“पुलों का कब्रिस्तान बना बिहार: 24 घंटे में 5 तो 15 दिन में 11 गिरे, अंग्रेजों के जमाने से लेकर नए नवेले तक हुए धराशायी”, ऑपइंडिया, जुलाई 04, 2024
“बिहार में पुलों के ढहने का मानो सिलसिला चल पड़ा हो। बिहार के अलग-्अलग जिलों में पिछले 15 दिनों के दौरान 11 पुल ढह चुके हैं। कहीं अंग्रेजों के जमाने का पुल बहा है, तो कहीं 5 साल पुराना पुल पानी के दबाव को नहीं सह सका। अकेले बुधवार-गुरुवार (3-4 जुलाई 2024) को सीवान और सारण जिले में 5 पुल ढह गए हैं। पुलों के ढहने की घटनाओं पर विपक्ष ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
सीवान में ढहे तीन पुल
बुधवार को सीवान जिले में पुलों के ढहने की तीन घटनाएँ सामने आई। पहली घटना महाराजगंज अनुमंडल के देवरिया गाँव में घटी, जहाँ गंडक नदी पर बना पुल का एक पिलर धँस गया और पुल टूट गया। बताया जा रहा है कि यह पुल तकरीबन 40 साल पुराना था। पुल टूटने की दूसरी घटना महाराजगंज प्रखंड के तेवता पंचायत में घटी, स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पुल 5 साल पहले ही बनाया गया था। वहीं, पुल टूटने की तीसरी घटना महाराजगंज के धम्ही गाँव में घटी। लोगों का कहना है कि नदी के जल बहाव में काफी तेजी आने और जलस्तर बढ़ने से पुल दबाव नहीं झेल पा रहे हैं।
सारण में ढहे 2 पुल, 1 तो अंग्रेजों के जमाने से खड़ा था
बिहार के सारण जिले में भी 2 पुलों के ढहने की जानकारी मिल रही है। सारण जिले का मुख्यालय छपरा है। छपरा में गंडक नदी पर स्थित जनता बाजार इलाके में पहला पुल टूटा। वहीं दूसरा पुल भी इसी इलाके में टूटा, जो वहाँ से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है। ये पुलिस करीब 100 साल पुराना था और अंग्रेजों के जमाने से खड़ा था। सीवान और छपरा में पाँच पुल पुलिया टूटने से पहले पिछले दो सप्ताह में अररिया, सीवान, मोतिहारी, किशनगंज और मधुबनी में कुल 6 पुल और पुलिया पहले ही ध्वस्त हो चुके हैं…..”
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