मध्यप्रदेश के नीमच जिले में सोमवार 16 मई को दो समुदायों के बीच विवाद हो गया और विवाद इतना बढ़ गया कि वहां पर धारा 144 लगानी पड़ी थी।
क्या था विवाद का कारण ?
नीमच जिले में पुरानी कचहरी क्षेत्र में सोमवार रात को दो समुदायों में विवाद हो गया। दरगाह के निकट की भूमि पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापना को लेकर विवाद की स्थिति बनी, इसी दौरान कुछ देर के लिए क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और पथराव करना शुरु कर दिया, वहा खड़ी बाइक में आग भी लगा दी गई, स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल पहुंचा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां भांजी गई, इसके बाद स्थिति नियंत्रण में हो पाई। प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए नीमच शहर में धारा 144 लागू कर दी थी।
टाइम्स नाउ चैनल की जानकारी के अनुसार पुरानी कचहरी क्षेत्र में दरगाह है ,सोमवार शाम बजे 6:00 बजे दरगाह के निकट कुछ लोगों ने हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए, तो दूसरे पक्ष इस पर आपत्ति व्यक्त की।
इस बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया था। बताया जाता है कि उस समय समझा कर मामला शांत हो गया था। रात लगभग 8:00 बजे विवाद फिर से बढ़ गया और इसी बीच दोनों समुदाय के लोग एकत्रित हो गए। इसके बाद पथराव शुरू हो गया।
नीमच पुलीस अधीक्षक सूरज वर्मा ने बताया कि स्थिति को नियंत्रण करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए इस दौरान दुकानें बंद हो गई थी, स्थिति नियंत्रण में है ।प्रशासन ने नीमच शहर में धारा 144 लगा दी है, आसपास के थाने से अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाया गया है।
अब कई लोग यह कहेंगे कि यह अच्छा नही किया गया कि हनुमान जी की मूर्ति को दरगाह के निकट स्थापित करने का प्रयास किया ,ऐसा करने से दुसरे पक्ष की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची,देश के सेकुलर ढांचे को नुकसान किया गया है। गंगा जमुना तहजीब को नुकसान पहुंचाया गया है।
लेकिन क्या एक ही पक्ष ने जिम्मेदारी ली है सेकुलर बने रहने की और दुसरे पक्ष को कोई सरोकार नहीं है? हम सब पहले भी कई उदहारण देख चुके हैं जिसमें हिंदू धार्मिक स्थलों में दूसरे धर्म के लोगो को निमंत्रण दिया गया था ।
जैसे रमजान के अवसर पर, इफ्तार का आयोजन किया गया था, लेकिन क्या कभी किसी मस्जिद में नवरात्रि का या अन्य किसी हिंदू धर्म का आयोजन किया गया है?