“अमेरिकी करें ईसाइयत की बात तो प्रोग्रेसिव, हिंदुओं का सनातन पर आवाज उठाना- इस्लामोफोब: जानिए कैसे सेकुलरों की दोगली दुनिया में अलग-अलग धर्म की परिभाषा”, ऑपइंडिया, नवंबर 03, 2025
“अंतरराष्ट्रीय राजनीति में धर्म और सुरक्षा का मुद्दा अक्सर संवेदनशील होता है, लेकिन यह देखना दिलचस्प है कि किस देश की धार्मिक चिंता को दुनिया किस नजरिए से देखती है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाइजीरिया में ईसाइयों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर ऐसा बयान दिया जो एक गंभीर चेतावनी थी, जिसे धर्म-सुरक्षा की लड़ाई के रूप में भी प्रस्तुत किया गया था।
ट्रंप ने नाइजीरिया को खुली धमकी दी कि अगर वे देश में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा नहीं रुकवाएगा तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई पर उतर जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान को धर्म-सुरक्षा की लड़ाई के रूप में देखा गया और उन्हें कई जगह प्रगतिशील धर्म-रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसके विपरीत जब भारत हिंदुओं की सुरक्षा और पड़ोसी देशों में उनके खिलाफ हिंसा के मामलों पर आवाज उठाता है तो उसे अक्सर इस्लामोफोबिक, हिंदुत्ववादी और सांप्रदायिक कह दिया जाता है।
नाइजीरिया में ईसाइयों पर हिंसा के बीच ट्रंप की चेतावनी
नाइजीरिया में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा पर ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर वे देश में ईसाइयों की हत्या रोकने में विफल रहे तो अमेरिका तुरंत नाइजीरिया को दिया जाने वाली सारी सहायता बंद कर देगा और जरूरत पड़ी तो सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका ‘गन्स-ए-ब्लेजिंग’ कर इस्लामी आतंकवादियों का खात्मा कर देगा, जो ईसाइयों को निशाना बना रहे हैं…….”
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