“दिवाली पर बधाई देकर दिखावा क्यों कर रहे शाहबाज शरीफ, जानिए अब पाकिस्तान में कितने हिंदू बचे हैं?”, इंडिया टीवी, अक्टूबर 21, 2025
“ क्या आपने कभी देखा है कि कोई नेता किसी त्योहार पर शुभकामनाएं दे और यही बात उसके गले की फांस बन जाए। लेकिन, ठीक ऐसा ही हुआ जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दिवाली के मौके पर शुभकामनाएं दी। शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दीवाली को अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत बताया। जैसे ही एक्स पर शरीफ ने शुभकामना मैसेज पोस्ट किया सोशल मीडिया पर पाकिस्तान और भारत दोनों तरफ से प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। यूजर्स ने शरीफ की ट्रोलिंग शुरू कर दी। किसी ने आंकड़े गिनाए, किसी ने तंज कसा तो किसी ने शरीफ को सच्चाई का आईना दिखा दिया।
ट्रेंड करने लगा #HindusInPakistan और #DiwaliInPakistan
सोशल मीडिया पर जैसे ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का दीवाली विश वाला पोस्ट आया, #HindusInPakistan और #DiwaliInPakistan ट्रेंड करने लगा। एक यूजर्स ने तल्ख अंदाज में लिखा, 1947 से 20 प्रतिशत हिंदू थे। 2025 में केवल 2.3 फीसदी बचे हैं। शायद 2040 तक, दिवाली की शुभकामनाएं केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही भेजी जाएंगी।
पाकिस्तान में पहले थे 15 फीसदी हिंदू
शरीफ की दिवाली शुभकामनाओं को लेकर आक्रोश पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की वजह से देखने को मिला है। 2023 में पाकिस्तान की कुल 240,458,089 (24 करोड़ से अधिक) आबादी में से केवल 38 लाख हिंदू हैं, जबकि आंकड़े बताते हैं कि वो पाकिस्तानी आबादी का 1.63 प्रतिशत हैं। हमेशा से ऐसा नहीं था। पाकिस्तान 3,000 साल से भी पहले सिंधु घाटी सभ्यता के समय से हिंदुओं की एक समृद्ध आबादी का घर था। इस सभ्यता के 2 बड़े शहर, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में स्थित थे। 1947 में विभाजन के बाद, हिंदुओं की संख्या 15 प्रतिशत से घटकर अब लगभग 2 प्रतिशत के आसपास रह गई है। ऐतिहासिक रूप से बड़ी हिंदू आबादी वाले प्रमुख शहरों में तो और भी अधिक गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, लाहौर में 1941 में हिंदू/सिख समुदाय की आबादी लगभग 40 प्रतिशत थी लेकिन आज यह एक प्रतिशत से भी कम रह गई है…….”
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