“जब तक तुष्टिकरण में डूबे राजनीतिक दल सत्ता के लालच में इस्लामी कट्टरपंथियों को संरक्षण देंगे, तब तक हिंदू त्योहारों पर पत्थर चलते रहेंगे”, ऑपइंडिया, अक्टूबर 05, 2025
“नवरात्रि और दशहरा बीत गया है। एक बार फिर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदू आस्था को अपने आतंक से डराने की पूरी कोशिश की। हर बार की तरह वही कहानी फिर दोहराई गई, श्रद्धा और शोभायात्राओं के बीच कट्टरपंथियों ने पत्थरों की बारिश शुरू कर दी। कहीं, काँच की बोतलें फेंकी गईं। हर बीतते साल के साथ हिंदू त्योहारों पर कट्टरपंथियों की हिंसा बढ़ती जा रही है।
किसने पत्थर फेंके ये तो हमने देख लिया लेकिन फिर एक सवाल सामने आता है कि पत्थर क्यों फेंके गए? हर बार निशाने पर सिर्फ हिंदू त्योहार ही क्यों आते हैं? क्या कभी किसी ने सुना कि हनुमान चालीसा पढ़ने गए लोगों ने किसी पर पथराव किया हो? नहीं सुना, क्योंकि यह असहिष्णुता एकतरफा है।
नेपाल में भी दुर्गा विसर्जन के दौरान शोभायात्रा पर हमला किया गया। इससे साफ पता चलता है कि यह भारत की समस्या नहीं है बल्कि यह एक मानसिकता की समस्या है। यह मानसिकता क्या है? यह मानसिकता अपने मजहब को दूसरों की आस्था के ऊपर दिखाने की जिद है। यह मजहबी कट्टरता के साथ-साथ अपनी पहचान को आक्रामकता से दिखाने का सवाल भी है…….”
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