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Friday, December 26, 2025

राष्ट्र-चिंतन: चुनावी विसात पर प्रभावी होता ‘मियां मुस्लिम‘ बेदखली अभियान

असम दोरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस असम को घुसपैठियों का राज्य बनाना चाहती है और घसुपैठियों को संरक्षण देती है। असम की भाजपा सरकार घुसपैठियों को नियंत्रित करने के लिए मियां मुस्लिम बेदखली अभियान चला रही है। मियां मुस्लिम उन लोगों को कहा जाता है जो बाग्लादेशी मूल के हैं और अवैध रूप से भारत में आकर बसे हुए हैं। ऐसे इस तरह के लोगों को अन्य नाम से भी पुकारा जाता है, पहचान किया जाता है, अन्य नामों में बांग्लादेशी, रोहिंग्या शामिल है। खासकर असम में मियां मुस्लिम एक अपमानजनक पदवि है और पहचान है। मियां मुस्लिम‘ समूह पर आरोप है कि इन लोगों ने बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान से आकर असम की डेमोग्राफी को बदला है, सरकारी जमीन को कब्जा किया है, जंगलांें का सफाया किया है, पहाडों को तोडा है, इस प्रकार से इन लोगों ने असमियां समाज के संतुलन रेखा बिगाडी है और असम के पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया है, दफन किया है। आमतौर पर यह धारणा असम के अंदर मजबूत है और इसी के ईद-गिर्द असम की राजनीति भी धूमती-फिरती है, सतारूढ दल की भी सोच यही है, सत्ता रूढ दल जहां मियां मुस्लिम बेदखली अभियान से लाभार्थी होने की रणनीतियां बिछाता है वहीं विपक्ष कांग्रेस और अन्य मुस्लिम राजनीतिक पार्टियां मियां मुस्लिम बेदखली अभियान को मुसलमानों को अपमानित करने और मुसलमानों को प्रताड़ित करने के साथ ही साथ उन्हें घेर-बार से वंचित करने के तौर पर देखता है, प्रचालित करता है और अपना जनाधार विकसित करता है। इसलिए यह कहना कि फायदे की राजनीति, तनाव की राजनीति, नफरत की राजनीति सिर्फ सत्ताधारी पार्टी भाजपा ही करती है, पूरी तरह से सच नहीं है। मियां मुस्लिम, रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के संरक्षण देकर बसाने और रोजगार उपलब्ध करा कर अपना जनाधार संरक्षित करने का काम कांग्रेस और मुस्लिम पार्टियां भी करती हैं। लेकिन सच को दबाया नहीं जा सकता है, छुपाया नहीं जा सकता है। मियां मुस्लिम,रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ एक सच है जो चाकचैबंद है और प्रमाणित है। मियां मुस्लिम, रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैइ के कारण न सिर्फ असम की डेमोग्राफी बदली हैं, खतरनाक हुई है, हिंसक हुई है बल्कि देश के अन्य भागों में इसकी एक झलक देखने को मिलती है। मियां मुस्लिम, रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ को राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक और सनातन सहंार का विषय और कारण मान लिया गया है।

            ऐलानिया तौर पर असम में मियां मुस्लिम बेदखली अभियान जोरों पर है। इसको लेकर असम की भाजपा सरकार भी गंभीर है और सक्रिय है तथा आक्रामक है। असम भाजपा सरकार कोई कोताही बरतने के लिए तैयार नहीं है। अभियान को जोरशोर से चलाया जा रहा है। अभी तक हजारो घरों को दफन कर दिया गया, उस पर बुलडोजर चला दिया गया, खेती की जमीन पर अतिक्रमण हटा दिया गया। बुलडोजर किस आधार पर चलता है? बुलडोजर चलने का आधार यह है कि सरकारी जमीन है जिस पर अवैध कब्जा है। सरकारी जमीन पर कभी जंगल था, सरकारी जमीन पर कभी पहाड था, कभी पेड-पौधे थे जिसे काटकर घर बनाये गये और खेती के लिए जमीन बनायी गयी। यह बात सही है कि निजी संपत्ति पर इस तरह के कब्जे नहीं होते हैं। इस तरह के अवैध कब्जे सरकारी जमीन पर होते हैं, जंगल की जमीन और पहाड की जमीन के साथ ही साथ नदियों के किनारे की जमीन ही निशाने पर होती है। अवैध घूसपैठियों के पास धन-दौलत तो होता नहीं, उनके पास सिर्फ और सिर्फ लक्ष्य होता है। लक्ष्य भी हिंसक और खतरनाक होता है और नफरत भरा होता है। लक्ष्य इनका इस्लाम के प्रचार-प्रसार और विस्तार होता है, सनातन का संहार और भारत को मुस्लिम राष्ट्र के रूप में तब्दील करने की इनकी मानसिकता भी होती है। अगर इनकी ऐसी मानसिकता और लक्ष्य नहीं होते तो फिर इनकी घुसपैठ के खिलाफ इतना आक्रोश भी नहीं होते और बेदखली अभियान भी मानवीय अवधारणा से प्रेरित होते। अवैध घुसपैठिये अपनी गुंडागर्दी और हिंसा पर कुछ ज्यादा ही निर्भर रहते हैं और स्थानीय मुस्लिम विसात भी उन्हें हिंसक और खतरनाक बनाने की भूमिका निभाते हैं और डरने की बात को खारिज करने की सीख देते हैं। इसलिए मूल निवासियों और घुसपैठियों के बीच में नफरत की एक दीवार खींच जाती है, एक हिंसक लक्ष्मण रेखा भी खींच होती है।

                 असम में मियां मुस्लिम बेदखली अभियान के खिलाफ आक्रोश भी कम नहीं है, राजनीतिक तनाव भी कम नहीं है और आमने-सामने की स्थिति भी उत्पन्न हुई है। मानवाधिकार कार्यकर्ता और प्रसिद्ध वकील एआर भुइयां कहते हैं कि कब और कौन कहां से आया है? इसका निर्धारण करना मुश्किल है, रंग रूप और कपडों का आधार बना कर किसी को मियां मुस्लिम घोषित कर देना अन्याय है, जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर और डेमोग्राफी चेंज का हौवा खडा कर हम एक बडे समूह को बेदखल नहीं कर सकते हैं, उन्हें हाशिये पर खडा नहीं कर सकते हैं। हम कानून के राज में गतिशील होते हैं जबकि भावनाओं के आधार पर पूरा बेदखली अभियान जारी है, भावनाओं का राज बनाना लोकतंत्र की हत्या है। भुइयां की यह बात तो सही है कि मानवाधिकारी अवधारणा की जरूरत होनी चाहिए। पर कानून की बात को भी हमें भूलना चाहिए या नहीं? इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। अब यहां प्रश्न यह उठता है कि बेदखली अभियान को लेकर असम के नियम-कानून क्या कहते हैं?े वन कानून 1891 और 1995 बेदखली अभियान को मजबूत बनाते हैं। ये कानून सरकार को वन विभाग और सरकारी जमीन को वापस लेने के अधिकार सरकार को देते हैं। बेदखली के लिए सुनावाई और नोटिस की अनिवार्यता होती है। इस साल के अगस्त महीने में गुवाहाटी हाई कोर्ट का फैसला भी उल्लेखनीय है। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला देकर बेदखली अभियान को सही ठहराया था और सात्त दिनों के अंदर कब्जाधारियों को जमीन मुक्त करने का आदेश दिया था। लेकिन आदिवासी समूह को बेदखली अभियान से मुक्त रखा गया है। आखिर क्यों? इसलिए कि वन अधिकार कानून 2006 के अनुसार उन्हें सुरक्षा मिली हुई है। मूल आदिवासियों को जंगल पर परमपरागत अधिकार हासिल हैं।

               अगले वर्ष असम में चुनाव है। चुनाव के दृष्टिकोण से ही बेदखली अभियान प्रभावी है। पर भाजपा का आरोप और भी है। भाजपा का आरोप है कि मियां मुस्लिम ग्रेटर राज के लिए घुसपैठ जारी है। हिन्दुओं को बलपूर्वक भयभीत किया जा रहा है और उन्हें अपने मूल स्थान से भागने के लिए विवश किया जा रहा है। सही तो यही है कि असम के कई जिले देखते-देखते मुस्लिम बहुल हो गये, कई विघान सभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो गये, जहां पर मुस्लिम उम्मीदवार की ही जीत अनिवार्य हो गयी है। असम में मुसलमानों की एक नयी पार्टी भी बन गयी है जो न केवल प्रभावी है बल्कि अपना दखल भी विशेष रखती है। असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम की मुस्लिम पार्टी पर विदेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं। असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फं्रट का मुखिया मौलाना बदरूउदीन हैं जो मुसलमानों के नेता के तौर पर स्थापित हैं और अपने मुस्लिम भडकाउ बयानों के लिए कुख्यात है। असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फंट का कांग्रेस के साथ समझौता है। कांग्रेस स्वयं के बल पर असम में सरकार नहीं बना सकती है, कांग्रेस के लिए मुस्लिम समर्थन की अनिवार्यता होगी। इसी कारण कांग्रेस मौलाना बदरूउदीन के शर्तो के सामने झुकती रही है। बदखली अभियान से भाजपा अपने हिन्दुत्व वोटों को संतुष्ट रखना चाहती है और असम में लगातार तीसरी बार सरकार बनाना चाहती है। असम में भाजपा सरकार का मियां मुस्लिम बेदखली अभियान का अर्थ और लक्ष्य यही है।

— आचार्य श्रीहरि

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