“मामला लव जिहाद का, मीडिया खेल रहा अदालत की टिप्पणी पर: जानिए कैसे अफाक अहमद के केस को दिया गया एंगल, छिपाई गई आरिफ-सादिक की करतूत”, ऑपइंडिया, अक्टूबर 24, 2025
“हाल में इलाहाबाद कोर्ट की एक टिप्पणी पर मीडिया में जमकर खबरें चल रही हैं। हेडलाइन दी जा रही है कि कोर्ट ने कहा है कि वॉट्सऐप पर भेजे गए ‘अनकहे शब्द’ भी नफरत फैला सकते हैं। कई जगह इस हेडलाइन को ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे अदालत किसी के चुप रहने को भी दोषी बता रहा है, जबकि हकीकत यह है कि यह पूरा मामला लव जिहाद से जुड़ा है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी बिजनौर से जुड़े एक केस में की है जहाँ एक मुस्लिम युवक अफाक अहमद ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए ये जरूर कहा है, लेकिन कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा? इसे जानिए।
पूरा मामला दरअसल लव जिहाद और जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़ा है। अफाक अहमद का भाई आरिफ अहमद फिलहाल जेल में है। उस पर आरोप है कि उसने एक हिंदू युवती से संबंध बनाकर उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने की कोशिश की और उसे दुबई ले जाने की योजना थी…..”
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