नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर हमला करने का सिलसिला अभी तक चल रहा है। ऐसा लग रहा था जैसे प्रवीण नेत्तारू की हत्या के बाद कम से कम इन हत्याओं में कमी आएगी, परन्तु यह सोचना बेकार ही है क्योंकि एक और हिन्दू युवक प्रतीक पवार पर अहमदनगर पर हमला हुआ है और वह अभी जीवन एवं मृत्यु के मध्य संघर्ष कर रहा है। प्रतीक पवार का अपराध मात्र इतना था कि उसने नूपुर शर्मा के पक्ष में एक व्हाट्सएप स्टेटस लगाया था।
महाराष्ट्र में अहमदनगर में प्रतीक पवार उर्फ़ सन्नी पर धारधार हथियारों से हमला हुआ है और अहमदनगर पुलिस के अनुसार शुक्रवार को प्रतीक के दोस्त अमित माने द्वारा दायर की गयी शिकायत के आधार पर चार लोगों को हिरासत में लिया गया है।
अब तक कुछ चौदह लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। जिन लोगों ने प्रतीक पर हमला किया था, वह यही नारा लगा रहे थे कि “हम किसी काफिर को जिंदा नहीं रहने देंगे।”
प्रतीक पवार और उनके दोस्त आमिर माने द्वारा दायर की गयी शिकायत में यह कहा गया है कि कुछ कट्टरपंथी मुस्लिमों ने 4 अगस्त को 23 वर्षीय प्रतीक पवार पर हमला कर दिया। माने ने कहा कि 4 अगस्त को पवार और वह दोनों ही दोपहिया वाहन पर एक समारोह में जा रहे थे और वह एक मेडिकल शॉप के पास एक दोस्त की प्रतीक्षा कर रहे थे। जब वह प्रतीक्षा कर रहे थे तो एक दर्जन भर लोग वहां पर एक कार और दोपहिया वाहनों पर आए। अमित के अनुसार उन्होंने प्रतीक को उसके धर्म को लेकर अपशब्द कहे और उनमें से एक ने उस पर तलवार से हमला कर दिया।
देखते ही देखते उस पर हमला करने वालों की संख्या बढ़ने लगी और भीड़ कहती जा रही थी कि तुम जैसे लोग ही नुपुर शर्मा और कन्हैया लाल का समर्थन सोशल मीडिया पर करते हो और यही कारण है कि उन्हें लोगों का समर्थन मिलने लगा है और एक हमला करने वाले ने यहाँ तक कहा कि उसके साथ भी वही होगा, जो उमेश कोल्हे के साथ हुआ।
प्रतीक जब इस हमले से अचेत हो गया तो उसे मरा समझकर वह लोग वहां से चले गए। हालांकि आसपास कई लोग थे, परन्तु वह लोग हमलावरों की भीड़ का सामना नहीं कर सके, क्योंकि हमलावरों के पास जानलेवा हथियार थे।
यह भी बात ध्यान रखी जाए कि महाराष्ट्र में अभी उमेश कोल्हे की हत्या को लेकर अधिक समय नहीं हुआ है, जब उन्हें नुपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया था।
मीडिया ने उठाया प्रतीक का आपराधिक इतिहास का मामला
भारत में जो भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें “सर तन से जुदा” वाली घटनाएं हुई हैं, तो पहले तो सेक्युलर मीडिया और यहाँ तक कि भारत का सेक्युलर तंत्र भी कुछ और ही घटना प्रमाणित करने में लग जाता है। और कई बार जांच की बात करता है एवं अंत में जब कोई भी विकल्प नहीं रह जाता है तो ही वह यह कहता है कि यह “मजहबी हिंसा है!”
उदयपुर की घटना में तो कातिलों में वीडियो जारी कर दिया था इसलिए घटना वायरल हुई एवं साथ ही लोगों के दिल में गुस्सा फूटा, वहीं उमेश कोल्हे की मौत के कुछ दिन बाद ही या समाचार मीडिया में विमर्श का केंद्र बन पाया था। ऐसे में प्रतीक पवार की इस हत्या में, जिसमें अमित का यह स्पष्ट कहना था कि यह हत्या क्यों हुई, यह शिगूफा छोड़ा गया कि प्रतीक पवार का आपराधिक इतिहास था।
आपराधिक इतिहास की बात कर पुलिस और मीडिया शायद यह संकेत देना चाहती हैं कि कुछ विशेष बात नहीं है, और चिंता की कोई बात नहीं है। क्योंकि यह तो होना ही था। परन्तु मीडिया यह बात भूल जाती है कि कैसे वह मजहब के आधार पर कई अपराधियों के अपराधों को छिपा देती है। जैसे गौ तस्करों के विषय में लिखते समय मीडिया यह भूल जाती है कि गौ-तस्करी एक अपराध है और हमने देखा था कि कैसे इशरत जहाँ के आपराधिक इतिहास को छिपाकर एक मासूम छात्रा बताया जाता रहा था। और भी कई मामले देखे गए हैं, परन्तु इस मामले में हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी एसपी मनोज पाटिल के वक्तव्य को बताते हुए लिखा कि “पीड़ित का भी आपराधिक इतिहास रहा है!”
और साथ ही जब भी ऐसा कोई मामला होता है जिसमें नुपुर शर्मा के पक्ष में लिखने वालों पर हमला होता है तो मीडिया द्वारा यह भी लिखा जाता है कि “नुपुर शर्मा, जिन्होनें पैगम्बर के लिए अभद्र टिप्पणी की थी!”
जैसे मीडिया द्वारा हमलावरों के कृत्य को सही ठहराने का कार्य किया जा रहा हो!
नुपुर शर्मा ने जो भी कहा था, वह वीडियो देखने पर ज्ञात हो जाता है कि वह महादेव का बार बार अपमान किए जाने पर अपना आपा खो बैठी थी और नुपुर को उकसा कौन रहा था, इस पर मीडिया से लेकर हर कोई मौन है! नुपुर शर्मा के वीडियो को काट छांट करके साझा करने वाला मुहम्मद जुबैर भी अब मुक्त है, हालांकि एक पाकिस्तानी मौलाना तक ने यह कहा था कि नुपुर शर्मा अपने धर्म के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों का उत्तर दे रही थी, और कोई उनकी मंशा नहीं थी।
यह भी दुर्भाग्य है कि बीते न जाने कितने सप्ताहों में हिन्दू बार बार उन कट्टरपंथियों के हमले का शिकार बन रहे हैं जो हिन्दुओं के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और दुर्भाग्य से नुपुर शर्मा के साथ की गयी कार्यवाही के बाद उनके हौसले भी बुलंद हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि नुपुर शर्मा ने वास्तव में ही अपराध किया है, परन्तु यह भी रोचक है कि नुपुर शर्मा का समर्थन करने के चलते लोगों की हत्या हो रही है, जबकि अभी नुपुर शर्मा का अपराध कम से कम न्यायालय द्वारा निर्धारित नहीं हुआ है और साथ ही न ही उन्हें किसी अपराध का दोषी ठहराया है, फिर भी ऐसा लग रहा है जैसे शरिया ने उन्हें दोषी ठहरा दिया है और भारत में भी शरिया के अनुसार ही दंड दिया जा रहा है।
Such a spate of Islamic violence is meaningless. These fools fail to realize that hate begets hate leaving the society in deep turmoil.