spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
29 C
Sringeri
Thursday, November 27, 2025

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): भारत का भविष्य नहीं—वर्तमान

कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात् Artificial Intelligence (AI) की कहानी किसी रातों-रात हुए चमत्कार की नहीं, बल्कि दशकों की तकनीकी यात्रा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को समझने के लिए इसकी जड़ों तक जाना ज़रूरी है। इसकी शुरुआत 1956 में तब हुई, जब डार्टमाउथ कॉलेज में वैज्ञानिकों ने पहली बार यह विचार रखा कि मशीनें भी सोच सकती हैं। इसके बाद 1960 और 80 के दशकों में विशेषज्ञ प्रणालियों के रूप में इसका धीमा विकास हुआ, लेकिन 2010 के बाद डेटा का विस्फोट, क्लाउड कंप्यूटिंग, सस्ती स्मार्टफोन तकनीक और मशीन-लर्निंग में हुए क्रांतिकारी विकास ने AI को प्रयोगशाला से निकालकर सीधे जनता तक पहुँचा दिया। भारत जैसे देश, जहाँ इंटरनेट उपयोगकर्ता की संख्या 85 करोड़ पार कर चुकी है, स्वाभाविक रूप से AI की सबसे व्यापक और तेज़ प्रयोगशाला बन गए हैं।

भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल समाज बन चुका है, AI के प्रभाव का सबसे जीवंत उदाहरण है। 85 करोड़ से ज़्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं वाला यह देश AI को जिस तेजी से अपनाता और विकसित करता दिखाई दे रहा है, वह दुनिया में अनूठा है। आज स्थिति यह है कि AI का प्रभाव किसी विशेष वर्ग, पेशे या शहर तक सीमित नहीं रहा—यह भारत के प्रत्येक नागरिक के दैनिक जीवन में मौजूद है। ख़ास बात यह है कि आम आदमी को यह अहसास भी नहीं होता कि वह कितनी बार AI के संपर्क में आता है। दिल्ली, मुंबई या लखनऊ की सड़क पर कोई व्यक्ति जब गूगल नक़्शे (Google Maps) खोलता है, एकीकृत भुगतान अन्तराफलक यूनिफाइड अर्थात् पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भुगतान करता है, किसी ग्राहक सेवा चैटबॉट से बात करता है, या यूट्यूब (YouTube) पर व्यक्तिगत सुझाई गई सामग्री देखता है, तब वह अनजाने में AI के साथ संवाद कर रहा होता है। घरों में खरीदारी ऐप कीमतों की तुलना कराते हैं, गांवों में किसान मौसम आधारित चेतावनियाँ पाते हैं, और छोटे कारोबारी AI-आधारित बहीखाते ऐप से अपना कारोबार संभालते हैं। AI रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उतनी चुपचाप मौजूद है जितनी बिजली—नज़र नहीं आती, पर सब चलाती है। 

शिक्षा के क्षेत्र में, AI नए अवसर और बराबरी दोनों ला रहा है। भारत सरकार का दीक्षा (DIKSHA) प्लेटफ़ॉर्म लाखों शिक्षकों और करोड़ों छात्रों को AI-आधारित मॉड्यूल देता है, जिसमें हर छात्र अपनी सीखने की क्षमता के अनुसार आगे बढ़ सकता है। भाषिणी (Bhashini) परियोजना देश को बहुभाषी डिजिटल शिक्षा की शक्ति दे रही है—अब शिक्षा अंग्रेज़ी पर निर्भर नहीं रही। भारत में AI ट्यूटर पढ़ाई को इतना व्यक्तिगत बना रहे हैं कि दूरस्थ मेघालय, अरुणाचल या लद्दाख का छात्र भी दिल्ली के उच्च-स्तरीय कंटेंट तक समान रूप से पहुँच पा रहा है। यह भारत के लिए शिक्षा-लोकतंत्रीकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। स्वास्थ्य सेवा, जहाँ संसाधनों की कमी और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता हमेशा चुनौती रही है, AI के कारण अभूतपूर्व परिवर्तन देख रही है। एम्स (AIIMS), अपोलो और कई राज्य अस्पताल, कैंसर, स्ट्रोक, ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) और हृदय रोगों की तेजी से पहचान के लिए AI-आधारित स्कैनिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। महाराष्ट्र में टीबी पहचान के लिए AI स्कैन ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाँच की गति कई गुना बढ़ाई है।

ग्रामीण भारत में टेलीमेडिसिन AI के कारण अधिक मजबूत हुआ है—जहाँ पहले एक विशेषज्ञ डॉक्टर तक पहुँचना लगभग असंभव था, अब ऑनलाइन AI-स्क्रीनिंग के माध्यम से सही सलाह और उपचार मिल रहा है। कोविड-19 के दौरान AI पूर्वानुमानों ने आईसीयू (ICU) बेड और ऑक्सीजन वितरण का प्रबंधन कर भारत को संभावित त्रासदी से बचाया—यह इस तकनीक की क्षमता का सबसे जीवंत उदाहरण था। वित्तीय क्षेत्र में भारत AI का वैश्विक मॉडल बन चुका है। UPI का सुरक्षित, तेज़ और पारदर्शी संचालन मशीन-लर्निंग आधारित सुरक्षा प्रणालियों के कारण संभव है। SBI, ICICI और HDFC जैसे बैंक AI-आधारित KYC, धोखाधड़ी पहचान और 24×7 ग्राहक सेवा चैटबॉट के माध्यम से प्रक्रियाएँ तेज़ और अधिक प्रभावी बना रहे हैं। डिजिटल लेंडिंग कंपनियाँ AI स्कोरिंग से उन लाखों भारतीयों को ऋण उपलब्ध करा रही हैं जिनके पास पारंपरिक कागज़ी क्रेडिट इतिहास नहीं है—यह भारत में “वित्तीय लोकतंत्रीकरण” का सबसे बड़ा सूचक है। 

कृषि, जो भारत की जीवनरेखा है, वहाँ AI आशा का नया स्रोत बनकर उभरा है। AI-आधारित फसल रोग पहचान, सिंचाई सुझाव और मौसम पूर्वानुमान किसानों को अधिक वैज्ञानिक ढंग से खेती करने में सक्षम बना रहे हैं। कर्नाटक में ड्रोन-आधारित फसल क्षति मूल्यांकन बीमा भुगतान को तेज़ कर रहा है। CropIn, Fasal और Gramophone जैसे भारतीय स्टार्टअप किसानों को वही डेटा-आधारित सलाह दे रहे हैं जो पहले केवल बड़े कॉर्पोरेट कृषि संस्थानों को उपलब्ध होती थी। उद्योग, रेल, ऊर्जा और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में AI दक्षता को नई परिभाषा दे रहा है। टाटा स्टील AI की मदद से मशीन खराबी का अनुमान लगाता है, जिससे उत्पादन में रुकावट न्यूनतम होती है। भारतीय रेल AI से पटरियों की दरार का पता लगाने पर काम कर रही है—यह सुरक्षा के लिए बड़ी छलांग है। फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म AI भविष्यवाणी और सप्लाई चेन (Supply Chain)अनुकूलन से तेज़ डिलीवरी और बेहतर सेवा दे पा रहे हैं। शासन और नीति-निर्माण में AI का उपयोग भारत को 21वीं सदी की प्रशासनिक क्षमता दे रहा है। आधार प्रमाणीकरण में AI-सक्षम फ्रॉड डिटेक्शन हर साल लाखों संदिग्ध लेनदेन रोकता है। स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन सिस्टम बेंगलुरु और हैदराबाद की सड़कों पर जाम कम कर रहे हैं। अदालतों में SUVAS और SUPACE जैसे AI टूल मामले के अनुवाद, शोध और दस्तावेज़ीकरण में सहायता कर रहे हैं, जिससे न्याय में विलंब कम होने की संभावना बढ़ती है। केंद्र सरकार की गति शक्ति योजना AI-आधारित भू-स्थानिक डेटा से अधोसंरचना निर्माण की निगरानी करती है—यह तेज़ निर्णय, पारदर्शिता और संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में बड़ा कदम है।

AI के क्षेत्र में हुए इस अभूतपूर्व विकास के साथ कुछ महत्वपूर्ण चिंताएँ भी जुड़ी हैं— सबसे पहली चुनौती नौकरी के स्वरूप में बदलाव की है। AI ने कई क्षेत्रों में दक्षता बढ़ाई है, लेकिन यह भी सच है कि डेटा एंट्री, कस्टमर सपोर्ट, बेसिक अकाउंटिंग, ड्राइविंग और विनिर्माण जैसी नौकरियाँ स्वचालन के दबाव में आ रही हैं। आने वाले वर्षों में “नौकरी खत्म” होने का संकट कम और “कौशल बदलने” की चुनौती अधिक होगी। भारत को अब ऐसे कर्मचारियों की जरूरत है जो AI के साथ काम कर सके—न कि उससे प्रतिस्पर्धा करे। यह स्पष्ट है कि पुनः कौशलीकरण भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में होना चाहिए, नहीं तो नौकरी असमानता का संकट गहरा हो सकता है। दूसरी बड़ी चिंता है डेटा गोपनीयता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा। भारत जैसे बड़े डिजिटल समाज में प्रतिदिन अरबों डेटा पॉइंट सुरक्षित रखे जा रहे हैं—बायोमेट्रिक पहचान से लेकर बैंकिंग लेन-देन, स्वास्थ्य रिकॉर्ड और लोकेशन तक। AI मॉडल इन्हीं डेटा पर आधारित होकर निर्णय लेते हैं। लेकिन जब डेटा इतना विशाल और संवेदनशील हो, तो उसका दुरुपयोग—चाहे सरकारी एजेंसियों द्वारा हो, कॉर्पोरेट प्लेटफ़ॉर्म द्वारा या साइबर अपराधियों द्वारा—एक बड़ा खतरा बन जाता है। AI की निगरानी क्षमता इतनी बढ़ चुकी है कि किसी भी नागरिक के जीवन की गतिविधियाँ बेहद सूक्ष्म स्तर तक देखी और विश्लेषित की जा सकती हैं। यह स्थिति व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक अधिकारों और निजता के लिए नए प्रकार की चुनौतियाँ पैदा करती है।

तीसरी चुनौती है एल्गोरिद्मिक पक्षपात (algorithmic bias)—एक ऐसी समस्या जो कई देशों में सामने आ चुकी है। यदि AI उन्हीं डेटा पर प्रशिक्षित है जो समाज में मौजूद असमानताओं को दर्शाता है, तो AI के निर्णय भी पक्षपातपूर्ण हो सकते हैं—जैसे भर्ती प्रक्रियाएँ, ऋण स्वीकृति, पुलिसिंग, स्वास्थ्य प्राथमिकताएँ या सरकारी योजनाओं का लाभ वितरण। भारत जैसे विविध और जटिल समाज में, जहाँ सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ गहरी हैं, इस तरह का पक्षपात (bias) नागरिकों के साथ अन्याय कर सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि AI सिस्टम पारदर्शी, ऑडिटेबल और जवाबदेह हों। चौथी चिंताओं की धुरी है निगरानी का संभावित दुरुपयोग। स्मार्ट कैमरा नेटवर्क, फेस रिकग्निशन सिस्टम और भविष्यसूचक पुलिसिंग (predictive policing) मॉडल का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। यदि इन तकनीकों पर मजबूत नियम नहीं बने, तो वे नागरिकों की स्वतंत्रता को सीमित करने के उपकरण बन सकते हैं। लोकतंत्र में तकनीक का उपयोग “नागरिकों की सुरक्षा” के लिए होना चाहिए—“निगरानी और नियंत्रण” के लिए नहीं।

इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भारत का आने वाला डिजिटल इंडिया अधिनियम (Digital India Act) और प्रस्तावित राष्ट्रीय AI नैतिक ढांचा अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह कानून तय करेगा कि भारत में AI का उपयोग किस तरह होगा—क्या यह अधिकारों का संरक्षक बनेगा या जोखिम का स्रोत? ये नीतियाँ डेटा सुरक्षा, पारदर्शिता, जवाबदेही, AI ऑडिट, बच्चों की सुरक्षा, साइबर अपराध रोकथाम, और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स की जिम्मेदारी को नए सिरे से परिभाषित करेंगी। भारत के पास यह अवसर है कि वह दुनिया को दिखाए—किस तरह एक विशाल डिजिटल राष्ट्र तकनीकी विकास और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रख सकता है। AI की गति बेकाबू नहीं होनी चाहिए, लेकिन इसे बाँधा भी नहीं जाना चाहिए। सही दिशा, मजबूत कानून और नैतिक मानकों के साथ AI भारत के विकास का सबसे सुरक्षित, विश्वसनीय और शक्तिशाली इंजन बन सकता है।

समग्र रूप से, भारत AI को केवल उपयोग नहीं कर रहा—भारत AI को आकार दे रहा है। देश की युवा जनसंख्या, तकनीकी क्षमताएँ और डिजिटल ढाँचा उसे वैश्विक मंच पर AI नेतृत्व देने की स्थिति में खड़ा कर रहा है। यदि इसे न्याय, समानता और दूरदर्शिता के साथ अपनाया जाए, तो AI आने वाले वर्षों में भारत के विकास चक्र का सबसे महत्वपूर्ण इंजन बनेगा—शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, शासन और उद्योग को पहले से अधिक सक्षम, पारदर्शी और पहुँच-योग्य बनाते हुए AI भारत में मशीनों का भविष्य नहीं—यह 140 करोड़ लोगों की नई संभावनाओं का भविष्य गढ़ रहा है।

दीपक कुमार कुशवाहा, ऑपरेशन रिसर्च, ऑप्टिमाइजेशन और लॉजिस्टिक्स विशेषज्ञ

Subscribe to our channels on WhatsAppTelegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.