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Monday, October 6, 2025

राष्ट्र-चिंतनसंघ पर डाक टिकट जारी होने पर बवाल क्यों ?संघ की सक्रियता और जीवंतता हमेशा प्रेरणा देती रहेगी

राष्ट्रीय स्वयं संघ के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक डाकटिकट जारी किया है, यह एक सम्मान प्रक्रिया है, सहज अभिव्यक्ति है, सत्ता का सम्मान है, जनता की जागरूकता का प्रतीक है और भविष्य की पीढी के लिए प्रेरक तत्व है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महान दृष्टि है, समर्पण है और कृतज्ञता है। डाकटिकट जारी करने के पीछे राजनीति की कोई अप्रत्यक्ष दृष्टि नहीं है। ऐसे भी डाकटिकट जारी करने के पीछे तर्क और तथ्य होते है कि जिन संस्थानों का उद्देश्य समाज सेवा है, राष्ट्रसेवा है, भूख पीडितों की सेवा है, पिछडे लोगों की उन्नति है, संस्कृति उन्नयन है, देशभक्ति को समृद्ध करना है, उन्हें विकसित करना है, उन्हें आधुनिक युग की जरूरतों और आधुनिक युग की धारा में बहते जाने के लिए प्रेरित करना है उन्हें याद करना और सम्मान देना है। सिर्फ संस्थानों को ही नहीं बल्कि प्रेरक हस्तियों और बलिदानियों को भी इस तरह का सम्मान जारी हुआ है। उदाहरण के तौर पर हम महात्मा गांधी का नाम ले सकते हैं, बालगंगाधर तिलक का नाम ले सकते हैं, सरदार भगत सिंह का नाम ले सकते हैं, सरदार पटेल का नाम ले सकते हैं। महात्मा गांधी, सरदार पटेल और बाल गंगाधर तिलक आजादी के आंदोलन की हस्तियां हैं और बलिदानी हैं। विदेशी व्यक्ति की विचारधारा पर खडी हुई कांग्रेस और अंग्रेजों की मदद करने और उन्हें सुझाव-सहायता प्रदान कर अंग्रेजी शासन को मजबूत करने के ख्याल से प्रेरित होकर सक्रियता रखने वाली कांग्रेस के उपर भी डाकटिकट जारी हो चुका है। भारत विरोधियों और हिंसक-विखंडन की मानसिकता से प्रेरित लोगों और संगठनो को भी डाकटिकट जारी हो चुका है।

संघ के उपर डाॅकटिकट जारी हुआ और उस पर विवाद नहीं होता? यह तो संभव ही नहीं था? क्योंकि संघ की हर क्रिया और हर प्रतिक्रिया पर विवाद होता है, रक्तरंजित शाब्दिक प्रतिक्रियाएं होती हैं, राजनीति गर्म हो जाती है। नरेन्द्र मोदी द्वारा जैसे संध पर डाकटिकट जारी होने की घोषणा हुई वैसे ही देशद्रोही तबका उबल पडे, उनकी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गयी। कांग्रेस के लोग आपा खो दिये, कम्युनिस्ट तो गाली-गलौज पर उतर आये, मुस्लिम तबका तो इनसे करोडों किलोमीटर आगे बढकर प्रतिक्रियाएं देने लगे। इन सभी का कहना था कि संघ एक हिंसक संगठन है, संघ एक दंगाई संगठन है, संघ एक विखंडनकारी संगठन है, संघ दलितों और पिछडों के विरोधी हैं, आदिवासियों की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट कराया है, इसने महात्मा गांधी की हत्या करायी। नाथूराम गोडसे संघ का प्रचारक था, संघ पर डाॅकटिकट जारी कर नरेन्द्र मोदी ने हिंसा और विखंडन को हवा पानी दिया है। विरोध की भाषाएं अश्लील और विभत्स थी। मूल मीडिया तो विरोधियों की अश्लील और विभत्स भाषा-शब्दों को एक तरह से नकार दिया और उचित स्थान नहीं दिया पर सोशल मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई, विरोधियों की अश्लील और विभत्स भाषा और शब्दों के खिलाफ प्रतिक्रियाएं खूब हुई, उन्हें भी और उनकी भाषा मे ही जवाब दिया गया। राष्ट्रभक्ति जागरूक है और सक्रिय है और प्रतिक्रियावादी भी होना सीख ली है। इसलिए यह कहना भी गलत नहीं होगा कि ऐसे तत्वों को राष्ट्रभक्ति श्रृखंलाओं ने सभ्य और सुसंस्कृत भाषा -शब्दों में जवाब भी दिया है। इसलिए सोशल मीडिया पर विरोधी तत्वों को जवाब मिला और उनकी राष्ट्रवादी संगठनों की छवि धूमिल करने और राष्ट्रवादी शक्ति से प्रेरित संगठनों को अपनी तीखी और खतरनाक प्रतिक्रियाओं का शिकार करने के कुविचार का कोई खास असर नहीं पडा। जनमत तो संघ और नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा में सक्रिय है।

खासकर कांग्रेस को अपना आईना देखना चाहिए। उसका आईना भुतहा है, हिंसक है, देशद्रोही भी है और दंगाई भी है। कांग्रेस ने अपने शासन काल में किन-किन लोगों को डाॅकटिकट से सम्मानित किया है? अगर आप इसकी सूची देखेंगे तो निश्चित तौर पर हैरान और परेशान होंगे, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आप दांतों तले उंगलियां दबाने के लिए मजबूर हो जायेंगे? देशद्रोहियों और भारत विखंडन कारियों पर कांग्रेस ने डाॅकटिकट जारी किया था। उदाहरण एक नहीं बल्कि अनेक है, यहां पर दो-चार उदाहरण है। भारत विभाजन की नींव रखने वाले और पाकिस्तान के जन्मदाता मुहम्मद इकबाल को भी कांग्रेस के राज में डाक टिकट जारी कर सम्मानित किया गया था। मुहम्मद इकबाल एक शायर था। उसने सारे जहां से अच्छा हिन्दोत्ता हमारा गाया था, इस गान से उसने बहुत ज्यादा वाह-वाहियां लूटी थी। पर जब उस पर इस्लाम का पागलपन सवार हुआ तो उसने गाया था कि हम हैं मुस्लमां और सारा जहां हमारा। उसके इस कथन का अर्थ था कि पूरी दुनिया सिर्फ मुसलमानों की ही है और अन्य धर्मो के लिए कोई जगह नहीं है, इस्लाम का सार भी यही है। इस्लाम कहता है कि यह धरती, यह आसमान सिर्फ मुसलमानों का है, बाकी शेष काफिर हैं। काफिरों की हत्या करने का आदेश इस्लाम देता है। सिर्फ इतना ही बल्कि इकबाल ने पाकिस्तान की अवधारणा को जन्म दिया था और मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की थी, इकबाल ने कहा था कि हिन्दू और मुस्लिम दो काॅम हैं, दोनों साथ नहीं रह सकते हैं, हिन्दू आठ सौ साल तक मुसलमानों का गुलाम रहे हैं, इसलिए अंग्रेजों के जाने के बाद और आजादी मिलने के बाद भारत में लोकतंत्र उत्पन्न होगा, बहुसंख्यक हिन्दुओं की सत्ता स्थापित होगी। इस संबंध मे एक भाषण और पाकिस्तान की रूप-रेखा उसने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया था जिन्हें जिन्ना ने आगे बढाया था। जिन्ना के साथी और मुस्लिम लीग के नेता इस्लमाइल पर 1988 में राजीव गांधी ने डाॅकटिकट जारी कर उसे सम्मानित किया था। इस्लमाइल ने पाकिस्तान की स्थापना के लिए जिन्ना के साथ लंबी लडाई लडी थी पर वे पाकिस्तान नहीं गये और भारत को भी इस्लामिक देश बनाने के लिए लडते रहे थे। दारूल उलूम जमाते इस्लामी के संस्थापक हुसैन मदनी को मनमोहन ंिसंह और सोनिया गांधी की सरकार ने डाक टिकट जारी कर सम्मानित किया था।

संघ के संस्थापक हेडगवार खुद स्वतंत्रा सेनानी थे, उन्होंने कई सालों तक अंग्रेजी सरकार के दौरान जेल में बितायी थी। उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था और अंग्रेजों का कोपभाजन बने थे। जब कांग्रेस मुस्लिम मुखी हो गयी, जब कांग्रेस पर मुस्लिम करण हावी हो गया, जब बंदे मातरम और जन गण मन की देशभक्ति कमजोर हो गयी, जब कांग्रेस भी जिन्ना समर्थक अपने नेताओं के सामने झुक गयी तब हेडगावार ने कांग्रेस छोड दी और राष्ट्र की सक्षमता और अखंडता की सोच में डूब गये। इसी सोच से उन्होंने संघ की स्थापना की थी। संघ मातृभूमि का प्रणाम करता है, संघ मातृभमि को मा मानता है और भारत भूमि को भारत माता कहता है। संघ पर आक्षेप और हिंसक मानसिकता का कोई आधार नहीं होता है। महात्मा गांधी की हत्या में संघ की कोई भूमिका नहीं थी, न्यायालयों के फैसले से यह साबित हो चुका है। नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी की पाकिस्तान परस्ती और मुस्लिम परस्ती से परेशान होकर हत्या जैसी कदम उठाने के लिए बाध्य हुए थे। जवाहर लाल नेहरू ने संघ पर से प्रतिबंध को हटाने के लिए क्यों बाध्य हुए थे? क्योंकि संघ के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं था। इंदिरा गांधी ने भी संघ पर प्रतिबंध लगाया था पर संघ की शक्ति का संहार वह नहीं कर पायी थी। संघ ने संस्कृति की रक्षा करने और समाजिक परिर्वतन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। 1962 में चीन हमले के दौरान संघ के स्वयं सेवकों ने जो सैनिकों की मदद की थीऔर सेवा की थी, उसका कोई और उदाहरण नहीं हो सकता है। बाढ या फिर अन्य प्राकृतिक संकटों के दौरान संघ की भूमिका काफी अतुलनीय होती है। संघ ने कोरोना के दौरान करोडों लोगों को भोजन कराया, उनके घरों तक राहत सामग्री पहुचायी, संघ का प्रकल्प सेवा भारती की भूमिका कोरोना के दौरान एक नायक की तरह थी। संघ पर डाक टिकट जारी कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक महान कार्य किया है, इसके लिए नरेन्द्र मोदी जी की प्रशंसा होनी चाहिए। संघ विरोधी खुद हाशिये पर चले जायेंगे पर संघ की सक्रियता और जीवंतता एक प्रेरक तत्व बनी रहेगी।

— आचार्य श्रीहरि

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