी
सखि आई रे
आई है दिवाली
आई है दिवाली सखि आयी
सखि आई रे
आई है दिवाली
आज सखी री उजियारो ने
घर घर ली अंगडाई रे
आज सखी री उजियारो ने
घर घर ली अंगडाई रे
आई है दिवाली सखि आयी
सखि आई रे
आई है दिवाली
इस गाने में भी जो उत्साह है, वह देखते ही बनता है। नृत्य है, उत्सव है, और पर्व का उल्लास है! लोग दीपावली मना रहे हैं।
परन्तु समय के जैसे विशेष मानसिकता हावी हुई और फिल्म पैगाम का एक गाना था, जिसमें जॉनी वाकर गाता है कि
कैसे दिवाली मनाएं हम लाला
अपना तो बारह महीने दिवाला
हम तो हुए देखो तहाँ तहाँ गोपाला
अपना तो बारह महीने दिवाला
अपना तो बारह महीने दिवाला
ऐसी ही एक फिल्म थी जुगनू, इसमें धर्मेन्द्र गा रहे हैं कि दीप दीवाली के झूठे, रात जले सुबह टूटे!
हालांकि उसमें बच्चों को दीपों से बढ़कर बताया था, मगर बच्चों की महत्ता प्रमाणित करने के लिए दीपावली के दीपों को झूठा ठहराया जाना कहीं से भी उचित नहीं था।
कहा जा सकता है कि समय के साथ फिल्मों से दीपावली के गाने बनने ही जैसे बंद होते गए!
यह आशा की जा सकती है कि जैसे फिल्मनिर्माता अब हिन्दू विमर्श को समझ रहे हैं और उन विषयों पर फ़िल्में बना रहे हैं, जिन पर आज से कुछ वर्ष पहले फिल्म बनाने का सोचा नहीं जा सकता था, अब फिल्मों में दीपावली के गाने भी वापस आएँगे!