“श्रम, कौशल और संकल्प ने बदली तस्वीर : 2017-18 से 2023-24 के बीच भारत में 16.83 करोड़ नई नौकरियां सृजित”, डीडी न्यूज़, अक्टूबर 07, 2025
“भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को बेरोज़गारी के डर से मुक्ति के संकेत मिलना बड़ा परिवर्तन है। हाल ही में जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़े और उनसे जुड़ी आधिकारिक रिपोर्ट इस परिवर्तन का साक्ष्य है। रिपोर्ट बताती है कि 2017-18 से लेकर 2023-24 के बीच भारत में लगभग 16.83 करोड़ नई नौकरियां सृजित हुई हैं। बेरोज़गारी दर जो 6 प्रतिशत से ऊपर थी, घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। यह परिवर्तन महज़ आंकड़ा नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत की उस सोच का परिणाम है जिसने विकास को लोगों के जीवन से जोड़ा है।
युवाओं को आत्मनिर्भरता के अवसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी उसका मानव संसाधन है। यही सोच अब नीति-व्यवहार में दिखाई दे रही है। बीते वर्षों में केंद्र सरकार ने रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं को एक समग्र रणनीति के तहत जोड़ा है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया की पहलें एक ही सूत्र में पिरोई गईं। इन अभियानों ने न सिर्फ उद्योग जगत में निवेश को प्रोत्साहित किया बल्कि युवाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण के ज़रिए आत्मनिर्भरता का अवसर भी दिया।
बड़ा सामाजिक परिवर्तन
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव उस वर्ग में देखा गया है, जिसे भारत की कार्यशक्ति की रीढ़ कहा जा सकता है यानि महिलाएं। श्रम बल भागीदारी में महिलाओं की हिस्सेदारी 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 41.7 प्रतिशत हो गई है। यह वृद्धि वाकई बड़े सामाजिक परिवर्तन का द्योतक है। ग्रामीण और अर्धशहरी भारत में महिलाएं अब घर की सीमाओं से निकलकर स्वरोज़गार और सेवा क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी कर रही हैं। सरकार की ई-श्रम पोर्टल जैसी पहलें और रोज़गार मेले जैसी योजनाएं इस प्रक्रिया को गति दे रही हैं…….”
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