बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के जनरल को ऐसा नक्शा भेंट किया जिसमें असम समेत भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया है।
ढाका में हुई एक मुलाकात ने बांग्लादेश और भारत के बीच नई कूटनीतिक दरार पैदा कर दी है। बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को एक ऐसी किताब भेंट की जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश की सीमा में दिखाया गया है।
यह घटना 26 अक्टूबर को ढाका में हुई जब यूनुस ने जनरल मिर्जा से मुलाकात की। यूनुस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर तस्वीरें साझा कीं। उन्हीं में एक फोटो में वह “आर्ट ऑफ ट्रायम्फ” नामक किताब देते दिखे। इस किताब के कवर पर बना नक्शा भारत की क्षेत्रीय अखंडता का खुला अपमान था। नक्शे में असम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम को बांग्लादेश का हिस्सा बताया गया था।
भारत में इस कदम को लेकर भारी आक्रोश है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस ने न सिर्फ भारत की सीमाओं पर सवाल उठाया है, बल्कि बांग्लादेश की विदेश नीति को पाकिस्तान और चीन के हाथों में सौंपने की कोशिश की है।

यह पहली बार नहीं है जब यूनुस ने भारत के उत्तर-पूर्व को लेकर विवादास्पद बयान दिया हो। अप्रैल 2025 में चीन की यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि “भारत के सातों पूर्वोत्तर राज्य समुद्र से कटे हुए हैं, और बांग्लादेश ही उनका समुद्र से जुड़ने का एकमात्र रास्ता है।”
यह बयान और अब यह नक्शा दिखाते हैं कि यूनुस भारत के खिलाफ एक गहरी साजिश रच रहे हैं। वह बांग्लादेश की पुरानी विदेश नीति से हटकर उसे पाकिस्तान और चीन के पाले में धकेलना चाहते हैं। भारत ने पहले ही बांग्लादेश के साथ ट्रांसशिपमेंट समझौता रद्द कर दिया है और साफ कर दिया है कि उसका उत्तर-पूर्व किसी भी विदेशी एजेंडे का हिस्सा नहीं बन सकता।
यूनुस के इस कदम ने भारत की संप्रभुता को खुली चुनौती दी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत की सीमाओं के साथ राजनीतिक खिलवाड़ कर रही है। यह न सिर्फ एक कूटनीतिक गलती है, बल्कि एक जानबूझकर किया गया उकसावा है।
भारत को इस घटना का जवाब कड़े शब्दों में देना चाहिए। उत्तर-पूर्व भारत का गौरव है, जहां से देश की संस्कृति, प्रकृति और राष्ट्रीय एकता की पहचान जुड़ी है। किसी भी विदेशी ताकत को इस भूभाग पर दावा करने का हक नहीं है।

यूनुस का यह कदम बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन की बढ़ती नजदीकियों का नतीजा है। पाकिस्तान के साथ यूनुस की यह मीटिंग 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद दोनों देशों के बीच बनी कूटनीतिक दूरी को पाटने की कोशिश लगती है। लेकिन यह कोशिश भारत की कीमत पर की जा रही है।
भारत के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि ढाका की अंतरिम सरकार अब दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने की राह पर है। यूनुस ने इस नक्शे के जरिए न सिर्फ पाकिस्तान को खुश किया, बल्कि भारत को खुलेआम अपमानित किया।
भारत की चेतावनी स्पष्ट होनी चाहिए
भारत को यह साफ संदेश देना होगा कि कोई भी देश उसकी सीमा या संप्रभुता को लेकर भ्रम फैलाने की हिम्मत न करे। भारत का पूर्वोत्तर न केवल देश की भौगोलिक पहचान है बल्कि सांस्कृतिक एकता की रीढ़ है।
भारत सरकार को अब बांग्लादेश से औपचारिक विरोध दर्ज कराना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाना चाहिए। भारत के हर नागरिक के लिए यह मामला सम्मान और राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा है।
मोहम्मद यूनुस ने जो किया, वह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक नक्शे के जरिए भारत की सीमाओं पर हमला है। लेकिन भारत की जनता और सरकार इस चुनौती का जवाब उसी दृढ़ता से देंगी, जिससे देश ने हमेशा अपने सम्मान की रक्षा की है।
