“‘धर्म परिवर्तन के बाद SC का दर्जा रखना संविधान से धोखाधड़ी’, इलाहाबाद ने हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला”, रॉयल बुलेटिन, दिसंबर 03, 2025
“इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए उत्तर प्रदेश की संपूर्ण प्रशासनिक मशीनरी को व्यापक निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि जो लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं, वे अनुसूचित जाति (एससी) के लिए निर्धारित लाभ प्राप्त करना जारी न रखें। कोर्ट ने इसे “संविधान के साथ धोखाधड़ी” करार दिया है और इसे रोकने के लिए राज्य के सभी जिला मजिस्ट्रेटों (DM) को चार महीने के भीतर कानून के अनुसार कार्य करने का सख्त निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने जितेंद्र साहनी नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज करते हुए यह ऐतिहासिक निर्देश जारी किए। साहनी ने हिंदू देवी-देवताओं का उपहास करने और शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोपों में दायर आरोप पत्र को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हलफनामे में हिंदू, जांच में पादरी निकला याची
याची साहनी के वकील ने तर्क दिया था कि साहनी ने केवल अपनी भूमि पर ईसा मसीह के वचनों का प्रचार करने की अनुमति माँगी थी और उन्हें झूठा फँसाया जा रहा है। हालाँकि, न्यायालय ने पाया कि याची ने अपने आवेदन के समर्थन में दायर हलफनामे में अपना धर्म ‘हिंदू’ बताया था, जबकि पुलिस जांच में इसके विपरीत तस्वीर सामने आई……”
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