जिनेवा: बांग्लादेश में एक युवा नेता की हत्या के बाद भड़की राजनीतिक हिंसा अब सीधे मीडिया को निशाना बनाती दिख रही है। वैश्विक मीडिया सुरक्षा और अधिकार संगठन प्रेस एम्बलम कैंपेन (PEC) ने पत्रकार की हत्या, प्रमुख अखबारों के दफ्तरों पर हमलों और संपादकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
गुरुवार रात राजधानी ढाका में डिजिटल मीडिया संपादक इम्दादुल हक मिलन (45) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके साथ ही उग्र भीड़ ने देश के दो प्रतिष्ठित समाचार पत्रों—प्रथम आलो और द डेली स्टार—के कार्यालयों पर हमला कर तोड़फोड़ और आगजनी की। वहीं न्यू एज के संपादक नुरुल कबीर पर हुए शारीरिक हमले को भी PEC ने गंभीर और निंदनीय बताया है।
इम्दादुल हक मिलन ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल बर्तमान समय से जुड़े थे। 18 दिसंबर की शाम चार मोटरसाइकिल सवार हथियारबंद हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाया। गंभीर रूप से घायल मिलन को खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। PEC के अनुसार, मिलन इस वर्ष विश्वभर में पत्रकारिता से जुड़े 163वें पीड़ित हैं और बांग्लादेश में असदुज्जमां तुहिन, बिभुरंजन सरकार, वाहेद-उज़-जमान बुलु और खंदहार शाह आलम के बाद पांचवें पत्रकार हैं, जिनकी हत्या हुई है।
PEC (pressemblem.ch) के अध्यक्ष ब्लेज़ लेम्पेन ने कहा, “हम पत्रकार इम्दादुल हक मिलन की गोली मारकर हत्या की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। इसके साथ ही आधी रात को प्रथम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर किया गया हमला भयावह है, खासकर तब जब कई पत्रकार और कर्मचारी अंदर काम कर रहे थे। इन हमलों के कारण दोनों अखबार शुक्रवार का संस्करण प्रकाशित नहीं कर सके।”
लेम्पेन ने कहा कि इन घटनाओं को प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला माना जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे समय में, जब बांग्लादेश 12 फरवरी 2026 को प्रस्तावित आम चुनावों की तैयारी कर रहा है, सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निर्भीक मीडिया की रक्षा करे।
PEC के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई प्रतिनिधि नव ठाकुरीया के अनुसार, अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस द्वारा सिंगापुर में इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत की पुष्टि के तुरंत बाद देश में हिंसा और उग्र हो गई। हादी को ढाका में गोली लगने के बाद बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया था। वे पिछले वर्ष हुए छात्र-नेतृत्व वाले बड़े जनविद्रोह के दौरान चर्चा में आए थे, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़ने और पड़ोसी भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया था।
इस बीच, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने प्रथम आलो और द डेली स्टार के संपादकों से बातचीत कर उन्हें समर्थन और सुरक्षा सहायता का आश्वासन दिया है। PEC ने दोहराया है कि पत्रकारों की सुरक्षा केवल एक पेशेवर मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की बुनियादी शर्त है, और बांग्लादेश सरकार को इस दिशा में तत्काल और प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
