23 अक्टूबर को कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने पत्रकार सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट में आतंकवादी संगठन हमास की तुलना शहीद भगत सिंह से कर देशभक्ति और शहादत का अपमान किया।
कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने 23 अक्टूबर को दिए एक बयान से पूरे देश का खून खौला दिया। उन्होंने खुलेआम भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह की तुलना आतंकवादी संगठन हमास से कर दी। यह वही इमरान मसूद हैं जिन्होंने कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “बोटी-बोटी” करने की धमकी दी थी। इस बार उन्होंने अपनी जहरीली जुबान से देश की आत्मा को ही घायल कर दिया।
इमरान मसूद ने यह विवादित बयान पत्रकार सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट में दिया। बातचीत के दौरान जब उनसे पाकिस्तान और हमास के आतंक पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने पहले पाकिस्तान की सेना का बचाव किया और भारत की ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाइयों को “फर्जी” कहा। इसके बाद उन्होंने आतंकवादी संगठन हमास को “आजादी की लड़ाई लड़ने वाला समूह” बताया।
जब सुशांत सिन्हा ने इसका विरोध किया, तो मसूद ने पलटकर कहा, “क्या भगत सिंह भी आतंकवादी थे?” इस सवाल ने पूरे भारत को हिला दिया। भगत सिंह जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिना हथियार के बलिदान दिया, उनकी तुलना उन आतंकियों से करना जिन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को निर्दोष महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की हत्या की, मानवता के साथ घोर विश्वासघात है।
इमरान मसूद ने साफ कहा कि “हमास अपनी जमीन के लिए लड़ रहा है, जैसे भगत सिंह लड़े थे।” यह बयान न सिर्फ झूठ है बल्कि शहादत के पवित्र अर्थ का अपमान है। भगत सिंह भारत की आजादी के प्रतीक हैं, जबकि हमास विश्व स्तर पर घोषित आतंकवादी संगठन है जिसने निर्दोषों के खून से हाथ रंगे।
इमरान मसूद के इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी ने अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। न कोई माफी, न निलंबन, न निंदा। यह चुप्पी कांग्रेस की राजनीति के उस सड़े हुए तंत्र को दिखाती है, जहां वोट बैंक के लिए देशभक्ति की कीमत पर भी सौदा हो जाता है। राहुल गांधी समेत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मसूद के बचाव में चुप है। यही वह पार्टी है जिसने कभी भगत सिंह के “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे को अपनाया था, आज वही पार्टी ऐसे नेताओं को संरक्षण दे रही है जो शहीदों की शहादत का मजाक उड़ाते हैं।
कांग्रेस की इस मानसिकता का नतीजा है कि आज उसका एक नेता आतंकियों को “स्वतंत्रता सेनानी” कह रहा है। कांग्रेस नेताओं की यह भाषा उस appeasement politics का हिस्सा है जो राष्ट्र की एकता पर चोट करती है।

7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इस्राइल पर आतंकी हमला किया। इस हमले में सैकड़ों निर्दोषों की हत्या हुई, महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ, बच्चों को मारा गया और नागरिकों के शवों को जलाया गया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने इन अत्याचारों को मानवता के खिलाफ अपराध बताया। लेकिन कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने उसी हमास को “आजादी की लड़ाई लड़ने वाला” कहा।
जब पूरी दुनिया उस आतंक की निंदा कर रही थी, तब कांग्रेस के नेता उसे जायज ठहरा रहे थे। कांग्रेस पार्टी की यह चुप्पी उसकी वोट बैंक राजनीति की पोल खोलती है। आज कांग्रेस का नेतृत्व आतंकियों के प्रति “हमदर्दी” दिखाकर अपने मुस्लिम मतदाताओं को खुश करना चाहता है, जबकि देश की असल भावना देशभक्ति की है, न कि आतंक के प्रति सहानुभूति की।

इमरान मसूद का यह बयान कोई गलती नहीं, बल्कि कांग्रेस की विचारधारा का विस्तार है। यह वही मानसिकता है जो सेना के पराक्रम पर सवाल उठाती है, भारत की सर्जिकल स्ट्राइक को “झूठ” कहती है और देशद्रोही ताकतों को “संवेदनशील” बताती है। आज कांग्रेस के भीतर राष्ट्रवाद की जगह “प्रोपगेंडा” ने ले ली है।
अब सवाल यह है कि क्या भारत ऐसे बयानों को माफ करेगा? क्या भगत सिंह के नाम को आतंक से जोड़ने की यह घटिया राजनीति अनदेखी की जा सकती है? देश की जनता जानती है कि भगत सिंह की कलम ने अत्याचार के खिलाफ लिखा, जबकि हमास की बंदूक ने निर्दोषों को मारा।
कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने यह अंतर मिटाने की कोशिश की, लेकिन भारत की जनता सब देख रही है। आज देश एकजुट होकर कह रहा है – भगत सिंह की तुलना आतंकियों से करने वाला हर व्यक्ति इस राष्ट्र के सम्मान का दुश्मन है।
कांग्रेस ने भले ही चुप्पी साध ली हो, लेकिन भारत चुप नहीं रहेगा। भगत सिंह के आदर्शों का अपमान करने वालों को जनता अब जवाब देगी।
