उत्तर प्रदेश को एक बार फिर से दंगों में धकेलने का षड्यंत्र विफल हुआ है। उत्तर प्रदेश में शाहजहाँपुर से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि उत्तर प्रदेश एवं हिन्दुओं की छवि बिगाड़ने के लिए एक लॉबी इतनी लालायित रहती है कि वह सब कुछ करने के लिए तैयार रहती है। वह एक घटना की तह में जाए बिना उसे हेट क्राइम बना देती है। ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह लॉबी अपना नैरेटिव बनाने में सबसे अधिक कुशल है।
हुआ यह कि बुधवार को एक समाचार आया कि शाहजहांपुर में कुरआन के कुछ पन्ने जल रहे हैं। जैसे ही यह समाचार आया वैसे ही हिन्दुओं से घृणा करने वाली लॉबी एकदम से सक्रिय हुई और अचानक से ही उसे एक वर्ग विशेष के प्रति घृणा के रूप में देखा जाने लगा। हेटडिटेक्टर नामक हैंडल ने लिखा कि
“कुरान पाक के पन्ने शाहजहांपुर की मस्जिद में जले पाए गए, मस्जिदों में इस तरह के हमले आम हैं क्योंकि हमलावरों को समाज का साथ मिला हुआ है!”
कई लोगों ने यह कहा कि हिन्दुओं ने ऐसा किया है
और मजहबी भावनाएं भड़काने वाली “शांति” की अपीलें भी की गईं
लोगों के भीतर गुस्सा इतना था कि उन्होंने भाजपा के पोस्टर जला दिए। भाजपा का अर्थ दरअसल भारतीय जनता पार्टी को वोट देने वाला हिन्दू वोटर ही था। उनके निशाने पर वही बेचारा निस्सहाय हिन्दू होता है, जिसने भारतीय जनता पार्टी को वोट देने की गलती की होती है।
इस पर पुलिस ने कल ही अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और चौबीस घंटे के भीतर ही दोषी को हिरासत में लेकर मामले की सत्यता को सामने ला दिया। पुलिस ने बताया कि
“थाना कोतवाली क्षेत्र में धार्मिक ग्रंथ को हानि पहुंचाने वाले अभियुक्त ताज मोहम्मद पुत्र युसुफ नि0 बाडूजई थाना सदर बाजार जनपद शाहजहांपुर को अन्दर 24 घंटे किया गया गिरफ्तार, अभियुक्त से पूछताछ कर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।“
पुलिस की जांच में कई अजीब बातें निकलकर आईं और वह इतनी भयानक थीं कि एक इंसान की निजी शिकायतों के चलते न जाने कितने मासूम हिन्दुओं की जान जा सकती थी। क्योंकि यदि यह बात न निकल कर आती कि दोषी ताज मोहम्मद ने केवल इस कारण कुरआन जला दिया क्योंकि वह खफा था!
मीडिया के अनुसार “शाहजहांपुर शहर के चौक कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला बावूजई में सैयद शाह फखरे आलम मियां मस्जिद है। बुधवार शाम किसी समय दो युवकों ने मस्जिद में घुसकर वहां रखे धार्मिक ग्रंथ को जला दिया। मगरिब की नमाज के लिए जब इमाम हाफिज नदीम व अन्य लोग पहुंचे, तो धार्मिक ग्रंथ के जले हुए पन्ने देख उन्होंने मस्जिद के इमाम को सूचना दी।”
भास्कर के अनुसार “बातचीत में ताज मोहम्मद ने बताया कि मैं कोई काम नहीं करता हूं। हमेशा खाली इधर उधर घुमाता रहता हूं। परिवार वाले मेरी शादी नहीं करा रहे हैं। जिससे मैं परेशान रहता हूं। धार्मिक ग्रंथ क्यों जलाया के सवाल पर आरोपी ताज मोहम्मद ने बताया, “मैंने नहीं बल्कि मेरी आत्मा ने जलाया है।”
ताज मोहम्मद की रूह ने जिस कुरआन को जलाया उस कुरआन को जलाए जाने को लेकर यदि कोई “फैक्ट चेकर” या कोई मुस्लिम पहचान वाला पत्रकार कोई आन्दोलन करता तो न जाने हिन्दुओं के विरुद्ध कैसा विमर्श तैयार हो सकता था? क्या इस घृणा का कोई ओर छोर या समाधान है?
इससे पहले बुधवार को पत्थरबाजी हो चुकी थी!
मस्जिद में आने जाने के लिए एक ही रास्ता और गेट है, ऐसे में कोई बाहरी व्यक्ति ऐसा कर जाए वह भी अत्यंत संदेहास्पद ही था।
परन्तु किसी भी ऐसी घटना पर शोर मचाने वाली लॉबी यह नहीं देखती है कि उस शोर का क्या परिणाम होगा या फिर जांच की ही प्रतीक्षा कर ले! ऐसा नहीं होता है! बांग्लादेश में पिछले वर्ष दुर्गापूजा के दौरान पूजा में पंडाल में कुरआन की प्रति रख दी गयी थी और फिर उसके परिणामस्वरूप जो हिन्दुओं का संहार हुआ था, वह आज तक सिहरा देता है। बाद में पता चला था कि एक मुस्लिम युवक ने ही यह कुरआन की प्रति रखी थी।
बाद में क्या निकल कर आता है, उससे क्या अंतर पड़ता है, जब विमर्श यह बन गया कि हिन्दुओं ने ही यह किया है। ताज मोहम्मद की रूह द्वारा जलाए गए यह पन्ने बहुत कुछ जला सकते थे, परन्तु उत्तर प्रदेश पुलिस का आभार कि उन्होंने आरोपी को सही समय पर पकड़कर प्रदेश एवं हिन्दुओं की रक्षा की!